Hastakshep.com-राजनीति-Accusations of corruption on Netanyahu-accusations-of-corruption-on-netanyahu-accused of war crime-accused-of-war-crime-Benjamin Netanyahu-benjamin-netanyahu-betrayal of the public-betrayal-of-the-public-Chairman of the Likud Party-chairman-of-the-likud-party-COVID-19-covid-19-Parliament-parliament-Prime Minister of Israel-prime-minister-of-israel-कोविड-19-kovidd-19-बेंजामिन नेतान्याहू-benjaamin-netaanyaahuu

Netanyahu's government in Israel again!

कोविड-19 (COVID-19) के दौर ने इजराइल की पिछले एक वर्ष से चल रही राजनैतिक अनिश्चितता समाप्त कर दी है. इस बीच वहां तीन बार चुनाव कराये गए, पर सरकार बनाने लायक बहुमत किसी को नहीं मिला. अंतिम चुनाव 2 मार्च को कराये गए थे. किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और इसी बीच कोविड-19 ने इजराइल समेत पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू किया, तब पिछले चार बार से प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतान्याहू (Benjamin Netanyahu) ने प्रमुख विपक्षी ब्लू एंड वाइट पार्टी के बैनी गंत्ज़ के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया. इस प्रस्ताव को सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति और नेसेट (इजराइल की संसद) की मंजूरी मिल चुकी है.

इजराइल की सर्वोच्च अदालत में एडवोकेसी ग्रुप और विपक्ष द्वारा बेंजामिन नेतान्याहू और इस गठबंधन के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया था कि नेतान्याहू पर भ्रष्टाचार, विश्वासघात और अनैतिक कार्यों के आरोप से सम्बंधित आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं, इसलिए वे प्रधानमंत्री बनने के योग्य नहीं हैं.

इस गठबंधन पर भी सवाल उठाये गए थे, लिकुड पार्टी के नेतान्याहू और ब्लू एंड वाइट पार्टी के बैनी गंत्ज़ अब तक एक दूसरे के प्रबल विरोधी रहे हैं. बैनी गंत्ज़ सेना के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं और मार्च तक उनका एक ही एजेंडा था, नेतान्याहू को सत्ता से दूर रखना. बैनी गंत्ज़ का अस्तित्व ही इसपर टिका था.

For the first time in Israel's history, a case was being heard online.

इजराइल के इतिहास में पहली बार किसी मुकदमे की ऑनलाइन सुनवाई की जा रही थी. ऐसा मुकदमे की गंभीरता के कारण नहीं बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के कारण किया गया था. 11 जजों के पैनल ने सर्वसम्मति से कहा कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोपों (Accusations of corruption on Netanyahu) के बाद भी उन्हें कानूनन प्रधानमंत्री बनाने से

और इस गठबंधन को भी नहीं रोका जा सकता. पर इस बेंच ने स्पष्ट कर दिया कि नेतान्याहू को सरकार के गठन की अनुमति देने का यह मतलब कतई नहीं है कि उन पर चल रहे मुकदमों की गंभीरता कम हो जाती है, नेतान्याहू पर जो मुकदमें चल रहे हैं, वे पहले की तरह चलते रहेंगे. पहले इन मुकदमों की सुनवाई मार्च में होनी तय थी, पर कोविड-19 के कारण अब ये मुकदमे मई के अंत में सुने जायेंगें.

सर्वोच्च न्यायालय के पैनल ने स्पष्ट कर दिया कि नेतन्याहू के शासन से वे न तो वर्तमान में खुश हैं और ना ही इस गठबंधन से खुश हैं, पर कानूनन वे इसे नहीं रोक सकते. इसके बाद नेतान्याहू के प्रधानमंत्री बनने में कोई अड़चन नहीं है.

गठबंधन की शर्तों के अनुसार पहले 18 महीने नेतन्याहू प्रधानमंत्री रहेंगे और इसके बाद के 18 महीने बैनी गंत्ज़ प्रधानमंत्री का पद संभालेंगें. सरकार बनने से 6 महीने बाद तक का समय कोविड-19 के तहत आपात स्थिति घोषित की गई है, इसमें कोविड-19 को छोड़कर और किसी भी तरह के नए क़ानून नहीं बनाए जा सकेंगें. जैसा कि गठबंधन सरकारों में अक्सर होता है, सदस्यों को खुश रखने के लिए और एकजुट बने रहने के लिए अनेक लोगों को मंत्रीपद देना पड़ता है, इजराइल में भी ऐसा ही होने वाला है. इस बार अनुमान है, कुल 34 से 36 मंत्री बन सकते हैं और यदि ऐसा हुआ तो इतना बड़ा मंत्रिमंडल इजराइल के इतिहास में पहली बार होगा.

विभागों के बंटवारे पर भी आम सहमति बन चुकी है. विदेश और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग बैनी गंत्ज़ के पास रहेंगे, जबकि नेतान्याहू के लिए व्यक्तिगत तौर पर सबसे महत्वपूर्ण न्याय व्यवस्था और जजों की नियुक्ति का दारोमदार स्वयं नेतान्याहू के पास रहेगा. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेतान्याहू के लिए जाहिर है, यह महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी, जिससे वे अपने पसंद के निर्णय देने वाले जजों को नियुक्त कर पायेंगें.

