नई दिल्ली, 04 मार्च। यदि आप इस घातक महामारी के दौरान पूरी फिट रहना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे अच्छे तेल का चुनाव करना बहुत जरूरी है। चूंकि कोविड-19 एक इंफ्लेमेटरी डिजीज है (COVID-19 is an inflammatory disease) और ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हमें एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट (Anti-inflammatory diet) लेनी चाहिए और खाना पकाने में सही तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर फिजीशियन- कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि ऐसे समय में सरसों के तेल का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है। इस तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (Monounsaturated fatty acids - एमयूएफए) भरपूर मात्रा में होता है, इसके अलावा इसमें बड़ी मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid) और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड भी होते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव (ऑक्सीजन रिएक्टिव स्पेसीस के प्रोडक्शन और संचय में होने वाला असंतुलन) और सूजन को कम करते हैं।
फोर्टिस हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट गुरुग्राम, फोर्टिस हॉस्टिपटल वसंत कुंज के चेयरमेन और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.एस. क्लेर के मुताबिक सरसों के तेल के कई ऐसे फायदे हैं, जो अन्य तेलों से नहीं मिलते हैं। वह कहते हैं,
"सभी खाद्य तेलों में सरसों के तेल को सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें संतृप्त फैट्टी एसिड की कम मात्रा और मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड
सरसों के तेल में एक फाइटोकेमिकल कंपाउंड होता है जिसे एलिल आइसोथियोसाइनेट (एआईटीसी) के रूप में जाना जाता है जो एंटी-इंफ्लेमेट्री होता है।
सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि यह इंफ्लेशन को कम करने और उसे घटाने में मदद करता है। जठरांत्र के रास्ते (गेस्ट्रोइन्टेस्टिनल ट्रैक्ट) में होने वाली सूजन से लड़ने और उसे कम करने में सरसों का तेल बहुत लाभकारी है।
इस तेल का एक और दिलचस्प लाभ है जो महामारी के इस समय खासतौर पर प्रासंगिक हो जाता है। हाल ही में डॉ. अग्रवाल ने एक वेबिनार में कहा,
"कोविड-19 एक वसायुक्त वायरस है और सरसों का तेल मोटापा घटाने वाला तेल है।"
एशियन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि सरसों के तेल का नियमित सेवन करने से शरीर का वजन कम हो सकता है, क्योंकि इससे आंतों में वसा कम इकट्ठा होती है और यह ग्लूकोज और लिपिड होमियोस्टेसिस में सुधार करता है।
नई दिल्ली के धर्मशाला नारायण सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमरेंद्र कुमार पांडेय कहते हैं, "सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड (एमयूएफए) और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट्टी एसिड (पीयूएफए) बहुत ज्यादा होता है। वे अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद करते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करते हैं। इसके अलावा यह तेल कोरोनरी हार्ट डिसीज का खतरा कम करता है। साथ ही यह हृदय रोग और वजन कम करने में भी मदद करता है।"
तेल के मामले में सबसे अहम बात है, उसका ट्रांस फैट जिसे डॉ. अग्रवाल किलर फैट कहते हैं। इसके कारण ही दिल की बीमारियां और स्ट्रोक (Heart diseases and stroke) होते हैं। सरसों के तेल में ट्रांस फैट नहीं होता है। ट्रांस फैट का ज्यादा सेवन करने से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जो बहुत ही हानिकारक होता है। यह उच्च रक्तचाप, धमनियों के सख्त होने (एथेरोस्क्लेरोसिस), दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।