नई दिल्ली, 01 अक्तूबर 2019: भारी बारिश के कारण देश के कई शहरी इलाके इन दिनों बाढ़ (flood) का सामना कर रहे हैं। भारतीय शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रणाली विकसित की है, जो शहरी क्षेत्रों में बाढ़ का पूर्वानुमान (flood forecasting system) लगाने में मददगार हो सकती है।
Real time and integrated urban flood forecasting system developed in India
भारत में विकसित अपनी तरह की यह पहली रियल टाइम एवं एकीकृत शहरी बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली है। यह पूर्वानुमान प्रणाली कंप्यूटर प्रोग्राम पर आधारित है, जो विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ज्वार और तूफान में क्षेत्रीय मौसम एवं लहरों का अनुमान लगा सकती है।
इस प्रणाली की शुरुआत चेन्नई में हो रही है, जहां इसका संचालन राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (national center for coastal research chennai) द्वारा किया जाएगा। यह प्रणाली भारी बारिश की घटनाओं पर नजर रखेगी और इसके उपयोग से बंगाल की खाड़ी में आने वाले ज्वार की ऊंचाई और चेन्नई शहर के जलाश्यों और वहां बहने वाली अडयार और कोऊम नदियों में जल स्तर सहित सभी मापदंडों को ध्यान में रखते हुए बाढ़ का पूर्वानुमान किया जा सकेगा।
यह बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली क्षेत्रीय मौसम एवं ज्वार पूर्वानुमान मॉडलों के साथ-साथ ज्वारीय बाढ़, शहरी क्षेत्रों में जलाश्यों एवं नदियों के जल स्तर, जलप्रवाह और तूफान जल निकासी मॉडलों पर आधारित है। इस पूर्वानुमान प्रणाली के छह प्रमुख घटक हैं, जो आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इस प्रणाली में नदियों का जल स्तर मापने वाले संवेदकों का उपयोग किया जाता है और बाढ़ का अनुमान लगाने वाले मॉडलों के साथ-साथ जलाशयों और नदी के प्रवाह पर आधारित हाइड्रोलॉजिकल मॉडल भी इसमें शामिल हैं। इसके सभी घटक स्वचालित हैं और किसी भी स्तर पर मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पड़ती।
इसे विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रणाली पूर्वानुमानित बाढ़ के दृश्य मानचित्र तैयार करने में
इस प्रणाली को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रवासियों की बसावट बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में भी बढ़ी है। इसे देखते हुए बाढ़ पूर्वानुमान तंत्र और बाढ़ मानचित्रों का विकास जरूरी हो गया है। इसे भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की पहल पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे के नेतृत्व में विकसित किया गया है।
बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के सहयोग से यह प्रणाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, मौसम विभाग, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र, राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र और इसरो की साझेदारी में विकसित की गई है।
उमाशंकर मिश्र
(इंडिया साइंस वायर)