नई दिल्ली, 17 सितंबर 2019. ईरानी इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई (Ayatollahil Uzma Syed Ali Khamenei) ने जोरदार शब्दों में अमरीका को हड़काया है।
आज प्रातः धार्मिक शिक्षा सत्र के आरंभ में अपने शिष्यों के मध्य एक भाषण में, दुश्मनों के चार दशकों से जारी षडयंत्रों की ओर से ईरानी जनता की चेतना की सराहना करते हुए ख़ामेनई ने अमरीका से वार्ता का मुद्दा उठाए जाने का उल्लेख किया और इसे अमरीकी हथकंडा बताया ताकि अमरीका यह साबित कर सके कि ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति सफल रही है।
पार्स टुडे की एक खबर के मुताबिक वरिष्ठ नेता ने वार्ता के बारे में अमरीकी अधिकारियों के रुख का उल्लेख करते हुए कहा कि कभी वह कहते हैं कि बिना शर्त की बात चीत करेंगे और कभी बात चीत के लिए 12 शर्तें पेश करते हैं, इस प्रकार की बातें धूर्तता और धोखा देने के लिए की जाती हैं किंतु हम धोखा नहीं खाएंगे क्योंकि हमारा रास्ता स्पष्ट है और हमें पता है कि हमें क्या करना है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता (leader of the Islamic Revolution) ने वार्ता से अमरीकियों का उद्देश्य, न्यायपूर्ण समाधान नहीं, दुस्साहसपूर्ण मांगों को थोपना बताया और कहा कि पहले केवल मैं यह कहता था कि वार्ता से अमरीकियों का उद्देश्य अपनी मांगें थोपना है किंतु अब वह इतनी दुस्साहसी हो गयी हैं कि स्वंय भी यही कहते हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस प्रकार की वार्ता के लिए अमरीकियों को उन लोगों के पास जाना चाहिए जो उन के लिए दुधारु गाय बने हुए हैं, इस्लामी गणतंत्र ईरान, धर्म पर आस्था रखने वालों, अल्लाह के सामने शीश झुकाने वाले मुसलमानों और प्रतिष्ठा रखने वाला देश है।
खबर के मुताबिक वरिष्ठ नेता ने अमरीका से वार्ता के बारे में अपनी बातों को दो बिन्दुओं में संक्षिप्त रूप से बयान किया।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर अमरीका अपनी बात वापस ले ले, अपने किये पर पछताए और जिस परमाणु समझौते का उल्लंघन किया है उसमें वापस आ जाए तो उस समय वह इस समझौते के सदस्य अन्य देशों के साथ बात चीत में शामिल होकर ईरान से वार्ता कर सकता है अन्यथा इस्लामी गणतंत्र ईरान और अमरीका के मध्य किसी भी प्रकार की वार्ता किसी भी स्तर पर नहीं होगी, न न्यूयार्क में और न ही कहीं और।
No negotiations will take place between Iran & U.S. officials at any level - Ayatollah Khamenei