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कोरोना जैसी गम्भीर बीमारी और उससे निपटने के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था पर बहस की जरूरत है न कि लोगों की भावना से खेलने की – आइपीएफ

There is a need to debate on a serious disease like corona and better health system to deal with it and not to play with the sentiments of the people - IPF

लखनऊ, 6 जनवरी 2022: एक तरफ पूरे प्रदेश में कोरोना महामारी फिर से तेजी से फैल रही है जिससे आम नागरिकों के जीवन पर संकट आया हुआ है। ऐसी स्थिति में जनता की स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी और सबके लिए इलाज की व्यवस्था के सवाल पर बोलने की जगह कृष्ण किसके सपने में आए जैसी बातें सत्ताधारी दल और प्रमुख विपक्षी दल द्वारा बोली जा रही हैं जो जनता का उपहास उड़ाना है।

यह बयान आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने प्रेस को जारी किया।

उन्होंने कहा कि देश में ओमिक्रॉन और डेल्टा वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। इससे निपटने के लिए क्या बेहतर व्यवस्था हो, लोगों के शिक्षा, रोजगार, भूमि अधिकार जैसे मूलभूत प्रश्नों पर ध्यान देने को राजनीतिक मुद्दा बनाने की जगह सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा धार्मिक और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश तेज होती जा रही है। जनता इस तरह की राजनीति से सचेत हो जाए और बुनियादी मांगों पर अपनी राजनीतिक आवाज को तेज करे।

सपा के पास न तो समाजवादी विचारधारा है न ही जन मुद्दा

दारापुरी ने कहा कि लगता है कि समाजवादी पार्टी के पास भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति को परास्त करने के लिए न तो समाजवादी विचारधारा है और न ही उसके पास जन मुद्दा है। सभी लोकतांत्रिक ताकतों का यह दायित्व है कि वह

इन दलों के ऊपर दबाव बनाए जिससे की वे जन मुद्दों पर आएं और स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा, भूमि अधिकार जैसे बुनियादी मुद्दों पर अपनी नीति घोषित करें। इलाहाबाद में युवा मंच द्वारा प्रभावशाली ढंग से मुद्दों को बराबर उठाने का आइपीएफ समर्थन करता है। वहीं दुद्धी में चल रहे आदिवासियों के वनाधिकार और सीतापुर में चल रहे मजदूरों और दलितों के भूमि अधिकार और मनरेगा आंदोलन का भी आइपीएफ ने पूरी तौर पर समर्थन किया है।