नई दिल्ली, 02 नवबंर। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में दमे के बारे में स्कूलों के लिए एक नियमावली जारी की। यह नियमावली एक गैर लाभकारी संगठन लंग केयर फाउंडेशन Lung Care Foundation ने तैयार की है और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्तान एम्स (नई दिल्ली), सर गंगा राम अस्पताल (नई दिल्ली), फोर्टिस (कोलकाता) और अपोलो (बेंगलुरू) के डॉक्टरों सहित भारत के प्रमुख डॉक्टरों ने इसकी समीक्षा की है।
What is asthma?
संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार की एक आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक अस्थमा फेफड़ों की सूजन की बीमारी है। यह सूजन प्रक्रिया पूरे वायुमार्ग के साथ नाक से फेफड़ों तक हो सकती है। एक बार जब फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन हो जाती है तो, यह संकुचित हो जाता है, और फेफड़े के ऊतकों में हवा कम हो जाती है। इससे घरघराहट, खांसी, सीने में कठोरता, और सांस लेने में परेशानी होती है। अस्थमा के दौरे के दौरान, वायुमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियां कस जाती हैं और अस्थमा के लक्षण सामान्य से भी बदतर हो जाते हैं।
पहले अस्थमा एक मामूली बीमारी माना जाता था, लेकिन अब अस्थमा बचपन का सबसे आम गंभीर विकार most common chronic disorder in childhood है।
पिछले 15 वर्षों में अस्थमा का प्रसार धीरे-धीरे बढ़ गया है। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में, लगभग 40 मिलियन लोग - 13.3 प्रतिशत वयस्क और 13.8 प्रतिशत बच्चे - अस्थमा के साथ डायग्नोज़ किए गए हैं।
Asthma effect on children
लंग केयर फाउंडेशन के सीइओ और सह संस्थापक अभिषेक कुमार मुताबिक, स्कूल जाने वाले 10 प्रतिशत से अधिक बच्चे दमा से पीड़ित हैं। यदि दमे को ठीक
मानव स्वास्थ्य पर मौसम और जलवायु के प्रभाव महत्वपूर्ण और विविध हैं। जलवायु परिवर्तन से संबंधित स्वास्थ्य खतरों का एक्सपोजर विभिन्न लोगों और विभिन्न समुदायों को अलग-अलग डिग्री पर प्रभावित करता है। लेकिन जब व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन किया जाता है तो जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ता है। यूएस में एक अध्ययन में सामने आया कि एक फ्रीवे के 150 मीटर के भीतर रहने वाले बच्चों को दूर रहने वाले बच्चों की तुलना में अस्थमा का निदान होने की अधिक संभावना थी।
एक अन्य अध्ययन के मुताबिक जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन हो रहा है, मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन मौजूदा स्वास्थ्य खतरों को बढ़ाएगा और नई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का निर्माण होगा।
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( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय परामर्श नहीं है। यह समाचारों में उपलब्ध सामग्री के अध्ययन के आधार पर जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई रिपोर्ट मात्र है। आप इस समाचार के आधार पर कोई निर्णय कतई नहीं ले सकते। स्वयं डॉक्टर न बनें किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें।)