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दस फीसदी स्कूली बच्चे हैं अस्थमा के शिकार, स्कूलों के लिए 11 भाषाओं में दिशानिर्देश जारी

अस्थमा से राहत के लिए स्कूलों में जारी की गई गाइडलाइन्स, 11 भाषाओं में मिलेगी बच्चों को मदद.

Dr. Harsh Vardhan launches Asthma Manual for Schools in 11 different languages

“Children with asthma can be healthy, happy and lead an active school life’’ says the Minister

नई  दिल्ली, 02 नवंबर। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में दमे के बारे में स्कूलों के लिए एक नियमावली जारी की। यह नियमावली एक गैर लाभकारी संगठन लंग केयर फाउंडेशन Lung Care Foundation ने तैयार की है और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्तान एम्स (नई दिल्ली), सर गंगा राम अस्पताल (नई दिल्ली), फोर्टिस (कोलकाता) और अपोलो (बेंगलुरू) के डॉक्टरों सहित भारत के प्रमुख डॉक्टरों ने इसकी समीक्षा की है।

एक लाख से अधिक स्कूलों में लागू होगा अस्थमा मैनुअल | Asthma manual will be implemented in more than one lakh schools

11 विभिन्न भाषाओं में अनुवादित इस नियमावली को भारत भर के पर्यावरण क्‍लबों (इको क्लबों) के जरिये एक लाख से अधिक स्कूलों में लागू करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा स्वीकार किया गया है। इस नियमावली को सरल भाषा में तैयार किया गया है, इसमें बच्चों में दमा और स्कूलों द्वारा लागू की जाने वाली बेहतरीन कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी को शामिल किया गया है।

इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “दमा नियमावली स्कूली पर्यावरण प्रणाली में दमे के संबंध में मौलिक जानकारी प्राप्त करने में सभी साझेदारों की मदद करेगा और

ऐसा माहौल तैयार करने की दिशा में उचित और अमल में लाने योग्य समाधान की पेशकश करेगा जिससे दमे का प्रभावी प्रबंध किया जा सके और इससे पीड़ित बच्चे स्कूल में स्वस्थ, खुशहाल और सक्रिय जीवन बिता सकें”।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, कि पल्स पोलियो अभियान के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव से, मैं आश्वस्त हूं कि अध्यापकों, स्कूल प्रशासन, माता-पिता और बच्चों के मिलेजुले प्रयासों से हम स्कूलों में दमा के संबंध में सहयोगपूर्ण माहौल तैयार करने और देश के प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे।

भारत में बढ़ रही है दमा की प्रवृत्ति वाले बच्चों की संख्या | The number of children with asthma tendency

इस पहल को उजागर करते हुए लंग केयर फाउंडेशन के सीइओ और सह संस्थापक अभिषेक कुमार ने कहा,

“भारत में दमा की प्रवृत्ति वाले बच्चों की बढ़ती संख्या के साथ ऐसी जानकारी काफी महत्वपूर्ण हो गई है”।

स्कूल जाने वाले 10 प्रतिशत से अधिक बच्चे दमा से पीड़ित हैं। यदि दमे को ठीक से नियंत्रित नहीं किया जाए तो बच्चे की शारीरिक वृद्धि में बाधा आ सकती है। बच्चे के जल्दी-जल्दी स्वास्थ्य देखरेख सुविधाएं लेने की वजह से उसके कक्षा में अनुपस्थित रहने और अपने साथियों के साथ कदम से कदम नहीं मिला पाने के कारण इसका बच्चे पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है।

दमा के बारे में आपात स्थिति में उठाए जाने वाले कदम | Steps to be taken about emergencies in asthma

अभिषेक कुमार ने कहा, दमे के बारे में और आपात स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी नहीं होने के कारण हाल में स्कूलों में अनेक मौतों के मामले सामने आए हैं। इन सभी को रोका जा सकता है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि स्कूल का नेतृत्व और कर्मचारी समस्या की मौजूदगी और उसकी गंभीरता को समझकर दमे के लिए अनुकूल माहौल बनाएं और सक्रिय उपाए करें तथा सुरक्षा, स्वास्थ्य और छात्रों की भलाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत एक आपात दमा प्रबंधन योजना तैयार करें। यह समझने की आवश्यकता है कि दमे से पीड़ित बच्चे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। दमे को यदि नियंत्रण में कर लिया जाए तो ये बच्‍चे उच्च स्तर के खेलों की प्रतिस्पर्धा में भी भाग ले सकते हैं।

अभिषेक कुमार ने कहा, इस नियमावली में प्रदान की गई जानकारी और सिफारिशें भारत में स्कूलों की जरूरतों से संबंधित दमे के प्रमाणों पर आधारित हैं। इस नियमावली का डिजाइन इस प्रकार तैयार किया गया है कि अध्यापक, स्कूल प्रशासन, माता-पिता और छात्र सहित स्कूल समुदाय का कोई भी सदस्य इस्तेमाल कर सकता है।

यह नियमावली भारत में अपने किस्म की पहली है और इससे देश के छात्रों के लिए एक सुरक्षित माहौल देने में मदद मिलेगी। इस समस्या से निपटने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में इसी तरह की अनेक पहलें की गई हैं।

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