अगर अखिलेश सरकार ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई की होती तो तारिक कासमी छूट गया होता क्योंकि उसे तथा खालिद को इस मामले में झूठा फंसाया गया है जबकि इन बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली है। नतीजतन अब उसको लखनऊ बम ब्लास्ट केस में गलत सज़ा होने जा रही है। उसके साथी खालिद मुजाहिद की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गयी थी जिसका मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
इस मामले में तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजी बृज लाल तथा अन्य पुलिस अधिकारी हत्या के षड्यंत्र के आरोपी हैं। इस मामले में सीबीसीआईडी विवेचना कर रही थी जिसने योगी सरकार आने पर अंतिम रिपोर्ट प्रेषित कर दी है जो अभी भी न्यायालय में लंबित है।
योगी सरकार ने बृज लाल को एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष के पद से पुरस्कृत किया है। बृज लाल मायावती के बहुत खास रहे हैं और मायावती ने ही उसे स्पेशल डीजीपी भी बनाया था। पर बाद में उसकी आस्था पलटी मार गई और वह भाजपा में चला गया।
एस. आर. दारापुरी, लेखक उप्र पुलिस के अवकाशप्राप्त आईजी हैं।