गोरखपुर: न्यूरो इंटरवेंशन के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति (Technological progress in the field of neurointervention) ने धमनी विस्फार के मरीजों के इलाज (Treatment of arterial eruption patients) के लिए बेहतर और सुरक्षित विकल्प प्रदान किया है।
धमनी विस्फार (arterial aneurysm) मस्तिष्क से जुड़ी हुई एक बहुत ही गंभीर समस्या है, जहां खून की नसें सूजन के कारण गुब्बारे का आकार ले लेती हैं।
इस समस्या के इलाज में देरी करने से यह जानलेवा साबित हो सकती है क्योंकि बढ़ती सूजन के साथ खून की नसें कभी भी फट सकती हैं, जिसके बाद मस्तिष्क में भारी ब्लीडिंग हो सकती है। इस समस्या के लक्षणों में आमतौर पर हर वक्त या जल्दी-जल्दी होने वाला सिरदर्द या नजर का कमजोर होना शामिल है। लेकिन ये लक्षण कई बार कई हफ्तों तक नजर नहीं आते हैं और परिणामस्वरूप व्यक्ति ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क में खून का बहाव) या स्ट्रोक का शिकार बन जाता है।
नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी विभाग के हेड व वरिष्ठ सलाहकार, डॉक्टर चंद्रिल चुघ ने बताया कि,
“एडवांस एंडोवस्कुलर कॉयलिंग एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसकी मदद से बेहतर इलाज और रोगी के लिए बेहतर जीवन संभव हो पाता है। यह विकल्प बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि इसमें किसी चीरे की जरूरत नहीं पड़ती है और मरीज को ठीक करने में बेहद कारगर है। हालांकि, इलाज में केवल 2-3 घंटे लगते हैं लेकिन अस्पताल में रुकने का समय
उन्होंने बताया कि धमनी विस्फार के हर मामले में इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। इसका इलाज सूजन के आकार, जगह और रचना पर निर्भर करता है। यह समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकती है लेकिन आमतौर पर यह मस्तिष्क में ही विकसित होती है। नसों के फटने के बाद रोगी को इलाज की तत्काल आवश्यकता होती है अन्यथा वह अपनी जान तक गवां सकता है।
डॉक्टर चंद्रिल चुघ ने आगे बताया कि,
“एंडोवस्कुलर कॉयलिंग ब्रेन ब्लीडिंग के हर प्रकार का इलाज करने में कारगर है, जो न सिर्फ रोगी की जान बचाने में मदद करता है बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है। इस प्रक्रिया में धमनी विस्फार की जगह पर कॉयल वाली एक माइक्रो-केथेटर जोड़ दी जाती है, जिससे प्रभावित जगह की ओपनिंग को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाता है।”
ब्रेन ब्लीडिंग की समस्या अनुवांशिक बीमारी नहीं है और अधिकांश मामलों परिवार के सदस्यों की स्क्रीनिंग नहीं की जाती है। लेकिन कुछ मामलों में, जहां परिवार में पहले भी कोई इस गंभीर बीमारी से गुजर चुका हो, परिवार के सदस्यों की भी स्क्रीनिंग की जाती है।
यह समस्त जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई है।