प्रधानमंत्री का राष्ट्र को सम्बोधन इतना हास्यास्पद? बहुत दुःखद। जब अर्थव्यवस्था खत्म है। मुक्तबाज़ारी शेयर बाजार धड़ाम है। रोज़ निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब रहे है।उद्योग धंधे, कारोबार, कल कारखाने, रोज़गार बन्द है। खेती खत्म है। 38 करोड़ लोग लॉक डाउन के तुगलकी फरमान से बेरोज़गार हैं। जनजीवन स्तब्ध है। कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है विदेश से लौटे 15 लाख लोगों की भी जांच नहीं हुई है। महानगरों की घनी आबादी से लेकर गांव गांव फैल रही है महामारी।
करोड़ों लोग नए सिरे से शरणार्थी बन गए हैं। भारत विभाजन,बंगाल के अकाल और बांग्लादेशी शरणार्थियों के सैलाब के दृश्य एकाकार हैं। ऐसे राष्ट्रीय संकट के परिदृष्य में देश दुनिया को संकट के मुकाबले दिशा दिखाने के बजाय किसी बाबा की तरह खालिस प्रवचन।
लॉक आउट से निकलने या महामारी और भुखमरी को रोकने की किसी कारगर योजना या नीति के ऐलान के बजाय लॉक डाउन तोड़ने वालों को जेल भेजने का फरमान? महानगरों से पलायन करने वाले करोड़ों लोगों में से कितनों को रोक लिया?
भूखी जनता को अनिश्चित काल तक रोजी रोटी से वंचित करके यह प्रवचन कब तक चलेगा? भाजपा का चोला भी उतार फेंकने का समय आ गया क्या? सबकुछ स्थगित है। रामनवमी पर रोक नहीं। राम मंदिर का निर्माण चल रहा है।
क्या हमारी ज़िंदगी रोकने के लिए लॉकडाउन है या बिना प्रतिरोध सड़क पर पुलिस सेना उतारकर मनुस्मृति शासन लागू करने के हिन्दूराष्ट्र के एजेंडे को अमल में लाने के लिए देश को आपरेशन टेबल पर एनेस्थीसिया देकर रखा गया है?
गोदी मीडिया की मेहरबानी से विभाजन की तरह देश के फिर बंटवारे की तैयारी है। तब भी कल कारखाने, उद्योग धंधे, बाजार, कारोबार, खेती किसानी, रोटी रोजी पर रोक नहीं थी। यह विभाजन और भुखमरी से भी बुरी हालत हैं। प्लेग से जब लोग चूहों की तरह मर रहे थे, तब भी यह हालत नहीं थी। इससे पहले ताली और थाली बजाने का फरमान जारी हुआ था। क्या भूखे बेरोज़गार जन गण के मनोरंजन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्र को सम्बोधित कर रहे हैं ?
पलाश विश्वास
narendra modi speech today. narendra modi ka bhashan. narendra modi live today.