पटना, 14 नवंबर 2019. देश की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने पटना की जलजमाव – आपदा से प्रभावित झुग्गी बस्तियों (Slum affected by Patna's water logging disaster) का भ्रमण किया और बहादुरपुर स्थित मैकडोवेल गोलंबर पर आपदा –पीड़ितों की सभा को संबोधित किया.
जलजमाव पीड़ित नागरिक संघर्ष मोर्चा की ओर से आयोजित सभा में बोलते हुए मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश में सरदार सरोवर की डूब में 175 गांवों की जिन्दगी को प्रधामन्त्री के जन्मदिन का उपहार बताते हुए नर्मदा की त्रासदी और पटना के जलजमाव की विभीषिका को सरकारी आपदा घोषित किया.
उन्होंने कहा कि पटना के लोगों को जिस तरह की त्रासदी का सामना करना पड़ा, उसी से रूबरू होने मैं यहाँ आई हूँ. पटना की पावन और क्रांतिकारी भूमि के लोगों को नारकीय जिन्दगी जीने के लिए अभिशप्त होना पड़ा है तो यहाँ सरकार किस काम के लिए है. राज्य सरकार अपने ही नागरिकों को डुबोए और फिर भगवान को दोषी बताए, यह बताता है कि यहाँ की सरकार संवेदनशील नहीं है.
सुश्री पाटकर ने कहा कि चाहे रिहायशी इलाकों के लोग हैं, चाहे सैदपुर की झुग्गी बस्ती के निवासी हों या पेमचंद रंगशाला के रंगकर्मी हों, उनकी हिफाजत करने में यहाँ की सरकार अक्षम साबित हुई है. एक तरफ पटना को स्मार्ट –सिटी बनाया जा रहा है, दूसरी तरफ पटना बरसात के पानी में डूब रहा है, यह विकास के नाम पर विनाश है. जो सरकार अपनी नाकामी की वजह से लोगों को डुबोती है फिर डूबे हुए लोगों के लिए एक रैन-बसेरा, एक आश्रयणी का भी इंतजाम नहीं कर पाई, वह
मेधा पाटकर ने कहा कि लार्सन एंड टूब्रो कंपनी, जो नरेंद्र मोदी जी की दोस्त कंपनी है, पूरे देश में धटिया निर्माण और लूट के लिए चर्चित है. नमामि गंगा परियोजना पटना के जलजमाव में दोषी है तो यह साबित हो गया कि यह नमामि गंगा नहीं, गटर गंगा परियोजना है. एक प्रधान सचिव को बदल देना समाधान नहीं है. 2005 का आपदा प्रबंधन कानून (Disaster Management Act of 2005) सफ़ेद हाथी है, जो भ्रष्टाचार को व्यवस्थित करने के लिए चर्चित है.
मेधा पाटकर ने उपस्थित जनसमूह से पूछा कि पटना में जलजमाव की आपदा से हुए नुकसान का सर्वे हुआ, आपके नुकसान का हिसाब – किताब हुआ. सरकार ने आपदा के बाद क्या किया. नुकसान का कोई जायजा नहीं, पंचनामा नहीं. सरकार की इस नीयत का हम विरोध करते हैं. नुकसान की भरपाई की बजाय अब हाथापाई करते हुए घरों को उजाड़ने की हिम्मत करना, यह अमानवीय है, शर्मनाक है. जलजमाव की भयावह विभीषिका में फंसे गरीबों की झुग्गियों को उजाड़ना जुल्म है, अत्याचार है. यह अमानवीयता की हद है. यह नागरिकों के प्रति राज्यसत्ता की क्रूरता है, अपराध है और सुप्रीम कोर्ट के कानूनों की अवमानना है.
उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि दो साल पूर्व नीतीश कुमार ने विकास की अवधारणा पर राय जानने के लिए देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मुझे भी पटना बुलाया था. मानवतावादी विकास की अवधारणा तैयार करते हुए वे नरेंद्र मोदी की गोद में समा गए.
उन्होंने सवाल किया कि अगर आज लोहिया होते तो क्या करते. अगर आज कर्पूरी ठाकुर होते तो क्या करते. अगर आज जेपी होते तो क्या करते. वे नीतीश कुमार जी आपके खिलाफ खड़े होते. अगर पटना के जलजमाव के लिए झुग्गिओं को दोषी मानते हुए आपने उनके घरों पर बुलडोजर चलाया तो बुलडोजर नीतीश जी आपकी सरकार पर भी चलेगा.
उन्होंने कहा कि मैं पटना के बुद्धिजीवियों से अपील करती हूँ कि आप गरीबों की रक्षा के लिए बुलडोजर के सामने खड़े हो जाएँ. अगर सरकार ने झुग्गियों पर बुलडोजर चलाने की योजना पर विराम नहीं लगाया तो मैं नीतीश कुमार जी आपके बुलडोजर के सामने पटना में खड़ी हो जाऊंगी.
सभा के अंत में मेधा पाटकर ने मुख्यमंत्री के नाम 7 सूत्री मांगों वाले एक स्मार-पत्र को सामूहिक सहमति से मंजूरी प्रदान किया.
इस सभा को पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वसंत चौधरी, पटना जल –निकासी आपदा पीड़ित मंच के नेता दिलजीत खन्ना, झुग्गी झोपडी शहरी गरीब संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष किशोरी दास, एसयूसीआई