महुआ मोइत्रा का चुनाव आयोग पर बड़ा हमला, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग पर बीजेपी की कठपुतली बनने का आरोप लगाया। बिहार में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जानें क्या है पूरा मामला।

महुआ मोइत्रा का चुनाव आयोग पर तीखा हमला, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनाव आयोग पर बीजेपी की कठपुतली बनने का आरोप लगाया। बिहार में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जानें क्या है पूरा मामला...
नई दिल्ली, 6 जुलाई 2025 — तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की वरिष्ठ सांसद महुआ मोइत्रा ने एक बार फिर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आयोग पर भाजपा का राजनीतिक हथियार बनने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह संस्था अब अपने संवैधानिक कर्तव्यों को भूल चुकी है।
महुआ मोइत्रा ने रविवार को ट्वीट करते हुए लिखा —
"@ECISVEEP अब @BJP4India का हाथ बन चुका है — ज़मीन पर इसकी मक्कार योजनाओं को अंजाम दे रहा है। यह नागरिकों को उनके मताधिकार के प्रयोग में सहायता देने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को भूल चुका है।"
इससे पहले, उन्होंने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की। शनिवार को उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी —
"अभी-अभी सुप्रीम कोर्ट में @ECISVEEP की बिहार में SIR कराने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका दायर की है, साथ ही इसे बंगाल समेत अन्य राज्यों में लागू करने पर रोक की मांग की है।"
महुआ मोइत्रा ने इससे पहले एक और तीखे ट्वीट में चुनाव आयोग को सरकार की "कठपुतली" बताते हुए लिखा —
"सरकार की रीढ़विहीन कठपुतली @ECISVEEP — तुम्हें हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिए बनाया गया था, उसकी शवयात्रा निकालने के लिए नहीं। करोड़ों ग़रीब और हाशिये पर जी रहे भारतीयों को मताधिकार से वंचित करना तुम्हारे अंत की शुरुआत होगी। बस इंतज़ार करो।"
महुआ मोइत्रा की ये टिप्पणियाँ उस समय आई हैं जब बिहार में चुनाव आयोग की तरफ़ से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया चल रही है, जिस पर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के ज़रिए गरीब और हाशिये पर खड़े वर्गों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जा रहा है।
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहाँ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई का इंतज़ार किया जा रहा है। यह मामला केवल बिहार ही नहीं, बल्कि देशव्यापी स्तर पर चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।