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रवींद्र का दलित विमर्श -10

पलाश विश्वास

बेहद जल्दी में लिख रहा हूं और टाइपिंग में वर्तनी व्याकरण की गलतियां हो सकती है। हम आज रवींद्र पर अपनी चर्चा को थोड़ी विलंबित करने की सोच रहे थे। क्योंकि अभी तक वह संवाद शुरु नहीं हो सका है, जो हमारा मकसद है।

कल ही हमने भारत के भविष्य की चर्चा की चर्चा करते हुए रवींद्र के निबंध सभ्यता के संकट और डा.अमर्त्य सेन के रवींद्र और गांधी के संवाद के परिप्रेक्ष्य में भारत की परिकल्पना के बारे में नोबेल डाटआर्ग की चर्चा की थी, जिसे आज अमलेंदु ने वीडियों पर पढ़कर सुनाया और हम इसे अहिंदी भाषी पाठकों तक शेयर करने में लगे थे। आज रवींद्र साहित्य से हमने कुछ शेयर नहीं किया है। लेकिन रवींद्र के भारत के भविष्य को लेकर जो अंदेशा था और सत्ता हस्तातंरण के भारत के भविष्य के सांप्रदाटिक रुप में अंध राष्ट्रवाद के तहत खंडित राष्ट्रीयता को लेकर जो आतंक के चित्र हैं, वे हरियाणा, राजधानी नई दिल्ली और पंजाब में खुलकर सामने आ गये हैं।

भगवान, साध्वी और डेरा...! चंडीगढ़ और दिल्ली की सत्ता इस भगवान के लिए अंब्रेला की तरह है ?

अंग्रेजी हुकूमत के अंत पर स्वतंत्रता की मध्यरात्रि को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जो ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का विश्वविख्यात भाषण में नियति के साथ अभिसार के कथानक के साथ नये भारत के निर्माण का संकल्प किया था, सीधे स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय जनता की ऐतिहासिक जीत की लड़ाई का नेतृत्व करते हुए संविधान सभा में पहुंचे हमारे पुरखों ने नये भारत का संविधान रचते हुए भारत की विविधता, बहुलता और सहिष्णुता के मानव धम्म की प्रस्तावना के साथ समता और न्याय पर आधारित जो भारत बनाने का संकल्प किया था, प्रार्थना सभा में गांधी की हत्या के बाद भारत विभाजन के होलोकास्ट की पृष्ठभूमि में आत्मघाती गृहयुद्ध

का वह नजारा आर्यावर्त के प्राचीन भूगोल और महाभारत के इंद्रप्रस्थ को केंद्रित बेलगाम हिंसा के उत्सव में दोबारा देखने को मजबूर हैं।  

अदालती फैसले के बाद बलात्कार के आरोप में दोषी पाये गये एक राम रहीम गुरु के चेलों ने कानून अपने हाथ में ले लिया है और पंजाब की कांग्रेस सरकार, नई दिल्ली में आप की सरकार के बावजूद कानून और व्यवस्था, पुलिस प्रशासन के लिए सीधे जिम्मेदार केंद्र सरकार और इस हिंसा के तांडव के एपिसेंटर हरियाणा की संघी सरकार हिंसा की आशंका और कानून व्यवस्था अमन चैन बनाये रखने के लिए फैसले से पहले जो चेतावनी जारी की है, उसके विपरीत धर्म के नाम सीधे सड़कों पर उतरकर जिस तरह से बेगुनाह आम जनता पर हमले करके अब तक मिली खबरों के मुताबिक कम से कम 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है, वह भारत की नियति का सच है जो बाबाओं और बाबियों के हवाले हैं।

 

बाबा के आगे बेबस सरकार ! ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

विशुद्धता के नाम पर, धर्म के नाम पर देशभक्ति का कारोबार और धर्म कर्म के नाम पर सत्ता में शामिल होकर कारपोरेट मुनाफा कमाने वाले कटकटेला अंधियारे के कारोबारी भगवा ब्रिगेड का भारत की संस्कृति, भारत की धार्मिक विरासत और भारत के इतिहास के खिलाफ, हिंदू धर्म के खिलाफ और मनुष्यता के खिलाफ भारत की नियति से बलात्कार है।

भारत माता की जयजयकार करते हुए, वंदे मातरम गाते हुए देश की हत्या का यह युद्ध अपराध है।

