Hastakshep.com-आपकी नज़र-

...जेब

... पैन्ट की साइडों में शर्ट के ऊपर दिल के दाँये बाँये

ज़रा सी जो नज़र आती है

दरअसल औक़ात बताती है...

रूप, रंग, गुन, संस्कार इस जेब के आगे सब बेकार...

अदब लिहाज़ के सारे ताले इसी से खोले जाते हैं...

दुनिया में लोग जेबों से तोले जाते हैं...

भरी जेब वाले देवों में देव..

रिश्तों की सूखी जड़े सींचती है जेब...

बग़ैर जेब वाला शख़्स ज्यूँ बिना गुर्दे सा...

मखमली रिश्तों में टाट के परदे सा...

जेबों से आव-भगत अगुवाई होती है..

इंसानों की वैल्यू जेब से ही डिसाइड होती है...

ये जेब बड़े से बड़ा क्राइम दबा लेती है

रईसों के तमाम ऐब छुपा लेती है...

जेब खुद की भराई के लिये तरह-तरह के हथकंडे अपनाती है..

नोटों की दीवारों में ज़िंदा इंसानियत चिनी जाती है..

फटी जेब वालों पे सब हँसते हैं

कमबख़्त जेब ना हो तो लोग रोटियों को तरसते हैं...

जान-ओ-ईमान सब सस्ता है

ख़ाली जेबों पे पड़ा झुग्गियों का रस्ता है...

ये जो बंगले कार चेहरों का जमाल है तमाम रौनक़ें फ़क़त जेब का कमाल है ..

जेबों-जेबों में भी भेद होता है

भरी जेब वालों का ख़ून सफेद होता है...

तल्ख़ लहज़े चमकते लिबास नंगी जुबान है..

दुनिया में जेब वालों की इक ये भी पहचान है...

अक्सर जेब जेब वाले इक ही जमात में रहते हैं..

इनके आगे बिना जेब वाले औक़ात में रहते हैं...

जेबों से लोगों के लहजे बदलते हैं..

दुनिया के सब काम इन जेबों से चलते हैं...

बग़ैर जेबों के इश्क़ विश्क़ भी नहीं टिकते..

जेबों के आगे सब जज्बात हैं बिकते...

खुदा भी इन जेब वालों से ही डरता है..

भरी तिजोरीयो में बंद पहरेदारी करता है...

वो दिन और थे..

जब कच्ची मिट्टी के ठौर थे...

था ख़ुशियों का ख़ज़ाना..

ख़ाली जेबें हुआ करती थीं अपनी और मुट्ठी में था ज़माना...

डॉ. कविता अरोरा

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