लखनऊ 6 जून, 2020, “दुद्धी के पकरी गांव के निवासी आदिवासी राम सुदंर गोंड की हत्या (Murder of Adivasi Ram Sudar Gond, resident of Pakri village of Duddhi) और ग्राम प्रधान के समेत परिवारजनों पर लादा फर्जी मुकदमा सोनभद्र जनपद का आदिवासियों के साथ हुआ दूसरा उभ्भा नरसंहार (Umbha massacre) है, जिसे खनन माफियाओं और स्थानीय पुलिस के गठजोड़ ने अंजाम दिया है। यही वजह है कि 23 मई को लाश मिलने और 24 मई को पोस्टमार्टम होने के बाद 30 मई तक परिवारजनों को पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं देती और हमारे द्वारा डीजीपी को पत्र लिखने के बाद कल एफआईआर दर्ज की जाती है। इसलिए इस पूरे मामले की विवेचना एसपी सोनभद्र अपनी निगरानी में कराए और जिन अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज नहीं की है उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही करें। विवेचना में अवैध खननकर्ताओं की भूमिका की भी जांच हो और आदिवासियों ग्रामीणों पर लादे फर्जी मुकदमें को वापस लिया जाए।
इस आशय का पत्र एसपी व डीएम को ईमेल से पूर्व आईजी और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने भेजा। उन्होंने इस सम्बंध में दोनों अधिकारियों से फोन पर वार्ता भी की।
दारापुरी ने पत्र में लिखा कि जिस व्यक्ति की तहरीर पर आदिवासियों और ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज किया गया है जैसा कि ज्ञात हुआ है कि उस खननकर्ता को पकरी गांव में बालू खनन करने का पट्टा ही नहीं मिला है। तब आखिर किसके आदेश पर वहां खनन कराया जा रहा था और कैसे उसकी जेसीबी वहां जाकर खनन कर रही थीं। स्थानीय पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने इसकी भी जांच करना उचित नहीं समझा और उलटे अवैध खननकर्ता की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर मृतक की हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करने वालों
उधर दुद्धी में आज मजदूर किसान मंच के नेता कृपाशंकर पनिका के नेतृत्व में मृतक के पुत्र लालबहादुर और पकरी के प्रधान मंजय यादव, राम विचार गोंड़, शिवप्रसाद गोंड़ ने एसडीएम के माध्यम से अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्रक भेजा।
इस पत्रक की प्रतिलिपि अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति को भी भेजकर अपने स्तर पर जांच कराने की मांग की गयी।
पत्रक में कहा गया कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद अब यह साफ हो गया है कि रामसुदंर की हत्या हुई थी, जिसे छुपाने और खनन माफिया हत्यारों को बचाने के लिए पूरा स्थानीय पुलिस-प्रशासन लगा था। महज हमारी आवाज को दबाने के लिए पेशबंदी के तहत हमारे ही खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया जो मानवाधिकारों का खुला उल्लंधन है। इसलिए एफआईआर दर्ज न करने, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तथ्यों को छुपाने वाले और आदिवासियों को धमकी (threats to tribals) देने वाले खनन माफियाओं के हाथ की कठपुतली बने सीओ दुद्धी (CO Duddhi) के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। इस सम्बंध में शीध्र ही जिलाधिकारी से भी मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा।