रांगेय राघव Rangeya Raghav (17 जनवरी, 1923 - 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन चंद विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावान रचनाकारों में से एक हैं, जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में ही एक साथ उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, नाटककार, कवि, इतिहासवेत्ता तथा रिपोर्ताज लेखक के रूप में स्वयं को प्रतिस्थापित कर दिया, साथ ही अपने रचनात्मक कौशल से हिंदी की महान सृजनशीलता के दर्शन करा दिए।
आगरा में जन्मे तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य उर्फ रांगेय राघव ने अहिंदी भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर जीवनीपरक उपन्यासों का ढेर लगा दिया।
रांगेय राघव ने कहानी के पारंपरिक ढाँचे (Traditional story structure) में बदलाव लाते हुए नवीन कथा प्रयोगों द्वारा उसे मौलिक कलेवर में विस्तृत आयाम दिया। रिपोर्ताज लेखन, जीवनचरितात्मक उपन्यास और महायात्रा गाथा की परंपरा डाली। विशिष्ट कथाकार के रूप में उनकी सृजनात्मक संपन्नता प्रेमचंदोत्तर रचनाकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी।
मुर्दों का टीला, सीधा सादा रास्ता, विषादमठ और परिवर्तन रांगेय राघव की प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं।
रांगेय राघव वर्ष 1947 में हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1954 में डालमिया पुरस्कार, वर्ष 1957 और 1959 में उत्तर प्रदेश सरकार का पुरस्कार और 1961 में राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुए।
रांगेय राघव को 1966 में मरणोपरांत महात्मा गांधी पुरस्कार दिया गया।
Born: 17 January 1923, Agra
Died: 12 September 1962, Agra
Spouse: Sulochana Raghav (m. ?–1962)
Education: St. John College
Parents: Van -kmma
Books: Raah Na Ruki, Ratna Ki Baat, Chiwar, Kab Tak Pukaru, MORE
(Wikipedia)
रांगेय राघव का साहित्यिक परिचय, रांगेय राघव / परिचय,
(स्रोत-देशबन्धु व गूगल)