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मसीहुद्दीन संजरी
फ्रांस में आतंकी हमले पर पूरे विश्व में आक्रोश है जिसकी लपटें एक बार फिर आईएसआईएस से होती हुई मुसलमानों तक पहुंच रही हैं।
लेकिन आईएसआईएस या जो कोई भी संगठन इस हमले का ज़िम्मेदार है वह मुसलमानों का शुभ चिंतक नहीं हो सकता और बल्कि उसका दुश्मन माना जाएगा। अगर आईएसआईएस को ही हमलावर माना जाता है तो यह एक बार फिर से पुष्ट हो जाता है कि उसके पैदा करने वाला कोई और नहीं बल्कि अमरीका और इस्राईल हैं।

फ्रांस यूरोप का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है।

फ्रांस वह पहला यूरोपीय देश है जिसकी संसद ने फलस्तीन को मान्यता दी। फ्रांस के इस फैसले के बाद उसके और इस्राईल के बीच सम्बंधों में कटुता भी आ गई थी। फलस्तीन का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत संवेदनशील मामला है और मुसलमानों के लिए महत्व रखता है।
फ्रांस यूरोप के उन देशों में है जो मुस्लिम महिलाओं को हिजाब (बुरके की जगह वह स्कार्फ जिसमें चेहरा ढंका हुआ न हो) पहनने की आज़ादी देता है।

आईएसआईएस ने कभी भी इस्राइल या उसके हितों पर हमला नहीं किया
दुनिया भर में मुस्लिम विरोधी छवि रखने वाले इस्राइल जैसे देश के पड़ोस में रह कर आईएसआईएस ने कभी भी इस्राइल या उसके हितों पर हमला नहीं किया। इस्राइल के यूरोप में कई सहयोगी हैं लेकिन आईएसआईएस ने उन पर भी कभी हमला नहीं किया। इस लिहाज़ से फ्रांस पर इस्लाम या मुसलमानों के नाम पर प्रतिक्रिया स्वरूप भी आतंकी हमले का कोई औचित्य नहीं बनता।
फ्रांस पर आर्इएसआईएस का यह कथित आतंकी हमला फलस्तीन का अहित करने वाला और इस्राइली हितों को फायदा पहुंचाने वाला है।
दर असल आईएसआईएस के सम्बंध में ऐसी खबरें कई बार आ चुकी हैं कि अमरीका ने ओसामा बिन लादेन की तरह उसे पैदा किया, ओबामा के आदेश से ही सीआईए ने उसको प्रशिक्षित किया।

फ्रांस पर इस नए हमले के बाद यह खबर एक बार फिर स्वतः पुष्ट होती है।

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