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नई दिल्ली। अगर आप टीवी पत्रकार हैं, तो भले ही आप राजीव शुक्ला के नौकर रहे हों या रजत शर्मा के, आप प्रभाष जोशी और रघुवीर सहाय को भी पत्रकारिता पर लेक्चर झाड़ सकते हैं।

दरअसल “हिन्दुस्तान” अखबार की पूर्व प्रधान संपादक मृणाल पांडे ने रविवार को एक ट्वीट किया, जिस पर दिन भर सोशल मीडिया में मृणाल पांडे ट्रोल होती रहीं। मृणाल पांडे की ट्रोलिंग करने संघी आर्मी तो उतरी ही, कुछ टीवी पत्रकार भी उतरे।

मृणाल पांडेय ने ट्वीट करते हुए गधे को फोटो पोस्ट किया था – “#JumlaJayanti पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन ।“

हालाँकि मृणाल पांडेय ने न तो किसी राजनेता का नाम लिया था, न किसी विचारधारा का। लेकिन इंडिया टीवी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर और बीईए के सेकेट्ररी अजीत अंजुम ने मृणाल पांडे के उस ट्वीट पर उन्हें कुछ सलाह दे डाली।

अजीत अंजुम का कहना है कि इस नसीहत के जवाब में मृणाल पांडे ने उन्हें (अजीत अंजुम) को अपने ट्विटर हैंडल पर ब्लॉक कर दिया।

इसके बाद अजीत अंजुम ने मृणाल पांडे के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट लिखकर भड़ास निकाली।

ये देखिए वो ट्वीट जिस पर अजीत अंजुम ने एतराज जताया था।

मृणाल पांडे के इस ट्वीट पर अजीत अंजुम ने उन्हें नसीहत देते हुए लिखा कि कल पीएम मोदी का जन्मदिन था . देश -दुनिया में उनके समर्थक /चाहने वाले /नेता/कार्यकर्ता /जनता /मंत्री /सासंद / विधायक जश्न मना रहे थे . उन्हें अपने -अपने ढंग से शुभकामनाएँ दे रहे थे . ये उन सबका हक़ है जो पीएम मोदी को मानते -चाहते हैं . ट्वीटर पर जन्मदिन की बधाई मैंने भी दी . ममता बनर्जी और राहुल गांधी से लेकर तमाम विरोधी नेताओं ने भी दी . आप न देना चाहें तो न दें ,

ये आपका हक़ है . भारत का संविधान आपको पीएम का जन्मदिन मनाने या शुभकामनाएँ देने के लिए बाध्य नहीं करता . आप जश्न के ऐसे माहौल से नाख़ुश हों , ये भी आपका हक़ है . लेकिन पीएम मोदी या उनके जन्मदिन पर जश्न मनाने वाले उनके समर्थकों के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करें , ये क़तई ठीक नहीं ...हम -आप लोकतंत्र की बात करते हैं . आलोचना और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों की बात करते हैं ..लेकिन लोकतांत्रिक अधिकारों के इस्तेमाल के वक्त आप जैसी ज़हीन पत्रकार /लेखिका और संपादक अगर अपनी नाख़ुशी या नापसंदगी ज़ाहिर कहने के लिए ऐसे शब्दों और चित्रों का प्रयोग करेगा .. पीएम के समर्थकों की तुलना गधों से करेगा तो कल को दूसरा पक्ष भी मर्यादाओं की सारी सीमाएँ लाँघकर हमले करेगा तो उन्हें ग़लत किस मुँह से कहेंगे ...सीमा टूटी तो टूटी . कितनी टूटी , इसे नापने का कोई इंची -टेप नहीं है ...सोशल मीडिया पर हर रोज असहमत आवाजों या विरोधियों की खाल उतारने और मान मर्दन करने के लिए हज़ारों ट्रोल मौजूद हैं ..हर तरफ़ /हर खेमे में ऐसे ट्रोल हैं . ट्रोल और आपमें फ़र्क़ होना चाहिए ...

आप साप्ताहिक हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान की संपादक रही हैं . हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा पर आपकी ज़बरदस्त पकड़ है . फिर अभिव्यक्ति के लिए ऐसी भाषा और ऐसे प्रतीक क्यों चुने आपने ? सवाल आपके आक्रोश या आपकी नाराज़गी का नहीं है .अभिव्यक्ति के तरीक़े पर है 

अपने नेता की जयंती पर कोई जश्न मनाए,ये उनका हक़ है.जश्न पर असहमति आपका हक़ है..लेकिन असहमति का ये तरीक़ा आपके स्तर को ही नीचे गिराता है . मृणाल जी,मर्यादा की सारी सीमाएँ लाँघने वाले ट्रोल और आपमें कोई तो फ़र्क़ होना चाहिए .

