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सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर ऑनलाइन सोशलिस्ट कांफ्रेंस सम्पन्न

सम्पूर्ण क्रांति के लिए प्रगतिशील ताकतों से एकजुट होने की अपील

लाकडाउन से विस्थापित हुए हर श्रमजीवी परिवार को ६ महीने के लिए प्रति माह प्रति परिवार दस हज़ार मासिक मदद दे सरकार

54 करोड़ श्रमिकों को प्रभावित करने वाले 44 कानूनों की बहाली और 4 लेबर कोड खत्म करने की मांग

लॉक डाउन के 800 शहीदों को 1 करोड़ दे सरकार

जितना कार्बन उत्सर्जन करें उतने पेड़ लगाएं औद्योगिक ईकाइयां

संपूर्ण क्रांति की 46 वीं वर्षगांठ पर समाजवादी समागम, हम समाजवादी संस्थाएं, थर्ड आई पोर्टल एवं जनता वीकली द्वारा ऑनलाइन सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस (Online socialist conference) का आयोजन किया गया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में 10 माह और आपातकाल के दौरान परिवार सहित 19 महीने जेल काटने वाले 97 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवम यूसुफ मेहेर अली सेंटर के संस्थापक डॉ जीजी परीख ने कांफ़्रेस का उदघाटन करते हुए समाजवादियों से एकजुट होकर जे पी के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने की अपील की। जे पी फाउंडेशन के अध्य्क्ष, केंद्रीय विश्वविद्यालय अध्यापक महासंघ के पूर्व अध्य्क्ष प्रो. आनंद ने कांफ्रेंस का समापन किया।

कार्यक्रम का प्रस्तावना रखते हुए डॉ. सुनीलम, महामंत्री, समाजवादी समागम ने कहा कि जे पी ने जिस लोकशक्ति से राजसत्ता पर अंकुश लगाने का शंखनाद 5 जून को पटना के गांधी मैदान में किया था वह लोकशक्ति अमरीका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत (George Floyd dies in America) के बाद रंगभेद और नस्लवाद को खत्म करने और हांगकांग में लोकतंत्र बहाली के लिए सड़कों पर दिखलाई पड़ रही है।

उन्होंने कहा जे पी की सम्पूर्ण क्रांति का उद्देश्य नया मनुष्य और नया समाज का निर्माण करना था। आंनद वर्धन सिंह, सम्पादक ,थर्ड आई पोर्टल ने कांफ्रेंस का संचालन किया । जे पी की मानस पुत्री जानकी और प्योली के सम्पूर्ण क्रान्ति गीतों से

कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

गाँधी शांति प्रतिष्ठान के अध्य्क्ष कुमार प्रशांत ने सम्पूर्ण क्रांति के आगे क्या हो ?विषय बोलते हुए युवाओं से समाज के बीच जाकर सघन काम करने का आवाहन किया। आजादी की लड़ाई में जयप्रकाश का संघर्ष विषय पर प्रो.राजकुमार जैन ,अध्यक्ष मंडल सदस्य-समाजवादी समागम ने बोलते हुए कहा कि समाजवादीयों से ज्यादा त्याग बलिदान करने वाली एवम बहादुर कोई दूसरी जमात देश मे नहीं है ।

हिंद मजदूर सभा के महामंत्री हरभजनसिंह सिद्धू ने श्रमिक आंदोलन में जेपी का योगदान विषय पर बोलते हुए जे पी द्वारा आल इंडिया रेलवे मेंस  यूनियन की स्थापना और विभिन्न श्रमिक आंदोलनों का इतिहास बतलाया। उन्होंने 54 करोड़ श्रमिकों को प्रभावित करने वाले 44 कानूनों की बहाली और 4 लेबर कोड खत्म करने की मांग की । उन्होंने कहा कि 10 ट्रेड यूनियन मिल कर काम करते है लेकिन समय आ गया है कि हिन्द मजदूर सभा ,एटक और सीटू एकजुट हों।

एस .आर .हीरामठ ,अध्य्क्ष ,सिटीजन्स फ़ॉर डेमोक्रेसी ने जेपी का मानवतावाद विषय पर बोलते हुए जे पी के अमरीका से जुड़े कई संस्मरण सुनाए । सुरेंद्रकुमार महामंत्री ,अवार्ड ने रचनात्मक कार्य ,संपूर्ण क्रांति का मूल आधार विषय पर बोलते हुए बताया कि किस तरह मुसहरी जाकर जे पी ने वहां रहकर हिंसा का सामना किया। उन्होंने जे पी द्वारा किये गए रचनात्मक कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि तत्कालीन सरकारों ने जे पी को फंसाने के तमाम प्रयास किये किंतु जे पी की पारदर्शी कार्यशैली के चलते संस्थाओं पर कोई आंच नही आई।

अरूण श्रीवास्तव ,संयोजक-फैक्टर, महामंत्री-समाजवादी समागम ने जे पी के चुनाव सुधार को लेकर प्रस्ताव और आज की स्थिति पर विचार रखे । उन्होंने कहा कि वर्तमान खर्चीले चुनावों ने लोकतंत्र को कुछ हाथों में सिमटा दिया है इसलिए चुनाव सुधार समाजवादीयों के लिए संघर्ष का प्रमुख मुद्दा होना चाहिए। बी.आर. पाटिल ,पूर्व सभापति, कर्नाटक विधान परिषद ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति को बदलने के लिए व्यापक एकजुटता बनाने की जरूरत है. मणिमाला, पूर्व निदेशक ,गांधी स्मृति और दर्शन और नागरिक जनतंत्र समाज ( सी एफ डी ) की नेत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने नागरिक अधिकारों को जिस तरह से कुचला है उसका जबाब जनशक्ति को संगठित कर ही दिया जा सकता है।

छात्र - युवा संघर्ष वाहिनी के प्रथम अध्य्क्ष शुभमुर्ति ने सम्पूर्ण क्रांति के मायने बतलाते हुए कहा वर्तमान परिस्थितियाँ 1974 - 75 से ज्यादा विकट हैं। मुस्लिम महिला संविधान हक परिषद की अध्यक्ष रजिया पटेल ने सम्पूर्ण क्रांति की विचार धारा और साम्प्रदायिकता की चुनौती पर बोलते हुए कार्यक्रम सम्बन्धी ठोस सुझाव रखे ।उन्होंने का कि सम्प्रदायिकता को जड़ मूल से खत्म करने के लिए छात्र छात्राओं में काम करने की जरूरत है ,जो कार्य राष्ट्र सेवा दल करता रहा है। डॉ.संदीप पाण्डेय,उपाध्यक्ष सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने जेपी के नागालैंड, कश्मीर के प्रति नजरिया तथा बांग्लादेश के गठन में भूमिका सम्बन्धी विस्तृत जानकारी दी।उन्होंने दुनिया मे हुए तमाम प्रयोगों की जानकारी भी सांझा की।

अंतराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर बोलते हुए जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री सुनीति ने कहा कि पर्यावरण संकट से उबरने के लिए नए समाज के निर्माण की आवश्यकता है ,जो सादगी और स्वाबलंबन पर आधारित हो। उन्होंने पर्यावरण संकट से उबरने के लिए जल ,जंगल ,जमीन और पानी की लूट को खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया।

संपूर्ण क्रांति की प्रासंगिकता पर बोलते हुए सांसद संजय सिंह ने कहा कि बार बार सत्ता के परिवर्तन हुए लेकिन आंदोलन के उद्देश्यों के अनुरूप नतीजे नहीं निकल सके, क्योंकि बार बार संगठनों में बिखराव होता रहा ,उन्होंने वर्तमान सत्ताधीशों से निपटने के लिए कार्यक्रम आधारित एकजुटता बनाने और सतत संघर्ष की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति के लिए प्रगतिशील ताकतों की एकजुटता को ऐतिहासिक आवश्यकता बतलाया।

