हमारे यहां कैंसर शब्द आज भी डराता है, लेकिन पश्चिमी देशों में कैंसर का इलाज आज उसी तरह हो रहा है, जैसे अपने यहां तपेदिक का। लेकिन अपने देश में महिलाओं में स्तन कैंसर का कहर (Breast cancer havoc in women) तेजी से बढ़ रहा है। कुछ सर्वेक्षणों से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। वहीं नई खोजों से स्तन कैंसर का इलाज (Treatment of breast cancer) अब आसान बड़ा हो गया है।
गत कुछ सालों में देश में महिलाओं में स्तन कैंसर के अधिक मामले सामने आ रहे हैं। अपने देश में महिलाओं में यह रोग नगरों की महिलाओं में अधिक पाया जाता रहा है। कम उम्र में विवाह और अधिक गर्भधारण भारतीय महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का एक बड़ा कारण (A major cause of cervical cancer in Indian women) रहा है। लेकिन विवाह को अधिक उम्र तक टालते जाने, गर्भधारण का फासला बढ़ाने या स्वेच्छा से इससे बचने की शहरी औरतों की प्रवृत्ति उनमें स्तन कैंसर की संभावना बढ़ा रही है। नए शोधों से यह पता चला कि किसी भी कैंसर के होने में आनुवांशिक कारण सबसे बड़ा कारण है और यह बात स्तन कैंसर पर भी लागू होती है।
स्तन कैंसर दुनिया भर में कैंसर से ग्रस्त मरीजों में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर दुनिया भर में सबसे ज्यादा होता है। कैंसर की मरीजों के सबंध में नई प्रवृत्तियां सामने आ रही हैं और अस्पताल आने वाली नई नए मरीजों के आयु समूह में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है और यह 55 वर्ष से कम होकर 40 वर्ष से भी कम उम्र तक गिर गया है। आईसीएमआर
भारत में, सालाना हर पच्चीस में से एक महिला में स्तन कैंसर का निदान किया जाता है, जो अमेरिका / ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की तुलना में कम है, जहां सालाना 8 में से 1 रोगी में स्तन कैंसर का निदान किया जाता है। हालांकि इस तथ्य के कारण कि विकसित देशों में जागरूकता की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जहां शुरुआती चरणों में ही ऐसे अधिकतर मामलों का निदान और इलाज किया जाता है और इसलिए वहां जीवित रहने की दर बेहतर होती है। लेकिन जब हम भारतीय परिदृश्य पर विचार करते हैं, तो यहां उच्च जनसंख्या अनुपात और कम जागरूकता के कारण जीवित रहने की दर काफी कम है।
जिन मरीजों में स्तन कैंसर की पहचान होती है, उन मरीजों में से हर दो रोगियों में से एक रोगी की अगले पांच वर्षों में मौत हो जाती है, जो 50 प्रतिशत मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार होते हैं। शहरों में कई रोगियों में रोग की पहचान दूसरे चरण में की जाती है जब टी 2 घाव ऐसे गांठ होते हैं, जिन्हें स्पर्श करने पर महसूस किया जा सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के मामलों में, इन घावों का पता मेटास्टैटिक ट्यूमर में परिवर्तित होने के बाद ही चलता है।
वैश्विक स्तर पर, 40 साल से कम उम्र की 7 प्रतिशत आबादी स्तन कैंसर से पीड़ित है, जबकि भारत में यह दर दोगुनी है, यानी 15 प्रतिशत है और जिनमें एक प्रतिशत रोगी पुरुष हैं, जिसके कारण विश्व स्तर पर भारत से स्तन कैंसर रोगियों की सबसे ज्यादा संख्या हो जाती है।
स्तन कैंसर वंशानुगत होता है, इसके अलावा, कई अन्य जोखिम कारक जैसे निष्क्रिय जीवनशैली, शराब का सेवन, धूम्रपान, युवाओं में मोटापा और तनाव में वृद्धि और खराब आहार के सेवन को भी युवा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
एनसीबीआई 2016 द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, शाकाहारी महिलाएं स्तन कैंसर के लिए 40 प्रतिशत कम संवेदनशील होती हैं।
