आप मोदी जी का एक दिन दिया जाने वाला भाषण किसी भी चुनावी राज्य में सुन लें, उसमें जगह का नाम बदलने के अलावा पूरा एक सा रहता है।
महासमुंद में रविवार को मोदी ने कहा कि दस साल तक केंद्र में चूंकि मां-बेटे के रिमोट से चलने वाली सरकार थी, इसलिए छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सरकार को कोई काम करने का मौका ही नहीं मिला और उसने जो भी काम किया वह पिछले साढे चार साल में ही किया।
इंदौर में उन्होंने कहा कि दस साल तक केंद्र में चूंकि मां-बेटे के रिमोट से चलने वाली सरकार थी, इसलिए मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार को कोई काम करने का मौका ही नहीं मिला और उसने जो भी काम किया वह पिछले साढे चार साल में ही किया। यहाँ भी उन्हें चायवाला याद आया और इंदौर में भी चायवाला याद आया।
इंदौर में उनका यह कहना कि भाजपा ने शिवराज के नेतृत्व में इंदौर को मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी बनाया हास्यास्पद कथन है।
इंदौर भारत के पुराने शहरों में से एक है। दो दशक पहले तक यहाँ आधे दर्जन से ज्यादा कपड़ा मिले थीं। कपडे की देश की बड़ी मंडियों में से एक है। पहले मध्यप्रदेश का लगभग आधा रेवेन्यू यहाँ से आता था। अभी भी लगभग 30% रेवेन्यू इंदौर देता है। यह लगभग 4000 उद्योगों वाली आद्योगिक नगरी है। शिक्षा का बड़ा हब है। यहाँ का सराफा बड़े से बड़े नगर के लिए रश्क का विषय हो सकता है।
'मैं सब कुछ जानता हूँ' वाली अहंपूर्ण भाव-भंगिमा रखने के बावजूद ये गलतियाँ बताती हैं कि हमारे प्रधानमंत्री देश के बारे में कितना कम जानते हैं।
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इसके पहले हमने किसी भी प्रधानमंत्री को न तो राज्यों के चुनाव में इतने दौरे करते देखा
छत्तीसगढ़ में उन्होंने कहा कि केन्द्र की मुद्रा योजना में छत्तीसगढ़ के 33 करोड़ युवकों को स्वरोजगार के लिए कर्ज दिया गया। छत्तीसगढ़ में इसे लेकर पिछले तीन दिनों से मजाक चल रहा है कि यह भाजपा और मोदी जी ही कर सकते हैं कि दो करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में 33 करोड़ लोगों को कर्ज दे दिया जाए। यदि उनकी बोलने की शैली और भाव-भंगिमा पर पर्याप्त ध्यान दें तो स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को कितना कम किया है। माँ-बेटे की सरकार, अपनी दादी का काम, रिमोट से चलने वाली सरकार, तकिये और बिस्तर तथा गेहूं के नीचे छिपाकर रखा गया काला धन जैसी शब्दावली, जो प्रधानमंत्री के पद पर आसीन व्यक्ति को बोलना शोभा नहीं देती है, सुनने के बाद ऐसा लगता है कि मनमोहन सिंह का मौन बहुत भला था, वनिस्पत इस बकवास के। दुखद यह है कि उनकी शह पर या हार के डर से प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी उसी भाषा को बोलना शुरू कर दिया है।
Misrule of narendra modi & Raman Singh
कांग्रेस का शासन छत्तीसगढ़ में मुश्किल से शुरुआती तीन वर्ष रहा और पिछले 15 साल से रमन सिंह यहाँ के मुख्यमंत्री हैं और जब वे कहते हैं कि कांग्रेस ने प्रदेश में कुछ नहीं किया तो हंसी आती है। पिछले 15 वर्षों में रमन सिंह को इतना इरिलेवेंट बोलते कभी नहीं सुना था।
सच तो यह है कि भाजपा शासन करने लायक पार्टी नहीं है। कांग्रेस को कोसते रहना ही उसे आता है। वह इस काम को और अधिक अच्छे से विपक्ष में रहकर कर पायेगी। विपक्ष में रहना ही उसे ज्यादा सूट करता है। उसे इसलिए अभी पाँचों प्रदेश में और 2019 में केन्द्र में विपक्ष में ही भेज दिया जाए तो लोगों का कुछ तो भला होगा, कम से कम, बकवास तो 'कम से कम' सुनने मिलेगी।
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