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Heart attack is more dangerous than heart failure!

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट फेल्योर स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है, लेकिन यह हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक नहीं है।

प्रतिष्ठित समाचारपत्र देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा ने कहा,

"हार्ट फेल्योर शरीर तक हृदय द्वारा रक्त संचरण में असमर्थता को दर्शाता है। इससे रक्त का प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है, जिससे शरीर के जरूरी अंगों जैसे किडनी, लिवर और मस्तिष्क के कार्य पर असर पड़ता है।"

हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक के बीच अंतर समझना जरूरी (It is important to understand the difference between heart failure and heart attack)

खबर के अनुसार जानकारों का कहना है कि हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक एक जैसा नहीं है और लोगों को दोनों के बीच अंतर समझना जरूरी है।

इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट मुंबई के नानावती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्यरत सलील शिरोडकर ने कहा,

"हार्ट फेल्योर वह स्थिति है, जिसमें हृदय की रक्त को पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। हार्ट अटैक दूसरी अवस्था है। इसमें कोरोनरी धमनी में रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। हृदय के मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है या बुरी तरह कम हो जाती है।"

किन गड़बड़ियों से होता है हार्ट फेल्योर

खबर के अनुसार जानकारों का कहना है कि, हृदय में दो तरह की गड़बड़ियों से हार्ट फेल्योर होता है। इसमें सिस्टोलिक हार्ट फेल्योर और डायस्टोलिक हार्ट फेल्योर शामिल है।

सिस्टोलिक हार्ट फेल्योर, हार्ट फेल्योर का सबसे सामान्य कारण है। यह हृदय के कमजोर व बड़े

होने तथा बाएं वेंट्रिकल की मांसपेशियों में सिकुड़ने की क्षमता में कमी आने की वजह से होता है, जबकि डायस्टोलिक फेल्योर की वजह हृदय की मांसपेशियों में अकड़न आना और सिकुड़ने की अपनी क्षमता खो देना है।

हार्ट फेल्योर की वजह (cause of heart failure)

हार्ट फेल्योर कई स्थितियों की वजह से होता है। इसमें हृदय की मांसपेशियों को नुकसान, कोरोनरी धमनी का रोग (सीएडी), हार्ट अटैक, कार्डियोमायोपैथी (एक हार्ट मांसपेशी की बीमारी) शामिल है।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट हॉस्पीटल के हार्ट फेल्योर क्लीनिक के विभाग प्रमुख विशाल रस्तोगी ने कहा,

"हार्ट फेल्योर का मुख्य कारण हृदय को रक्त पहुंचाने वाली रक्त नलिकाओं का अवरुद्ध होना है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक व हृदय की मांसपेशियों कमजोर हो जाती (अज्ञात कारणों से या संक्रमण, ड्रग्स, मधुमेह..इत्यादि) हैं। उच्च रक्तचाप भी हार्ट फेल्योर का एक प्रमुख कारण है।"

हृदय से जुड़ी जन्मजात समस्याओं की वजह से भी हार्ट फेल्योर हो सकता है।

मुंबई स्थित क्लाउडिन ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स के फीटल व मैटरनल मेडिसिन विभाग के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर शांतला वादेयार ने अनुसार,

"हृदय की जन्मजात समस्याओं के साथ पैदा हुए बच्चों का विकास बहुत धीमा होता है और वे समान उम्र के बच्चों की तुलना में छोटे रह जाते हैं। उनमें समस्या जीवन भर बनी रह सकती है।"

हार्ट फेल्योर का प्रारंभिक लक्षण

हार्ट फेल्योर का प्रारंभिक लक्षण थकावट व सांस फूलना है। इससे चलना-फिरना, सीढ़ी चढ़ना, सामान ढोने की रोजना की गतिविधियां प्रभावित होती हैं।

हार्ट फेल्योर के चेतावनी संकेतों में सांस फूलना, खांसी या घरघराहट, शरीर के ऊतकों में अत्यधिक तरल जमा होना, थकावट, मिचली आना, बदहजमी तथा हृदय गति का बढ़ना है।

चंद्रा ने कहा,

"दरअसल, आपका हृदय तेजी से धड़क कर अपनी खोई क्षमता को पूरा करने की कोशिश करता है, ताकि शरीर के ऊतकों व अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाया जा सके।"

कैसे रोका जा सकता है हार्ट फेल्योर का खतरा

सही खानपान, रोजना कसरत, तैराकी, टहलना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव से दूर रहकर हार्ट फेल्योर के खतरे को रोका जा सकता है।
मधुमेह या उच्च रक्तचाप के मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतना चाहिए। ऐसे लोगों को चिकित्सकों द्वारा दी गई दवाओं का सेवन समय पर करना चाहिए।

चंद्रा ने कहा,

"अभी तक हार्ट फेल्योर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एक कमजोर हृदय को और कमजोर होने से रोकने के उपाय हैं।"

शिरोडकर ने कहा,

"उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण, चिकित्सकों से नियमित तौर पर परामर्श, धूम्रपान से दूर रहना, शराब का कम से कम सेवन, उपयुक्त आहार के साथ जीवनशैली में बदलाव, रोजाना व्यायाम जैसे कुछ उपाय हैं, जो हार्ट फेल्योर से बचाते हैं।"

हृदय रोग के साथ जन्मे बच्चों के लिए भी एक अच्छी खबर है कि कई जन्मजात हृदय रोगों का इलाज संभव है।

वेदेयार ने कहा,

"हृदय से जुड़ी कई जन्मजात बीमारियां (सीएचडी) का भी इलाज हो सकता है और बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों में सीएचडी का समय रहते पता चल जाए, ताकि चिकित्सक माता-पिता को इलाज संबंधी सही सलाह दे सकें।"

हृदय की क्षति को रोकने के लिए कभी-कभी सर्जरी भी की जा सकती है, जिससे हृदय के कार्य में सुधार होता है।

(इनपुट्स-देशबन्धु)

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