इन दिनों हम सब करोना महामारी के मंडराते संकट के बीच एक के बाद एक हर छोर पर समानांतर संकटों का सामना कर रहे हैं – अम्फान तूफ़ान, टिड्डियों का हमला और उस पर हीटवेव और इन सब की मूल जड़ में जलवायु परिवर्तन (climate change) जो एक के बाद एक इन चरम मौसम की घटनाओं को ट्रिगर कर रहे हैं।
ग़ौरतलब है कि 1990 से 2018 तक, दुनिया के हर क्षेत्र में आबादी तपती गर्मी की चपेट में है। भारत में रिकॉर्ड तोड़ गर्म मौसम एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। मई का महीना आते ही चढ़ता पारा प्रचंड कहर बरपा रहा है, जानलेवा गर्मी इस वक्त पूरे उत्तर भारत को झुलसा रही है और लोगों की हालत पस्त है। राजस्थान में तापमान 50 डिग्री के पार चला गया है। दिल्ली में तापमान 46 डिग्री के पार पहुंचा है।
इस तपती गर्मी बढ़ने के मामले में भारत सबसे अव्वल है। अध्ययन के अनुसार ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अगर कम नहीं किया गया तो दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी को आशियाना देने वाला भूभाग सहारा क्षेत्र के सबसे गर्म हिस्सों जितना गर्म हो जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार ठंडी छत घरों में रहने वालों के लिए गर्मी से राहत और वातानुकूलित भवनों में ऊर्जा की बचत करती है। जब पैमाने पर लागू हों, तो ठंडी छतें शहरी गर्मी के प्रभाव