यह जानकारी देते हुए हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव के संयोजक डॉ. अशोक विष्णु व डॉ. कविता अरोरा ने बताया कि मध्य प्रदेश के भिण्ड में जन्मे सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेश शर्मा ने 1980 से स्वान्त: सुखाय के लिये लिखना शुरू किया फिर धीरे-धीरे लोगों को उनका लेखन पसंद आने लगा। आप दोहे, गीत, गीतिका लिखते हैं।
दूरदर्शन, आकाशवाणी, राष्ट्रीय चैनल और कई स्थानीय चैनलों, में आपकी रचनाओं का प्रसारण निरन्तर जारी है।
आप बैंक आफ इंडिया में कार्यरत रहे हैं। सेवा में रहते हुए मंच और काम में बख़ूबी अनुशासित सामंजस्य बनाए रखा। कभी भी आपने अपने साहित्यिक कार्यक्रम की वजह से बैंक को एक मिनट का भी इंतज़ार नहीं कराया। कभी भी आपने बैंक में कवि रूप में और मंच पर बैंक के अफसर होने का भान तक नहीं होने दिया। बैंक के कार्यभार के साथ-साथ आपने अपने गीतों, दोहों से जनमानस को छुआ और साहित्य की सेवा की वो क़ाबिले तारीफ़ है।
आपकी गीतिकायें ग़ज़ल का रंग ले सकती थीं, पर आप पूरी ईमानदारी के साथ मानते हैं कि “मैं शायर नहीं हूँ तो ग़ज़ल कैसे कह सकता हूँ?”
डॉ. कविता अरोरा ने कहा कि राजेश शर्मा ने साबित किया है कि प्रतिभा हो तो व्यक्ति किसी भी मुक़ाम को आसानी से छू सकता है। बैंक में सूखे आँकड़े में लगी उँगलियाँ फिसल- फिसल कर गीतों के रास्तों पर पड़ीं, क़लम से मुहब्बत कर उन्हें चूम-चूम कर गीतों-दोहों का इक संसार रच बैठीं, जिसके आखर-आखर से रस की धार बहती है।
तो इस रविवार 09 अगस्त 2020 को ठीक सायं 4 बजे हस्तक्षेप डॉट कॉम के यूट्यूब चैनल