निजीकरण की घोषित सरकारी नीति के बावजूद बिजली का निजीकरण सरकार इतना छिपकर क्यों करना चाहती है? सरकार के इस रहस्यमय डर को समझने की जरूरत है कि बिजली के महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर्स यूपीपीसीएल के अनुभवी कार्मिकों व उनके संगठनों को भी विश्वास में नहीं लिया जा रहा है। दिल्ली से चार्टर प्लेन से लखनऊ आयी ऊर्जा मंत्री सहित केंद्रीय टीम ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला किया और चुपके से वापस चले गये। मीडिया को बयान तक नहीं दिया। कुछ विश्वस्त सूत्रों व विशेष पत्रिका के बहादुर साथियों ने यह खबर जनता तक पहुंचाई।
बिजली का निजीकरण सरकार की कुनीति का परिणाम है। चन्द कॉरपोरेट घरानों को अप्रत्याशित लाभ पहुंचाने के लिये न सिर्फ बिजली बल्कि कोयला, तेल, रेल, बैंक, बीमा, स्वास्थ्य, रक्षा, शिक्षा आदि सहित सम्पूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। सच्चाई यह है कि आरएसएस, भाजपा का विकास का मॉडल राष्ट्रीय सम्पत्ति को बेचकर उसे बर्बाद करने का मॉडल है जो राष्ट्रवाद के नाम पर बढ़-चढ़ कर प्रचारित किया गया जिसका कि अब पूरी तरह भंडाफोड़ हो चुका है। वर्कर्स फ्रंट सरकार की इस तरह की निजीकरण की नीति की कड़ी निन्दा करता है। कर्मचारी आन्दोलन को भी इससे विशेषरूप से सावधान रहने की जरूरत है।
बिजली क्षेत्र में घाटे का तर्क देकर सरकार द्वारा निजीकरण करने के पीछे एक कारण पावर परचेज घोटाला भी है। बिजली का लागत मूल्य काफी कम होने के बावजूद
सरकार का यह फैसला हैरानी भरा है कि थर्मल व सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारी मुनाफा कमाने वाले निजी निवेशकों से सार्वजनिक बैंकों द्वारा सरकारी नीति के तहत उपलब्ध कराये गये ऋण की वसूली की प्रभावी व्यवस्था नहीं की जा रही है, जिससे लाखों करोड़ का ऋण बट्टेखाते (एनपीए) में डाला जा रहा है।
इस प्रकार सरकार का निजीकरण का फैसला गरीबों, आमजनों व किसानों के हितों के विरुद्ध है तथा मात्र चन्द कॉरपोरेट घरानों को बेतहाशा लाभ पहुंचाने के लिये लिया गया जनविरोधी कदम है। इसलिये बिजली के कामगार संगठनों द्वारा निजीकरण का विरोध राष्ट्रहित में है।
अतः वर्कर्स फ्रंट निजीकरण के विरोध में संगठनों के आंदोलन के निर्णय का पुरजोर समर्थन करता है तथा सरकार से मांग करता है कि हाल ही में लिये गये पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले को रद्द करे।
इं. दुर्गा प्रसाद
उपाध्यक्ष, उ.प्र. वर्कर्स फ्रंट,
अधिशासी अभियंता (सेवानिवृत्त),
उ.प्र. पावर कारपोरेशन लिमिटेड,
आगरा।