मार्क्सवादी चिंतक (Communist Thinker) तथा धनबाद से तीन बार सांसद रहे एके राय का निधन (three times MP from Dhanbad AK Rai passes away) भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के एक युग के अंत का द्योतक है। 1989 में संसद में सांसदों के वेतन-भत्ते में बढ़ोत्ती के विधेयक का उन्होंने विरोध किया था। 1991 में चुनाव हारने के बाद से वे सांसद की पेंशन नहीं लेते थे तथा उनकी पेंशन राष्ट्रपति को, में जमा होती थी। उन्होंने हमेशा ज़ीरो बैलेंस की जिंदगी जी।
1980 में जेएनयू में एसएफआई (सीपीएम के छात्र संगठन) से निकलकर हम लोगों ने आर (रिबेल) एसएफआई बनाया था। हम (मैं और कॉमरेड दिलीप उपाध्याय
वे खाना बना रहे थे। चटाई पर बैठकर भोजन करते हुए घंटों हम लोगों से बात की लेकिन जेयनयू आने से मना कर दिया।
इतनी सादगी से शायद ही कोई सांसद रहता हो।
राय दादा के नाम से जाने जाने वाले अविवाहित कॉ़मरेड एके राय पिचले 10 सालों से अधिक समय से धनबाद से 15-16 किमी दूर एक गांव में एक पार्टी कॉमरेड के घर रह रहे थे।
13 जुलाई को वे बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पताल में में भर्ती हुए थे तथा कल (21 जुलाई 2019) को उन्होंने अंतिम सांस ली।
कॉ़मरेड एके राय का जीवन Comrade AK Roy's life
1835 में पूर्वी बंगाल (बांगलादेश) में जन्मे अरुण कुमार (एके) रॉय ने 1959 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में एमएससी करने के बाद कुछ दिन एक प्राइवेट फर्म में काम किया तथा 1961 में पीडीआईएल (प्रोजेक्ट
1966 में सरकार विरोधी 'बिहार बंद' आंदोलन में भाग लेने पर उन्हों गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया और पीडीआईएल प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया।
1967 और फिर 1969 में वे सीपीएम के टिकट से सिंद्री से विधायक चुने गए।
1971 में उन्होंने सीपीएम छोड़कर एमसीसी (मार्क्सिस्ट कोआर्डीनेसन कमेटी का गठन किया) और 1972 में फिर विधायक चुने गए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन के साथ उन्होंने झारखंड आंदोलन की भी अगुआई किया था।
बिहार छात्र आंदोलन के समर्थन के चलते 1975 में आपातकाल में उन्हें जेल में डाल दिया गया तथा 1977 में जेल से ही धनबाद से संसद का चुनाव लड़े और विजयी रहे। उसके बाद वे 1980, 1984 तथा 1989 में भी धनबाद से सांसद चुने गए लेकिन 1991 में वे चुनाव हार गए। 10 साल पहले धनबाद से पथालडीह गांव में पार्टी सदस्य के घर रहने से पहले वे पार्टी दफ्तर में रहते थे। ।
धनबाद में राय की छवि एक संत राजनीतिज्ञ की थी। संत राजनीतिज्ञ मार्क्सवादी चिंतक तथा क्रांतिकारी मजदूर नेता को हार्दिक श्रद्धांजलि।
ईश मिश्र