उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के बिलरियागंज स्थित मौलाना जौहर अली पार्क में नागरिकता संशोधन कानून-2019 के खिलाफ शांतिपूर्वक धरने पर बैठी महिलाओं पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने लाठीचार्ज किया (Uttar Pradesh Police lathi-charged women sitting on peaceful protest against the Citizenship Amendment Act-2019 at Maulana Johar Ali Park in Bilariaganj in Azamgarh district) और आसूं गैस के गोले दागे। यह सब जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान की मौजूदगी में किया गया। आधी रात में तीन बस पुलिस आयी और पूरे पार्क को घेरकर वहां मौजूद लोगों को खदेड़ने लगी। जब पार्क में सिर्फ महिलाएं बचीं तब पुलिस ने उन्हें वहां से जाने को कहा। पर महिलाएं संविधान और लोकतंत्र की बात कहने लगीं। फिर पुलिस ने बर्बरता पर उतारू होकर लाठी चार्ज, रबर की गोलियां, वाटर कैनन से लेकर आंसू गैस तक का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। इसी आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सांसद हैं और इस पूरे प्रकरण में उनकी तरफ से चुप्पी साध-रखी गयी है।
इस चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मनोज यादव ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा और अखिलेश यादव की इस आपराधिक चुप्पी पर सवाल उठाया। इसके बाद अखिलेश यादव के समर्थकों और सपाई यादव समूह के लोगों ने उनके साथ अभद्रता और गाली गलौच शुरू कर दी।
कंपू खबरीलाल ने लिखा
“तुम बेटा मनोज वहीं हो न जो बचपन में टॉफी के लिए पड़ोसी को पापा कहते थे। और रही बात हमारे अखिलेश जी की तो वो सब कुछ कर रहे हम सब की मदद के लिए। हमारे मुस्लिम भाईयों सबकी मदद कर कर रहे है वो ऐसे
शिल्पी चौधरी ने लिखा,
“इस मानसिक अवस्था से किसी दिन आपका बेड़ा गर्क तय है।“
जब उमेश यादव ने पूछा - "शाहीनबाग दिल्ली में ही है। राहुल जी गये क्या?" तो अखिलेश यादव की करीबी समझे जाने वालीं शिल्पी चौधरी ने बिल्कुल वबी बात लिखी जिसे भाजपा कह रही है। उन्होंने लिखा, "जाएंगे कैसे पोल पट्टी नही खुल जाएगी कि इस मूवमेंट को फण्ड कांग्रेस कर रही है?,,,,लखनऊ में आस पास छिटकते नही ये कांग्रेसी पूछिये क्यों एक उस फेसबुकिया जेलबाज़ को छोड़ कर,,,,इंटरनल इनपुट सब मिले हैं जी"
इससे भी ज्यादा अपमानजनक टिप्पणियां सपा के यादव ट्रोल ने लिखी हैं।
इससे साफ साबित होता है कि समाजवादी पार्टी ने सामाजिक न्याय के नाम पर जिस तरह से जातिगत ट्रोल पाल रखे हैं वह अपने मूल में न केवल सांप्रदायिक है बल्कि मुसलमान विरोधी हैं। वह मुसलमानों के बारे में बिल्कुल योगी आदित्यनाथ और हिंदू युवा वाहिनी जैसी सोच रखता है और अवसर पाकर वह उनके खिलाफ हिंसा भी खुल कर करता है। वह उन्हें किसी लोकतांत्रिक अधिकार देने का विरोधी है और उसके साथ हिंसा को जायज मानता है। उसे केवल मुसलमानों का वोट चाहिए और संविधान की मूल भावना के तहत मिलने वाले हक अधिकार की मांग करने वालों से उसे एलर्जी है।
असल में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की यह भावना न केवल समाजवादी पार्टी के मूल चरित्र में है बल्कि उसका जातिवादी ट्रोल भी मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में भाग लेता है। यही कारण है कि जब कोई इस चुप्पी पर सवाल उठाता है तब अखिलेश यादव का यह सपाई यादव ट्रोल अभद्रता पर उतारू हो जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव के ट्रोल्स ने अपनी ही पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खां की सोशल मीडिया पर लिंचिंग की थी।
हरे राम मिश्र
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं )