आज़मगढ़, 4 मई 2020। कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में आम लोग भी अपने सामूहिक प्रयासों से सक्रिय हैं। आज़मगढ़ का संजरपुर मास्क सेंटर ऐसा ही सामूहिक प्रयास है जिसके तहत 23 मार्च से अब तक 20 हज़ार से ज़्यादा मास्क बना कर वितरित किया जा चुका है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस सेंटर से जुड़े लोगों को पत्र लिखकर उनका हौसला बढ़ाया है और उनके काम की सराहना की है।
प्रियंका ने लिखा है
प्रिय साथियों,
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सीमित संसाधनों के बावजूद जिस लगन से आपके सेंटर द्वारा मास्क का निर्माण कर वितरण किया जा रहा है, वो इस बीमारी से संघर्ष में बहुत मददगार साबित होगा। ऐसे सामूहिक प्रयासों से ही हम एक मजबूत और स्वस्थ देश का निर्माण करने में सफल होंगे।
आप लोगों की सेवा भावना को सलाम।
जय हिंद
सादर
प्रियंका गांधी वाड्रा
राहुल भी कर चुके हैं तारीफ़
संजरपुर मास्क सेंटर के ज़रिए किये जा रहे इस अहम काम को पिछले दिनों पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सराहते हुए एक ख़बर ट्वीट की थी, जिसके बाद लोगों का ध्यान संजरपुर ने अपनी तरफ खींचा था।
संजरपुर मास्क सेंटर को पत्र भेजने से पहले प्रियंका ने आज़मगढ़ के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता स्वर्गीय तैयब आज़मी के देहांत पर भी उनकी पत्नी को शोकपत्र भेजा था। प्रियंका ने तैयब आज़मी से बिलरियागंज जाते समय रास्ते में गाड़ी रोक कर हालचाल पूछा था।
प्रियंका नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ धरने पर बैठीं महिलाओं पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज की घटना के बाद 12 फरवरी को उनसे मिलने आयी थीं। ये दौरा उनको सुनने-देखने के लिए जुटी
आज़मगढ़ सपा और बसपा की पहचान आधारित राजनीति का गढ़ माना जाता है। यह ऐसा ज़िला है जहां की सभी विधानसभा सीटें विपक्ष यानी सपा-बसपा के पास हैं। हालांकि तकनीकी तौर पर फूलपुर सीट भाजपा के नाम है, लेकिन रमाकांत यादव के सपा में आ जाने के बाद उनके विधायक बेटे को भी सपा में ही गिना जाता है। सपा प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां से सांसद हैं वहीं 2014 के मोदी लहर में पूर्व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव यहां से बहुत कम अंतर से जीत पाए थे। तब यादव वोट उनमें और भाजपा से लड़े रमाकांत यादव के बीच बंटा था और यादव वोटों पर सपा के एकाधिकार की धारणा टूट गयी थी। उस चुनाव में यादव मतों का मुस्लिम विरोध की राजनीति करने वाली भाजपा के तरफ जाना खासा चर्चा का विषय था। तब ज़िले के 16 प्रतिशत मुस्लिम आबादी ने मुलायम की लाज बचाई थी। लेकिन उसके बाद से सपा और मुसलमानों के बीच का पुराना विश्वास कमज़ोर होता गया।
मुलायम सिंह ने भी तमौली नाम के ऐसे गांव को गोद लिया जिसमें एक घर भी मुसलमानों का नहीं था। वहीं, 370, ट्रिपल तलाक़ और सीएए- एनआरसी के मसले पर सपा की मुसलमानों से दूरी बनाने की क़वायद ने मुसलमानों में सपा पर संदेह को मजबूत किया। वहीं बिलरियागंज में महिलाओं पर लाठीचार्ज मामले में अखिलेश की चुप्पी ने जैसे आज़मगढ़ के मुसलमानों में पल रहे गुस्से को बाहर लाने का बहाना दे दिया। ठीक इसी वक्त आज़मगढ़ में कांग्रेस की तरफ़ से लगवाए गए अखिलेश की चुप्पी पर सवाल उठाने वाले पोस्टरों ने जैसे मुसलमानों में अपने पुराने घर की चर्चा का बहाना दे दिया। जिसके 4 दिन के अंदर प्रियंका ने बिलरियागंज पहुँच कर अपनी संवेदना और शालीनता से आज़मगढ़ के दिल में जगह बनाने की कोशिश की। उनके इस दौरे से बौखलाई सपा ने अपने स्थानीय नेताओं से प्रियंका और कांग्रेस पर निशाना साधवाया था। जिसे मुसलमानों में पसंद नहीं किया गया और इससे प्रियंका की लोकप्रियता भी बढ़ी।
वहीं अब बटला हाउस के कारण चर्चा में रहे संजरपुर के लोगों को पत्र भेजकर प्रियंका ने उनसे जज़्बात के स्तर पर रिश्ता क़ायम करने की कोशिश की है।
ऐसा लगता है कि प्रियंका विपक्ष के गढ़ से ही कांग्रेस को वास्तविक विपक्ष के बतौर लॉन्च करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। वैसे भी तमाम नीतिगत मुद्दों पर सपा की भाजपा के साथ नजदीकी या चुप्पी प्रियंका की रणनीति के लिए मुफ़ीद ज़मीन तैयार कर रही है।