नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के सामने पेशी ने देश की राजनीति में ऐसी हलचल मचा दी है, जिसका असर बहुत देर तक रह सकता है।
ईडी ने राहुल गांधी से पहली पारी में तीन घंटे तक पूछताछ की। इस जांच प्रक्रिया में राहुल गांधी को अपने वकीलों के साथ पेश होने की इजाजत नहीं मिली। एक बार ईडी दफ्तर से निकलने के बाद राहुल गांधी सोनिया गांधी से मिलने अस्पताल पहुंचे।
सोनिया गांधी कोरोना से पीड़ित हैं और ईडी ने पूछताछ के लिए उन्हें भी 23 जून को बुलाया है। अस्पताल के बाद राहुल गांधी फिर ईडी के दफ्तर पहुंचे और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पूछताछ जारी ही है।
राहुल गांधी की संपत्ति और बैंक खातों के बारे में पूछताछ हुई
खबर है कि राहुल गांधी से उनकी संपत्ति और बैंक खातों के बारे में पूछताछ हुई। इसका पूरा ब्यौरा शायद बाद में ही पता चले।
राहुल गांधी की ईडी के सामने पेशी से जांच एजेंसी को क्या हासिल होगा, ये तो पता नहीं, लेकिन कांग्रेस में इस एक घटना ने नयी जान फूंक दी है, यह साफ नजर आ रहा है।
दिल्ली का माहौल सोमवार को लगभग राहुलमय रहा। सुबह तमाम बड़े नेता कांग्रेस मुख्यालय में इकट्ठा हुए,
आलम ये था कि दिल्ली में तमाम स्थानों पर दिल्ली पुलिस ने बसों की व्यवस्था कर ऱखी थी। जिधर से भी कांग्रेस जत्था नारेबाजी करता हुआ निकलता था, पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके बसों में बैठा देती और वहां से हटा देती थी। राहुल गांधी के समर्थन में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की।
अशोक गहलोत, अधीर रंजन चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, बी वी श्रीनिवास, के सी वेणुगोपाल, सहित कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कई नेताओं के साथ दिल्ली पुलिस ने अभद्र व्यवहार किया और प्रियंका गांधी अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उनसे मिलने तुगलक रोड थाने पहुंची।
कांग्रेस मुख्यालय तक पहुंचने के रास्तों पर दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग की, जो कांग्रेस से सरकार के डर को जाहिर करता है।
केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि जम्मू -कश्मीर, केरल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे कई राज्यों में राहुल गांधी के समर्थन और भाजपा के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।
इसे महज एक राजनैतिक दल के विरोध की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे चुनावों के पहले कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन माना जाना चाहिए। चुनाव दर चुनाव हार रही कांग्रेस के लिए एक अरसे से उसके विरोधी और भाजपा समर्थक राजनैतिक विश्लेषक ये भविष्यवाणी कर रहे हैं कि अब कांग्रेस पार्टी खत्म हो चुकी है। कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं बचा है, न ही पार्टी के पास कोई ऐसा नेतृत्व है, जो सबको साथ लेकर चल सके। कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी से भी उसके विरोधी खुश नजर आते थे कि इस तरह कांग्रेस खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है।
राहुल गांधी के समर्थन में देश भर में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का सड़क पर उतरना यह साबित करता है कि इस वक्त वे बिना किसी पद पर रहकर भी पार्टी के भीतर सर्वमान्य नेता बन चुके हैं। कांग्रेस में अक्सर आपस में उलझने वाले नेता भी राहुल गांधी का साथ देने एक साथ खड़े हुए, तो पार्टी की गुटबाजी खत्म करने का हल भी दिखाई दिया। और रहा सवाल जनाधार का तो इसका जवाब भाजपा के डर में दिखाई दे गया।
ईडी की पेशी और कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के बीच भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भाजपा ने बयान देने के लिए आगे किया और उन्होंने अपने खास अंदाज में देश को यह संदेश देने की कोशिश की कि गांधी परिवार भ्रष्टाचारी है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस का प्रदर्शन जांच एजेंसी पर राजनीतिक दबाव डालने की कोशिश है।
उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र को बचाने का प्रयास नहीं बल्कि गांधी परिवार की 2000 करोड़ की संपत्ति को बचाने की कोशिश है।
इस तरह के बयान जाहिर करते हैं कि कांग्रेस के असर और राहुल गांधी की लोकप्रियता के आगे भाजपा खुद को लाचार महसूस कर रही है। भाजपा ने अगर ये सोचा होगा कि ईडी में पेशी से या गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कांग्रेस की छवि धूमिल होगी, तो यह उसकी बड़ी गलतफहमी साबित हो गई है। क्योंकि कांग्रेस को भले सत्ता हासिल करने लायक वोट न मिलें, लेकिन देश की जनता गांधी परिवार की शहादत के इतिहास से वाकिफ है। जनता का एक बड़ा वर्ग भले ही कांग्रेस के शासन से असंतुष्ट हो, उसकी नीतियों से सहमत न हो, लेकिन गांधी परिवार को वह भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं मानता है।
बहरहाल, राहुल गांधी की पेशी ने कांग्रेस में भाजपा के विरुद्ध लड़ने के लिए नया जोश भर दिया है, जबकि भाजपा इस मामले में लाचार नजर आ रही है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जब सोनिया गांधी की 10 दिन बाद पेशी होगी, तो दिल्ली और देश का आलम क्या होगा।
आज का देशबन्धु का संपादकीय (Today’s Deshbandhu editorial) का संपादित रूप साभार.
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