एक बार फिर से साबित हुआ कि ये वही देश है जहाँ गणेश जी की मूर्तियों को दूध पिलाना बड़ा आसान है।
सम्पूर्ण वातावरण में थाली पीटने और शंख बजाने की आवाजें गूंज रही हैं। चमत्कार की आस में हम सालों तक अपना नुकसान झेल सकते हैं।
असल में इस देश के लोग भेड़ों के झुंड की तरह हो चुके हैं, जिसे हांकने के लिए सिर्फ एक कुशल चरवाहे की जरूरत है। हमारा चरवाहा बनने के लिए बिग थैंक्यू मोदी जी ! अब पटाखे भी दगने लगे हैं।
धरती पर यदि कहीं भगवान है तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है ! अपने आस पास मूर्खों की गिनती करने की जरूरत नहीं है। फिलहाल बहुत बड़ी संख्या में है। ये मूर्खता का स्वर्णिम काल है।
चलिए अब ताली, थाली, शंख ..सब बज गया..
अब आगे कोरोना वायरस से लड़ने का क्या प्रोग्राम है.. यह भी बता दीजिए मोदीजी ?
या फिर सब राम भरोसे ही है।
(अमित सिंह शिवभक्त नंदी की एफबी टिप्पणियां साभार)