चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया : दीपांकर बोले यह नया NRC मतदाता अधिकारों पर हमला है

  • चुनाव आयोग SIR प्रक्रिया पर विरोध
  • मतदाता पुनरीक्षण पर भाकपा (माले) की प्रतिक्रिया
  • वोटर लिस्ट से नाम कटने की आशंका 2025

Election Commission's SIR process: Dipankar said this new NRC is an attack on voter rights

Regarding the Election Commission's SIR procedure, Dipankar Bhattacharya stated that this new NRC-like system constitutes an assault on the fundamental rights of voters.

चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर भाकपा(माले) का हमला, दीपांकर भट्टाचार्य बोले – मतदाता अधिकारों पर है हमला, यह नया NRC है

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को भाकपा(माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने लोकतंत्र पर हमला बताया है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मताधिकार से करोड़ों लोगों को वंचित किए जाने की आशंका जताई गई।

नई दिल्ली, 4 जुलाई २०२५. बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर विपक्षी दलों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में भाकपा (माले) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग की मंशा और प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए।

पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि यह केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर हमला है" और नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने की एक संगठित साजिश है।

विपक्षी चिंताओं को नजरअंदाज़ कर रहा है चुनाव आयोग

दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर अपनी चिंता जाहिर की, लेकिन आयोग ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

उन्होंने कहा,

“SIR प्रक्रिया अचानक शुरू की गई, बिना किसी सार्वजनिक चर्चा या विपक्षी दलों से परामर्श के। आयोग ने सिर्फ महाराष्ट्र चुनावों में आए कुछ आरोपों का हवाला देकर इस प्रक्रिया को जायज़ ठहराने की कोशिश की है, जो न तो पर्याप्त है और न ही पारदर्शी।”

पांच करोड़ मतदाताओं को नागरिकता साबित करनी होगी

SIR के तहत आयोग ने लगभग 5 करोड़ नए मतदाताओं को दस्तावेज़ों के ज़रिए अपनी नागरिकता साबित करने का निर्देश दिया है, जबकि 2003 की सूची में दर्ज मतदाताओं को यह नहीं करना होगा। भट्टाचार्य ने इसे सांख्यिकीय भ्रम बताया और कहा कि:

“2003 की सूची में नाम दर्ज लोगों में से लाखों लोग अब जीवित नहीं हैं या पलायन कर चुके हैं। ऐसे में 5 करोड़ बनाम 5 करोड़ का आंकड़ा भ्रामक और गुमराह करने वाला है।”

दस्तावेज़ मांग से उत्पन्न होगा नया संकट

चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज़ों – जैसे मैट्रिक प्रमाण पत्र, भूमि रिकॉर्ड, जन्म प्रमाण पत्र – पर सवाल उठाते हुए भट्टाचार्य ने कहा:

“बिहार सरकार द्वारा 2023 में कराए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य की केवल 15% आबादी के पास ही मैट्रिक का सर्टिफिकेट है। ऐसे में करोड़ों लोग अनजाने में ही मताधिकार से बाहर कर दिए जाएंगे।”

1 करोड़ लोगों के वंचित होने का अंदेशा

भाकपा(माले) ने आशंका जताई कि इस प्रक्रिया से कम से कम एक करोड़ लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे नया NRC और डिजिटल डिमोनेटाइजेशन की तरह बताया, जो आम लोगों को ही सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है।

“यह स्पष्ट रूप से लोकतंत्र के विरुद्ध है। दस्तावेज़ न होने पर लोग वोट नहीं डाल पाएंगे, भले ही वे वर्षों से इस देश के नागरिक रहे हों।”

चुनाव आयोग ने अपनी संवैधानिक सीमाएं पार कीं

भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम संविधान में प्रदत्त सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत को कमजोर करता है। विपक्ष अब इस मुद्दे को अदालत में ले जाने पर विचार कर रहा है।

“हम इस प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती देने का भी विकल्प देख रहे हैं। साथ ही जनता को जागरूक करने और आंदोलन की रणनीति बनाई जा रही है।”

दिल्ली में प्रवासी मजदूरों के घर गिराने पर भी चिंता

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में हाल ही में प्रवासी मजदूरों के घरों को अचानक तोड़ देना, और बिहार में मतदाता पहचान से वंचित करना आपस में जुड़ी साजिशें हैं।

“यह एक समन्वित प्रयास है गरीबों, प्रवासियों और वंचित तबकों को लोकतंत्र की प्रक्रिया से बाहर करने का।”

NDA की चुप्पी संदिग्ध

भाकपा(माले) नेता ने यह सवाल भी उठाया कि बिहार में सत्ताधारी गठबंधन NDA के घटक दल इस गंभीर मुद्दे पर चुप क्यों हैं।

“क्या उन्हें वोटर नहीं चाहिए? या फिर उन्हें सिर्फ अपने वोटर चाहिए?”

भाकपा(माले) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्पष्ट संदेश गया कि SIR केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर सीधा प्रहार है। दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे "राजनीतिक षड्यंत्र" करार देते हुए जनता से इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की अपील की है।