राजगढ़, 1 अक्टूबर 2017, मोदी सरकार द्वारा कर्ज माफी, लागत के डेढ़ गुना दाम देने के मुद्दे पर किसानों के साथ की गयी वादा खिलाफी व गहराते कृषि संकट के विरूद्ध देश के डेढ़ सौ से ज्यादा किसान संगठनों द्वारा गठित अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा संचालित आंदोलन के तहत 20 नवंबर से जंतर-मतर नई दिल्ली पर किसान संसद का निर्णय लिया है। जिसकी तैयारी के लिए पूरे देश में किसान मुक्ति यात्रा निकाली जा रही है। इसी क्रम में 2 अक्टूबर गांधी जंयती पर चम्पारण से यात्रा की शुरूवात होगी जो वाराणसी में 5 अक्टूबर को पहुंचेगी। यात्रा में प्रो0 योगेन्द्र यादव, अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, वीएम सिंह सहित किसान संगठनों के नेतागण वाराणसी आयेगें। वाराणसी में आयोजित सभा में मिर्जापुर, सोनभद्र व चंदौली से भी किसान प्रतिनिधि शामिल होगें।
यह बातें इस यात्रा की तैयारी के लिए राजगढ़ पहुंची मजदूर किसान मंच की टीम का नेतृत्व करते हुए स्वराज अभियान राज्य कार्यसमिति सदस्य दिनकर कपूर ने आज प्रेस को जारी बयान में कहीं।
टीम में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश महामंत्री राजेश सचान, मजदूर किसान मंच के नेता मनोज भारती, सीताराम कोल, अंगद कुशवाहा, मटर कोल आदि लोग शामिल रहे। टीम ने राजगढ़ ब्लाक के निकरिका, खोराडीह, चैखड़ा, भरकांे, सेमरा बरहों, खटखरिया आदि गांवों का दौरा किया।
मजदूर किसान मंच की टीम द्वारा जारी बयान में कहा गया कि मोदी सरकार की नोटबंदी व जीएसटी सहित वित्तीय पूंजी के हित में संचालित नीतियों से खेती सहित अनौपचारिक क्षेत्र तबाह हो गया है। खेती-किसानी को बचाने के बजाय सरकार कांट्रैक्ट/कारपोरेट फार्मिंग की दिशा में बढ़ रही है, जिसके भयावह परिणाम होंगे। इसलिए खेती-किसानी को बचाने के लिए सहकारी कृषि सही विकल्प है। इसी परिप्रेक्ष्य में मजदूर किसान मंच मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली में सहकारी कृषि आंदोलन संचालित करेगा। जिसमें सहकारिता पर बजट बढ़ाने, जंगल की कृषि योग्य खाली जमीनों पर फलदार वृक्षारोपण व
टीम ने पाया कि मिर्जापुर में रोजी-रोटी के गंभीर संकट से युवाओं का भारी पलायान हो रहा है, आम तौर पर मनरेगा का काम ठप है, यहां तक कि साल-साल भर से बकाया मजदूरी का भी भुगतान नहीं हुआ। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन नहीं हुआ है और वन विभाग द्वारा पुश्तैनी तौर पर बसे आदिवासियों व वनाश्रितों को भी बेदखल करने का अभियान चलाया जा रहा।