नई दिल्ली, 21 अक्तूबर। विश्व आयोडीन की कमी विकार (आईडीडी) रोकथाम दिवस या विश्व आयोडीन की कमी दिवस (world iodine deficiency day in Hindi) हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। world iodine deficiency day मनाने का उद्देश्य आयोडीन के विषय में जागरूकता पैदा करना व आयोडीन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आयोडीन की कमी से उत्पन्न विकार (Iodine deficiency disorders) दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 19 देशों में अभी भी आयोडीन की कमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक आयोडीन की कमी से बच्चों में बौद्धिक विकलांगता और महिलाओं में समय पूर्व प्रसव व गर्भपात होता है।
आयोडीन एक खनिज है जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। आयोडीन पानी घुलनशील है। यह कुछ खाद्य पदार्थों और आयोडीन टेबल नमक में पाया जाता है। लोग इसे पूरक के रूप में भी ले सकते हैं।
आयोडीन स्वस्थ थायराइड के लिए आवश्यक है। थायराइड ग्रंथि, थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन का उपयोग करती है।
हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब एक व्यक्ति का थायरॉइड पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है।
आयोडीन की कमी के संकेत क्या हैं और क्या यह खतरनाक है?
आयोडीन की कमी से थायरॉइड की हार्मोन बनाने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म होता है।
आयोडीन की कमी
आयोडीन की कमी से आपको कमजोरी महसूस हो सकती है। भारी वस्तुएं उठाने में मुश्किल हो सकती है।
अगर थकान का कारण अस्पष्ट है तो आयोडीन की कमी का लक्षण हो सकती है।
अगर आपके बाल असमय झड़ रहे हैं, तो यह भी आयोडीन की कमी का संकेत हो सकता है।
त्वचा शुष्क होना हाइपोथायरायडिज्म का संकेत हो सकता है, जो आयोडीन की कमी का कारण बनती है।
आयोडीन की कमी से थायराइड हार्मोन की कमी होती है। कम थायराइड हार्मोन होने से व्यक्ति की चयापचय दर metabolic rate धीमा हो जाती है।
मस्तिष्क के विकास के लिए थायराइड हार्मोन महत्वपूर्ण है। आयोडीन की कमी से इन हार्मोन की कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप स्मृति के साथ समस्याएं हो सकती हैं और नई चीजें सीखने में समस्या हो सकती है।
गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से विकासशील भ्रूण के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
(नोट – यह समाचार चिकित्सकीय परामर्श नहीं है, यह आम जनता में जागरूकता के उद्देश्य से किए गए अध्ययन का सार है। आप इसके आधार पर कोई निर्णय नहीं ले सकते, चिकित्सक से परामर्श करें। )
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