भारतीय मरीजों में स्तन कैंसर के ग्रेड और चरण अन्य देशों की तुलना में अधिक होते हैं। यहां तक कि साक्षर जनसंख्या में भी जो उपचारात्मक उपायों का सहारा लेते हैं और वैकल्पिक उपचार विकल्पों का विकल्प चुनते हैं। कीमोथेरेपी या मास्टेक्टोमी सर्जरी के बारे में कई गलतफहमी (Many misconceptions about chemotherapy or mastectomy surgery) और जागरूकता की कमी के कारण वे समय पर इलाज नहीं कराते हैं और वैकल्पिक दवाओं का विकल्प चुनती हैं। प्रारंभ में ऐसे उपचार मरीजों के लिए लुभावने होते हैं, लेकिन जैसे ही बीमारी के चरण बढ़ते हैं और बीमारी उनके नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तो वे एलोपैथिक उपचार का विकल्प चुनते हैं। इन स्थितियों के कारण वे समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं।
प्रारंभिक निदान उपचार के लिए है महत्वपूर्ण
पिछले दशक में, हालांकि स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई है, लेकिन कैंसर देखभाल के प्रति जागरूकता (Cancer care awareness), पहुंच और नजरिये में परिवर्तन के कारण इसके कारण होने वाली मृत्यु दर धीरे-धीरे कम हो रही है।
हो सकता है कि शुरुआती चरणों में डायग्नोसिस और कभी-कभी स्क्रीनिंग के दौरान इसके लक्षण लगातार प्रकट नहीं होते हों, लेकिन इसके लिए विभिन्न प्रकार के उपचार की आवश्यकता हो सकती है और इसके लिए विशेषज्ञ सर्वोत्तम उपयुक्त उपचार निर्धारित कर सकता है। हालांकि स्तन कैंसर के इलाज में बड़ी सफलताएं हासिल की गई हैं, लेकिन इसका इलाज और उपचार पूरी तरह से बीमारी के ग्रेड और चरण पर निर्भर करता है, जिसका निदान जांच में किया गया है। इसके आधार पर ही, आपको सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और जैविक थेरेपी (लक्षित थेरेपी) इन उपचारों में से एक या एक से अधिक उपचार कराने की सलाह दी जाएगी। इलाज का निर्णय करते समय डॉक्टर निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करेगा -
कैंसर का चरण और ग्रेड (आकार और क्षेत्र जहां तक कैंसर फैल गया)
पूरे शरीर का स्वास्थ्य (अन्य रोग भी)
रजोनिवृत्ति का समय
लोगों में यह जागरूकता पैदा की जानी चाहिए कि प्रारंभिक चरणों में ही अधिकांश स्तन कैंसर का पता लग जाता है, क्योंकि स्तन कैंसर वाली अधिकांश महिला मेटास्टेसिस (जब ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में फैलता है) के बाद अस्पताल आती हैं। कैंसर के मेटास्टैटिक या उन्नत चरणों में, इसका पूरी तरह से इलाज नहीं हो पाता है और उपचार का उद्देश्य रेमिशन (जहां ट्यूमर सिकुड़ता है या गायब हो जाता है) प्राप्त करना होता है। स्तन कैंसर सर्जरी के दो मुख्य प्रकार हैं -
ब्रेस्ट कंजर्विंग सर्जरी Breast conservation surgery
इसमें सर्जरी केवल ट्यूमर नामक कैंसरयुक्त गांठ को हटाने के लिए की जाती है। ट्यूमर के प्रकार, आकार और मात्रा के आधार पर, लम्पेक्टोमी (आसपास के कुछ ऊतकों के साथ ट्यूमर को हटाना) या आंशिक मास्टेक्टोमी सर्जरी की जाती है। आम तौर पर, सर्जरी के बाद बची किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी कराने की सलाह दी जाती है, जो प्रारंभिक चरण के स्तन कैंसर के इलाज (Early stage breast cancer treatment) में टोटल मास्टेक्टोमी (Total Mastectomy) के समान ही सफल होती है।
मास्टेक्टोमी - mastectomy surgery
इस सर्जरी के तहत पूरे स्तन को हटा दिया जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, मास्टेक्टोमी के बाद स्तन के हटाए गए हिस्से को बनाने के लिए उसका पुनर्निमाण (mastectomy reconstruction) करने के लिए रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की जा सकती है। रिकंस्ट्रक्शन मास्टेक्टोमी के समय ही किया जा सकता है (तत्काल पुनर्निर्माण) या इसे बाद में किया जा सकता है (देर से पुनर्निर्माण)। नया स्तन बनाने के लिए ब्रेस्ट इंप्लांट इंसर्ट (Breast implant insert) किया जा सकता है या आपके शरीर के अन्य हिस्से के ऊतक से इसका निर्माण किया जा सकता है।
डॉ. समीर कौल
सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली
( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय परामर्श नहीं है। यह सिर्फ एक जानकारी है। कोई निर्णय लेने से पहले अपने विवेक का प्रयोग करें।)
Need to be more aware to prevent breast cancer deaths