नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुए दो साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके कातिल आज भी खुले घूम रहे हैं। कानून उनके कातिलों को दंडित करना तो दूर गिरफ्तार करने तक में नाकामयाब रहा है। इसी के विरोध में दाभोलकर की पत्नी, दो बच्चों एवं सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह पुणे में रैली निकाली और प्रदर्शन किया। दाभोलकर हत्याकांड में पुलिस और कानून की नाकामी के विरोध में गुरुवार सुबह 7.55 बजे लोग उसी जगह, उसी समय इकट्ठा हुए, जहां दाभोलकर को गोली मारी गई थी। कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां, बैनर लेकर नारे लगाते हुए दो किलोमीटर तक पैदल रैली निकाली।
पेशे से पत्रकार दाभोलकर ने अंधविश्वास और काले जादू के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने जागरूकता अभियान चलाने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एएनएस) की स्थापना की थी।
आज से ठीक दो साल पहले 20 अगस्त 2013 को अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों ने दाभोलकर की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वह सुबह की सैर से लौट रहे थे।
प्रतिष्ठित देशबंधु अखबार में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर ने कहा, "घटना को दो साल बीत गए हैं और जांचकर्ता अब तक कोई बड़ा सुराग नहीं ढूंढ पाए हैं। हमारी सीधी मांग है कि उनके कातिलों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।" मुक्ता और उनके भाई हामिद मिलकर अपने पिता की विरासत संभाल रहे हैं।
दाभोलकर के भाई-बहनों और उनकी मां शीला ने काली पट्टियां बांधकर रैली का नेतृत्व किया और बाद में धरना प्रदर्शन भी किया।
गुरुवार को निकाली गई प्रदर्शन रैली एक साल तक चलने वाले अभियान की शुरुआत है। इस दौरान दाभोलकर की विचारधारा पर आधारित नुक्कड़ नाटकों का प्रदर्शन पूरे महाराष्ट्र में किया जाएगा और रैलियां निकाली जाएंगी।
दाभोलकर के बेटे हामिद ने पत्रकारों से कहा, "यह बड़े शर्म की बात है कि घटना के
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