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आर्थिक चुनौतियों का मुकाबला विषय पर बोलते हुए कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर ही वर्तमान परिस्थिति से उबरा जा सकता है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूर्णतया विफल साबित हुई है । उन्होंने जे पी के मूल सिद्धांतों को सांझा किया। विभिन्न वक्ताओं ने सी ए ए - एन आर सी - एन पी आर विरोधी नेताओं को गिरफ्तार किए जाने को सरकार का लोकतंत्र विरोधी ,सत्ता के दुरुपयोग करने वाला तानाशाही पूर्ण कदम बताते हुए सभी आंदोलनकारियों की तुरंत रिहाई की मांग की ।

 

समापन भाषण में प्रो.आनंद कुमार ने कहा कि भारत और चीन के बीच शांति का रास्ता तिब्बत से होकर गुजरता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन की मशाल को जलाए रखने के लिए गांव गांव में युवाओं को संगठित होकर खर्चीले चुनाव पर अंकुश लगाने ,शिक्षा में अमूलचूल परिवर्तन करने और भ्रस्टाचार को खत्म करने के लिए राष्ट्र व्यापी आंदोलन शुरू करना होगा। उन्होंने कांफ्रेंस के समक्ष प्रस्ताव रखा जिसे सर्व सम्मति से पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस को मौजूदा संकट से पीड़ित सभी स्त्री-पुरुषों के प्रति समवेदना और एकता के लिए समर्पित करते हुए हम देश के नीतिनिर्माताओं से अनुरोध करते है कि लाकडाउन से विस्थापित हुए हर श्रमजीवी परिवार को 6 महीने के लिए प्रति परिवार दस हज़ार मासिक मदद दी जाए । पंचायत और वार्ड स्तर पर स्वास्थ्य रक्षक नियुक्त किए जांए । लाकडाउन से पीड़ित परिवारों के घर लौटने की अविलंब नि:शुल्क व्यवस्था की जाए ,स्थानीय जीवन में निकटता और परस्पर सहयोग को पुन: प्रबल करने के लिए प्रंशासन व पुलिस के समन्वय से स्थानीय निकाय के ज़रिए साप्ताहिक नागरिक सभाएँ की जांए। संपूर्ण क्रांति के संदेश के अनुरूप स्थानीय स्तर पर लोक संगठन की पहल की जाए और न्याय-सुशासन-पर्यावरण से जुड़े कामों को प्रोत्साहित किया जाए।

 

तात्कालिक चुनौतियों के समाधान के लिए लघु व मझोले उद्योगों में काम करनेवाले स्त्री-पुरुषों की आजीविका सुरक्षा क़ानून बनाया जाय, स्वरोज़गार परिवारों को अविलंब १ लाख रुपए की पुनर्वास राशि दी जाये, गाँव व नगर के किराएदारों की आवास सुरक्षा के लिए कम से कम तीन महीने की अग्रिम नोटिस के बिना मकान ख़ाली कराना बंद हो , लाकडाउन के कारण विवश होकर वापस जाने में मृत्यु का शिकार हुए व्यक्तियों के आश्रितों को केंद्र सरकार द्वारा एक करोड़ रूपए का मुआवज़ा दिया जाए। कांफ्रेंस में सरकार से 44 श्रम कानूनो को बहाल करने, 4 लेबर कोड वापस लेने ,किसानों की कर्जा मुक्ति और सभी कृषि उत्पादों का लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद सुनिश्चित करने, हर औद्योगिक इकाई ,नगरीय निकाय ,गाँव जितना कार्बन उत्सर्जन करता है उसकी भरपाई के लिए पेड़ लगाने की जिम्मेदारी कानूनी तौर पर तय करने ,राष्ट्रीय स्तर पर प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल पर कानूनी प्रतिबंध लगाने की मांग केंद्र सरकार से की गई।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि गांधी लोहिया जयप्रकाश के रास्ते पर चलकर ही देश को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगली सोशलिस्ट कांफ्रेंस कोरोना के बाद का भारत विषय पर आयोजित की जाएगी ,जिसमें विभिन्न छेत्रों के विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे ,जिसके आधार पर हम समाजवादी संस्थाएँ और समाज वादी समागम द्वारा भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जाएगी।

अंधेरे में तीन प्रकाश,

गांधी-लोहिया-जयप्रकाश!

जे. पी. का अंतिम संदेश,

युवक बचाओ अपना देश!!

के नारों के साथ कांफ्रेंस समाप्त हुई।

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