यह बंगाल की तूफान पीड़ित जनता के साथ प्रधानमंत्री का क्रूर हास्य विनोद है। रोम से नीरो निकलकर आये और ध्वस्त बंगाल के आसमान में उड़ते हुए अपनी बांसुरी का कमाल दिखाकर चले गए।
It is a cruel joke. The prime minister insulted the people of Bengal hit by super cyclone in corona times. Everything destroyed all over Bengal. Corona deprived in every sense. People lost job, livelihood and under tremendous suffering, inflicted by corona and famine-like situation. Millions of millions lost in the super cyclone despite limited death toll and the prime minister announced a package of only one thousand crore!
कल ही हमने चेतावनी दी थी कि इस माह आपदा की घड़ी में तनिक भी मनुष्यता और सभ्यता बची हो तो राजनीति न करें कृपया।
यह बहुत अच्छा हुआ कि सुपर साइक्लोन ने ओडिशा को स्पर्श नहीं किया और ओडिशा में हमारे लोग साइक्लोन से बच गए। कोरोना समय पर ओडिशा के लिए 500 करोड़ की मदद के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद।
कोरोना काल में आम जनता के नाम बीस लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की धोखाधड़ी की आड़ में देश बेचने के निजी उपक्रम और श्रम कानून खत्म करके श्रमिक वर्ग के सफाये के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर की प्रेस कांफ्रेंस से बड़ा मजाक है यह।
22 को ही देश के करोड़ों मजदूरों ने कोरोना कर्फ्यू तोड़कर श्रम क़ानूनोने के खात्मे का जोरदार विरोध किया है लेकिन भारत को अमेंरिकी विश्वव्यवस्था का उपनिवेश बनाकर देश में लाखों ईस्ट इंडिया कम्पनी का राज कायम करने के मनुस्मृति एजेंडे को अमल में लाने के लिए उनके गुलाम
1942 से 1946 तक ब्रिटिश सरकार के श्रम मंत्री और भारत के संविधान निर्माता, देश के पहले कानून मंत्री की हैसियत से बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बनाये सारे कायदा कानून खत्म करने के बावजूद इसी मनुस्मृति की पैदल सेना बना हुआ है बहुजन समाज।
बाबा साहेब के परिवार के आनन्द तेलतुंबड़े को झूठे मुकदमे में फंसकर गिरफ्तार करने के बावजूद खामोश है बहुजन समाज।
अब बंगाल भर की बहुजन जनता की तबाही पर भी मूक दर्शक बनी हुई है यह गुलाम जनता।
बंगाल के बशर बसे दलित बंगाली भी इसी मनुस्मृति की पैदल सेना है और बलि से पहले की बकरियों की तरह इस राम राज्य में अपने आगे फेंके चारे को चबाने में बिजी हैं वे और उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है कि दलित बहुजन बंगालियों के सफाये के लिए नागरिकता कानून बनाकर वे देश भर में जंगल और खनिज जिस तरह निजी कंपनियों को भेंट की जा रही है, उससे आदिवासियों के साथ-साथ उनका भी कत्लेआम होगा और पहाड़ के स्वर्ण लोग भी मारे जाएंगे।
1999 में ही अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनते ही दुनिया के इतिहास में पहली बार विनिवेश मंत्रालय और विनिवेश आयोग बनाकर पूरा देश बेचने का इंतज़ाम कर दिया था और उन्होंने ही कांग्रेस के प्रणव मुखर्जी के साथ मिलकर 2003 के नागरिकता संशोधन कानून बनाकर दलित बंगाली शरणार्थियों की नागरिकता छीनकर उन्हें घुसपैठिया बताकर देश निकाले का फरमान जारी किया था।
अब शरणार्थियों की नागरिकता बहाल करने का वायदा करके उन्हें उनकी जमीन जायदाद से बेदखल करने का खूबसूरत बंदोबस्त हो गया, जिसके खिलाफ सत्तर के दशक से मेरे पिता पुलिनबाबू लड़ते रहे और 2003 से लगातार मैं बोल और लिख रहा हूँ।
दिनेशपुर के अलावा देशभर में कहीं भी बंगाली दलित शरणार्थियों को भूमिधारी हक नहीं है। वे सरकारी जमीन पर बसाए गए हैं और सरकार कभी भी विदेशी नागरिक बताकर उन्हें बेदखल कर सकती है।
भारत विभाजन के असली शिकार बहुजन हैं और नई कंपनी राज में उन्हें दौड़ा दौड़ाकर मारा जाएगा। कोरोनकाल के सारे दृश्य परिदृश्य ये ही बता रहे हैं।
अंधी, बहरी गुलाम प्रजा मारे जाने के ये है।
मनुस्मृति राज है और
ढोल गवांर पशु ओ नारी सब है ताड़न के अधिकारी।
पलाश विश्वास
Went to West Bengal and Odisha to review the situation caused by the super cyclone. Conducted an aerial survey and held review meetings with the respective Chief Ministers @MamataOfficial and @Naveen_Odisha, as well as authorities. pic.twitter.com/ea6OkuoKw4
— Narendra Modi (@narendramodi) May 22, 2020