आप तो इतनी सीनियर पत्रकार/संपादक रही हैं.फिर ये क्या?आलोचना/विरोध और असहमति का ये स्तर?आप जैसी ज़हीन पत्रकार/संपादक पीएम के लिए ऐसी टिप्पणी करें, शोभा नहीं देता। 

बाद में मृणाल पांडेय ने एक और ट्वीट किया

“लोकतंत्र में हरेक को खुश रहने का समान हक है, सिर्फ विशिष्टजनों को ही नहीं। इसीलिये सदासुखी वैशाखनंदन को देवभाषा में देवानांप्रिय भी कहते हैं।“

इस पर जनसत्ता मुंबई के पूर्व संपादक प्रदीप सिंह ने पूछा –

“देव भाषा में आप जैसे लोगों को क्या कहते हैं मृणाल जी। सहज जिज्ञासावश पूछ लिया”

इस पर खुद को हिंदी खबर चैनल का संपादक कहने वाले अतुल अग्रवाल ने उत्तर दिया –

“काँग्रेस की 'दल्ली' हैं आप मगर अब पद-प्रतिष्ठा, फोकट की मलाई से हाथ धो बैठीं हैं इसीलिए बौरा गई हैं. वैचारिक गधइय्या आप स्वयं हैं”

अतुल अग्रवाल ने अपने उत्तर में @BJP4India को मैंशन भी किया।

अब सवाल यह है कि जब मृणाल पांडेय ने किसी राजनेता, उसके समर्थक या भक्त का नाम लिया ही नहीं था तो इन पत्रकारों को “जुमलाजयंती” और “वैशाखनंदन” इतने बुरे क्यों लग गए।

बाद में मृणाल पांडेय ने टीवी पत्रकार प्रियदर्शन के एक ट्वीटको रिट्वीट करके इशारों-इशारों में उत्तर दिया।

“किसी ने चर्चिल को मूर्ख कहा, गिरफ़्तार हो गया। ब्रिटिश संसद में हंगामा हुआ। चर्चिल बोले, मूर्ख कहना नहीं, एक गोपनीय राज उजागर करना जुर्म है।“

अजित अंजुम के एक फेसबुक पोस्ट पर सुधीर मौर्या ने कमेंट किया –

“मृणाल पांडेय द्वारा किए गए ट्विट में ऐसा कुछ नहीं था जिससे हमें या आपको शर्मिंदा होना पड़े। एक प्रधानमंत्री जो गालीबाज़ों , रेप की धमकी देने वालों, गुंडों और मवालियों को ट्विटर पर फॉलो करे। देश दुनिया की मीडिया द्वारा ख़बर करने के बावजूद, आलोचना के बाद भी उन्हें अनफॉलो न करे , उसके प्रति मृणाल पांडे के इस नज़रिए से मुझे कोई आपत्ति नहीं।

मृणाल को घेरने वाले क्या नहीं जानते कि आज जिस भाषा में राजनैतिक विमर्श हो रहा है उसकी शुरूआत कहां से हुई, क्या उन्हें नहीं पता कि प्रधानमंत्री की बोली-भाषा, हावभाव, कटाक्ष, व्यंग किस दर्जे का हुआ करता है। जिस पद की गरिमा का 2014 के आम चुनावों के बीच चीरहरण किया गया, क्या हरण करने वालों के बारे में हमें नहीं पता। असल में हमें पता है, हम जानते हैं लेकिन हम सब उन बेबस और कमज़ोर भारतीय माँ बाप की तरह हैं जो दबंग द्वारा पीटे गए अपने ही बच्चों को डांट फटकार देते हैं।

भगवा खेमा काउंटर अटैकिंग करता है। वह बताता है कि देखिए, मृणाल भी वैसी हैं। कैसी हैं मृणाल यह हमें पता है। मृणाल, वैचारिक विरोध करते वक्त माँ बहन की गाली नहीं देती, मृणाल अपने राजनीतिक पक्ष की आलोचना पर जान से मारने की बात नहीं करती। इतना भी क्षमाप्रार्थी नहीं होना चाहिए, कि उन्हें(भगवा खेमा) फ्री हिट दे दिया जाए। और फिर जिस प्रधानमंत्री के लिए मेरे उदारवादी मित्र छाती पीट रहे हैं उसी प्रधानमंत्री ने देश के पूर्व उपराष्ट्रपति के विदाई समारोह में उन्हें ट्रोल किया था। कई बार हम, अति नैतिकतावादी बन जाते हैं या फिर इस बहाने चीज़ों को बैलेंस करना चाहते हैं। जो भी हो, मैं वरिष्ठ पत्रकार, हिंदुस्तान समाचार पत्र की पूर्व चीफ एडिटर तथा प्रसार भारती की पूर्व चेयरपर्सन के पक्ष में खड़ा हूं।“

अजित अंजुम की बेचैनी को एक फेसबुक यूज़र प्रदीप शर्मा ने यूँ व्यक्त किया

“अब अजीत अंजुम जी क्या बताएंगे...जिस मकसद से ये अभी नये पद पर वमियो ने बैठाये थे पूरा न कर सके...गौरी लंकेश को लेकर जो इन्होंने हंगामा काटा शायद किसी ओर पत्रकार को लेकर किया हो..पर बाजी उलट गई जब गौरी लंकेश के बिरोध में इन्होंने वामपंथियों को बुलाया..ओर ये अकेले पड़ गये... अब न ये बामियो के ओर न ही राष्ट्रवादियों के..!”

दरअसल वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद अजित अंजुम ने दक्षिणपंथियों के विरुद्ध लिखा था, समझा जा रहा है कि खामख्वाह निष्पक्षता का ढोल पीटने के लिए वे मृणाल पांडेय को सलाह दे बैठे।

आज सुबह मृणाल पांडेय ने एक चित्र पोस्ट करके दिन की शुरूआत की, जिस पर लिखा था –

“If you stand for a reason,be prepared to stand alone like a tree. If you fall on the ground, fall as a seed that grows back to fight again. Good Morning.”

 

चलते-चलते मृणाल पांडेय का ट्वीट भक्त संप्रदाय के पत्रकारों को जनता के सामने खड़ा कर गया।

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