लखनऊ, 15 मार्च, 2021. ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation- AIPEF) ने निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय बैंक हड़ताल का पुरजोर समर्थन करते हुए प्रधान मंत्री को पत्र भेजकर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की है।
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण एक जनविरोधी कदम है। निजीकरण असामाजिक भी है। बैंकों को अब सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि विशुद्ध रूप से निजी घरानों के लाभ की खोज में चलाया जाएगा।
फेडरेशन ने कहा कि बेरोजगारी के कठिन दौर में बैंकों के निजीकरण से रोजगार के अवसर बुरी तरह प्रभावित होंगे। निजी बैंक न्यूनतम मानवशक्ति से काम चलाते हैं और कर्मियों को भारी मानसिक दबाव में काम करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बैंकों के निजीकरण से आम लोगों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पडेगा और उनकी जमा धनराशि भी सुरक्षित नहीं रह जाएगी। इंडस इंड बैंक और पी एम् सी बैंक में पैसा डूबने से निजीकरण के नाम पर आम लोग काफी दहशत में हैं।
एआईपीईएफ
एआईपीईएफ ने केंद्र सरकार की निजीकरण नीति का पुरजोर विरोध करते हुए सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के निजीकरण के फैसले और हाल ही में बिजली अधिनियम 2003 में संशोधन के कदम से निजी कंपनियों को राज्यों की वितरण प्रणाली में प्रवेश करने की अनुमति दी।
एआईपीईएफ ने केंद्र सरकार की उस नीति की निंदा की जो अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में काम करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के पूरी तरह खिलाफ है और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में तैयार की गई है।