बैनी गंत्ज़ का राजनैतिक अस्तित्व का आधार ही नेतान्याहू का विरोध था, राजनीति में उन्होंने केवल एक मकसद से कदम रखा था, वह था नेतान्याहू को उनके पद से हटाना. जाहिर है उनके समर्थक और उनकी पार्टी या गठबंधन के अन्य सदस्य भी उनसे इसी मकसद से जुड़े थे.

मार्च के बाद जब नेतान्याहू और बैनी गंत्ज़ के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ तब भी उनकी पार्टी के भीतर भी किसी को अनुमान नहीं था कि बैनी गंत्ज़ जो कहते हैं और जिस कारण लगातार तीन चुनाव कराये गए, वो अपनी ही नीतियों के बिलकुल विपरीत चले जायेंगे. जाहिर है, गठबंधन के बाद उन्हें अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ ही पूरे देश की नाराजगी झेलनी पड़ी है. उन्हीं की पार्टी के आधे से अधिक सदस्य पार्टी छोड़ चुके हैं फिर भी इतने सदस्य बचे हैं जिससे 120 सदस्यों वाले नेसेट (संसद) में गठबंधन का आंकड़ा 61 को आसानी से पार कर जाएगा.

बैनी गंत्ज़ ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्हें देश की अर्थव्यवस्था की अधिक चिंता थी, जो कोविड-19 के बाद ध्वस्त हो चुकी है. ऐसे में देश फिर से एक चुनाव का बोझ नहीं उठा सकता है.

इजराइल की पुलिस के अनुसार उनके पास नेतान्याहू के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. केस संख्या 1000 रिश्वत से जुडी है, इसके अनुसार नेतान्याहू लोगों से काम करने के बदले रिश्वत के तौर पर महंगे गिफ्ट वसूलते हैं. फिल्म प्रोड्यूसर अर्नों मिल्चन को जब अमेरिका सरकार ने वीसा देने से मना कर दिया तब नेतान्याहू ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए वीसा दिलवाया और बदले में अनेक वर्षों तक अत्यधिक महंगे उपहार वसूलते रहे.

Case number 2000 is a case of betrayal of the public.

केस संख्या 2000 जनता से विश्वासघात का मामला है. इसके अनुसार वे अपने रसूख से राजनैतिक फायदा उठाते रहे और काम के बदले निजी प्रतिष्ठानों को व्यावसायिक फायदा पहुंचाते रहे.

इजराइल में कुछ वर्ष पहले तक एक समाचारपत्र, जो सबसे अधिक बिकता था और नेतान्याहू का समर्थन करता था, उसके मालिक अमेरिका के अरबपति शेल्डन अडेल्सन हैं, जो नेतान्याहू के घनिष्ठ मित्र भी थे, और बिक्री के हिसाब से चौथे नम्बर पर जो अखबार था, उसे प्रबुद्ध आबादी पढ़ती थी, पर इसमें स्वतंत्र राय प्रकाशित की जाती थी, जिसमें प्रायः नेतान्याहू की नीतियों का विरोध किया जाता था. इसके मालिक अर्नों मोजेस है, जो इजराइल के सबसे धनी लोगों में शुमार हैं.

नेतन्याहू ने अर्नों मोजेस के साथ यह डील किया कि उनका अखबार यदि केवल उनके समर्थन वाले समाचार प्रकाशित करेगा तो उनके अखबार को वे बिक्री के सन्दर्भ में पहले स्थान पर पहुंचा देंगे.

अर्नों मोजेस ने जब इस डील पर हामी भरी तब नेतान्याहू ने शेल्डन अडेल्सन से सांठगाँठ कर अपने समाचारपत्र का प्रसार कम करा दिया और इसके बाद कुछ समय बाद ही अर्नों मोजेस का अखबार पहले स्थान पर पहुंच गया.

Netanyahu has also been accused of war crime many times. | डोनाल्ड ट्रम्प का मिडिल ईस्ट प्लान क्या है | What is Donald Trump's Middle East Plan

नेतन्याहू पर संयुक्त राष्ट्र ने वार क्राइम का भी अनेकों बार आरोप लगाया है. इस बार भी नए गठबंधन की सरकार के दौरान भी ऐसे आरोप लगना तय है. नेतन्याहू की इस बार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर जॉर्डन वैली और वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों को इजराइल में मिलाना है. यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बहुचर्चित मिडिल ईस्ट प्लान का हिस्सा है. नेतन्याहू के प्रधानमंत्री बनाने का रास्ता साफ़ होते ही अनेक यूरोपीय देश इससे आशंकित हैं. इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन इस योजना का पहले ही विरोध कर चुके हैं और इसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन बता चुके हैं. हाल में ही ब्रिटेन के 130 से अधिक संसद सदस्यों और बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन को पत्र लिखकर कहा है कि यदि इजराइल ऐसा करता है तब ब्रिटेन को इजराइल के ऊपर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए.

पत्र में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का पालन करना और करवाना ब्रिटेन की परंपरा रही है, जब 2014 में रूस ने क्रिमीआ पर अधिकार किया था, तब रूस पर भी प्रतिबन्ध लगाए गए थे.

जाहिर है नेतान्याहू का पांचवीं बार प्रधानमंत्री पद संभालना दुनिया में बिखरते लोकतंत्र की तरफ इशारा करता है, पर इससे केवल लोकतांत्रिक परम्पराएं ही प्रभावित नहीं होंगीं बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति प्रभावित होगी.

महेंद्र पाण्डेय

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