धर्म के नाम सांप्रदायिक तौर पर विभाजित देश के मानस का यह हाल है कि सैकडो़ं बच्चों के आक्सीजन के बिना तड़पकर मर जाने के बाद, प्राकृतिक आपदाओं के शिकार लाखों लोगों के चरम संकट के बीच सिरे से तटस्थ है लेकिन धर्म कर्म के नाम पर अपराधी राम रहीम के नाम पर हुजूम के हुजूम लोग अपने ही धर्म, भाषा और क्षेत्र के लोगों को मारने और खुद मरने को उतारु है।

कर्नल पुरोहित : राजनीति जिसके पक्ष में खड़ी हो जाए लोकतंत्र की सारी संस्थाएं उसके साथ खड़ी हो जाती हैं

यही रवींद्र के भारत तीर्थ की नियति है और धर्म की राजनीति का हश्र यही है। ईश्वर और धर्म के नाम खुलेआम कत्लेआम करने वाले और संवैधानिक पदों से उनका बचाव करने वाले गुजरात नरसंहार संस्कृति के कातिलों के हावले हमने भारत का भविष्य छोड़ दिया है।

सत्ता हस्तातंरण के बाद भारत का भविष्य क्या होगा, इसके लिए सिर्फ गांधी, अंबेडकर और रवींद्र ही चिंतित नहीं थे, भारतीय बहुजन समाज के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों,  अल्पसंख्यकों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फासीवादी नाजी ताकतों के सांप्रदायिक मंसूबे से यही अंदेशा था।

इस राष्ट्रवाद के मसीहा तो हिटलर और मुसोलिनी हैं

महात्मा ज्योतिबा फूले और गुरुचांद ठाकुर को आशंका थी कि सत्ता हस्तातंरण के बाद पूरे देश पर नस्ली वर्ण वर्ग वर्चस्व कायम हो जायेगा और ब्रिटिश हुकूमत के दौरान उन्हें मिले हकहकूक छिन जायेंगे।

हूबहू वही हो रहा है लेकिन बहुसंख्य बहुजन जनता का समूचा नेतृत्व उसी नस्ली सत्तावर्ग में शामिल है और बहुजन बहुसंख्य जनता धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर उनकी पैदल सेना में तब्दील है।

प्रिय प्रधानमंत्री जी, ऐसा होगा क्या न्यू इंडिया?

मंडल कमीशन की रपट लागू होने के बाद कमंडल की राजनीति के तहत मंदिर मस्जिद विवाद के तहत देश का धर्मांध ध्रुवीकरण रवींद्र का सभ्यता का संकट है तो मंडल कमीशन के मुताबिक पिछड़ों को जनसंख्या के मुताबिक अवसर देने के कार्यभार के तहत पिछड़ों की गिनती अभी तक नहीं हुई है और नस्ली विषमता की राजनीति के तहत नस्ली फासिज्म का राजकाज पिछड़ों को फिर तीन भागों में बांटने पर आमादा है।

समता और न्याय के लक्ष्यों का यह त्रासद अंत है और कोई पूछने वाला नहीं है कि संविधान का क्या हुआ, कानून के राज का क्या हुआ, क्या इसके लिए चीन, अमेरिका, इजराइल या पाकिस्तान जिम्मेदार हैं।

 क्या पैलेट गन का इस्तेमाल केवल कश्मीरी नौजवानों के लिए सुरक्षित है?

अदालती फैसले बेमतलब हो गये हैं। सुविधा के मुताबिक अपराधियों और युद्ध अपराधियों को फिर कत्लेआम के लिए खुल् ला छोड़ा जा जा रहा है।

निजता का मौलिक अधिकार को मान्यता मिल गयी है लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए आधार परियोजना लागू करके आम जनता के कत्लेआम का कारपोरेट हिंदुत्व का एजंडा लागू है।

जिन लोगों ने गांधी की हत्या कर दी, जो लोग ब्रिटिश हुकूमत का साथ दे रहे थे, जो लोग गुजरात नरसंहार और सिखों के कत्लेआम, असम और पूर्वोत्तर में नरसंहार को अंजाम दे रहे थे, वे ही हमारे भाग्यविधाता हैं और हमारी साधु संतों, गुरुओं, फकीरों, बाउलों की महान पंरपरा के खिलाफ भगवा चोला पहनकर धर्म की कारपोरेट कंपनियों के तमाम मैनेजर बने अपराधी तत्व देश में अमन चैन की फिजां को जहरीली बना रहे हैं और हम लोग खामोश तमाशबीन है।