ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड प्रांतों में भीषण आग लगी हुई है। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग (Australia's forest fire) अब अपना विकराल रूप लेती हुई आगे बढ़ने लगी है। न्यू साउथ वेल्स में एक सप्ताह के आपातकाल की घोषणा की गई है। ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर सिडनी में पहली बार विपत्तिकारी आग की चेतावनी (‘catastrophic’ fire warning) जारी की गई है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख राजनेताओं का कहना है कि यह समय जलवायु परिवर्तन पर बात करने का नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों ने अपने अनुभवों को आधार पर कहा है कि जंगलों की आग का जलवायु परिवर्तन से सीधा संबंध है।
ऑस्ट्रेलिया, खासकर दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया में आग का खतरा एक लंबी अवधि में लगातार बढ़ा है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो के अनुसार, आग का मौसम लंबा हो गया है। दक्षिण-पूर्व में सर्दियों की बारिश कम हो रही है, जबकि देश में अत्यधिक गर्मी से गर्मी हो रही है, जो जंगलों की आग फैलने की आदर्श स्थिति है।
मौसम विज्ञान ब्यूरो ( Bureau of Meteorology) और राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन -सीएसआईआरओ (Commonwealth Scientific and Industrial Research Organisation (CSIRO) ऑस्ट्रेलिया की जलवायु में और भविष्य के परिवर्तनों की निगरानी, विश्लेषण और संचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सितंबर 2019 में प्रकाशित एक अन्य शोधपत्र (Understanding the variability of Australian fire weather between 1973 and 2017) 1973 और 2017 के बीच ऑस्ट्रेलियाई आग के मौसम की परिवर्तनशीलता को समझते हुए शोधकर्ता सारा हैरिस व क्रिस लुकास (Sarah Harris, Chris Lucas) लगभग इसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जंगलों की आग का जलवायु परिवर्तन से सीधा संबंध है।
मौसम की घटनाओं और
अमेरिका के शोधकर्ताओं जॉन टी. अबज़्टोग्लौआ (John T. Abatzogloua), और ए. पार्क विलियमस्ब (A. Park Williamsb) के जलवायु अग्नि पत्र 2016 (climate fire paper 2016) के अनुसार, पश्चिमी अमेरिका में 1984-2015 के मध्य जलती हुई वन भूमि की मात्रा लगभग दोगुनी हो गई थी।
हालांकि जंगलों में आग फैलने की परिस्थितियां कई दशक से बन रही थीं, लेकिन हाल के कुछ महीनों में स्थिति गंभीर हुई। ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में विगत 34 माह का भयंकर सूखा था, इसमें वह भाग भी शामिल है, जहां आग लगी हुई है। पिछले तीन वर्षों में कुछ क्षेत्रों में सर्दियों में होने वाली बारिश आधे से भी कम रह गई। पिछला महीना अक्टूबर दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में सर्वाधिक सूखा महीना था।
इस वैज्ञानिक सहमति के बावजूद कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण ऑस्ट्रेलिया में आग का खतरा बढ़ रहा है, कुछ सरकारी हस्तियों ने आग पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की किसी भी चर्चा पर आपत्ति जताई है। जबकि कुछ प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों ने अपने अनुभवों को आधार पर इन राजनेताओं के रुख की निंदा करते हुए साफ कहा है कि जंगलों की आग का जलवायु परिवर्तन से सीधा संबंध है।
अमांडा मैकेंजी, जलवायु परिषद के सीईओ (Amanda McKenzie, CEO of the Climate Council) के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण ऑस्ट्रेलिया में कहर जारी है। हमने हाल ही में सर्दियों में जगलों की आग देखी और गर्मियों के दृष्टिकोण से आने वाले महीनों में और अधिक गर्मी और आग की स्थिति बनती दिखाई देती है।
न्यू साउथ वेल्स के पूर्व आग और बचाव कमिश्नर ग्रेग मुलिंस, (Greg Mullins, former Fire and Rescue New South Wales commissioner) कहते हैं कि अगर कोई आपको बताता है," यह एक सामान्य चक्र का हिस्सा है "या" हम पहले भी इस तरह की आग का सामना कर चुके थे", तो विनम्रता से मुस्कुराएं और दूर चले जाएं, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मुझे पूरा विश्वास है कि जब धुआं और धूल जम जाएगी, तब हमारी राष्ट्रीय सरकार, अंत में स्पष्ट रूप से देखेगी और "अभूतपूर्व" शब्द को समझेगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इसके बाद इस आग के मूल कारण – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई शुरू हो जाएगी और फिर सही काम करने के लिए अन्य देशों पर दबाव के लिए उच्च नैतिक आधार का उपयोग किया जाएगा।
ऐसे समय में जब दुनिया भर की सरकारें पेरिस समझौते के अनुरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के उपाय कर रही हैं और वैकल्पिक आर्थिक रास्तों की तलाश कर रही हैं, ऑस्ट्रेलिया के पास कोयला बाजार पर अपनी निर्भरता को बदलने की कोई योजना नहीं है। इसके बजाय, ऑस्ट्रेलिया अपने कोयला निर्यात को दोगुना करने की योजना बना रहा है और उसने तरलीकृत प्राकृतिक गैस - liquefied natural gas(LNG) के अपने निर्यात को तीन गुना कर दिया है।
अमलेन्दु उपाध्याय