Hastakshep.com-समाचार-2009-2009-Education Plight-education-plight-Guaranteed Education-guaranteed-education-Malala Fund-malala-fund-Malala Yousufzai-malala-yousufzai-Right to Education Act-right-to-education-act-Right to Education Forum-right-to-education-forum-Right to Education-right-to-education-राईट टू एजुकेशन-raaiitt-ttuu-ejukeshn

आरटीई को दरकिनार करके सिर्फ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का आधा-अधूरा सरकारी अभियान चलाया जा रहा

आधारभूत तथ्यों को जाने बिना स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों की समस्याओं का हल संभव नहीं : डॉ अशोक पंकज

हमीरपुर (उप्र) 10 अक्टूबर 2018 : हरि गेस्ट हाउस, हमीरपुर में उत्तर प्रदेश में शिक्षा की दुर्दशा (The plight of education), खासकर शिक्षा से वंचित लड़कियों से संबंधित एक बेसलाइन सर्वेक्षण का मसौदा रिपोर्ट मलाला फण्ड, राईट टू एजुकेशन फोरम, काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली संयुक्त तत्वावधान में आज 225 – 250 लोगों की उपस्थिति में जारी की गयी।

दुनिया भर में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे 124 मिलियन, जिनमें से 17.7 मिलियन भारतीय

बालिकाओं की शिक्षा के लिए पूरी दुनिया में काम कर रही प्रतिष्ठित नोबल अवार्ड विजेता मलाला युसुफजई ने प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत के 20 राज्यों में कार्यरत और काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी), नई दिल्ली के परिसर में स्थित राईट टू एजुकेशन फोरम (आरटीई फोरम) के साथ मिल कर जिला हमीरपुर के कोरारा व मौदहा विकास खंड में काम करना तय किया है। आज इस अवसर पर एक विमर्श–बैठक का भी आयोजन किया गया जिसमें मसौदा रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की गयी। 

बैठक / सभा को उद्घाटन सम्बोधन  करते हुए ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री सतीश कुमार ने भी स्कूल से बाहर बच्चों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार प्रयासरत है कि कोई भी बच्चा स्कूल से बहार न रहे।

श्री सतीश कुमार ने कहा कि हमीरपुर में इस हेतु फोरम के प्रयासों को

पूरा सहयोग प्रदान किया जायेगा।

क्या बच्चों को रोकने से शिक्षा सुधरेगी?

मलाला फण्ड और राईट टू एजुकेशन फोरम तथा काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली समर्थित इस एक दिवसीय विमर्श बैठक में अपनी बात रखते हुए काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली के निदेशक प्रो. अशोक कुमार पंकज ने कहा कि यह एक बेहद विकट समस्या है कि आजादी के सत्तर सालों के बाद भी इस देश में बड़ी तादाद में हमारे बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हैं।

उन्होंने कहा,

“आधारभूत तथ्यों को जाने बिना स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों को वापस स्कूल में लाना संभव नहीं होगा। इसलिए स्कूली शिक्षा से वंचित लड़कियों से संबंधित इस बेसलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। यह रिपोर्ट हमें आगे बढ़ने का रास्ता तलाशने में मददगार साबित होगी।”

उपभोक्ता संरक्षण कानून यानी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

बैठक में हमीरपुर  के विभिन्न गावों से आये लोगों का स्वागत करते हुए राईट टू एजुकेशन फोरम के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीष राय ने मलाला युसुफजई और मलाला फण्ड को धन्यवाद देते हुए मसौदा रिपोर्ट के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा,

“सरकारें स्कूली शिक्षा के दायरे के बाहर के बच्चों के आंकड़ों को छुपाती हैं। वो नहीं चाहती शिक्षा की दुर्दशा की हकीकतें दुनिया जाने और उनकी नीतियों का असली मकसद उजागर हो।“

शिक्षा का अधिकार क़ानून, 2009 जिसमें बच्चों को माध्यमिक स्तर की निशुल्क शिक्षा की गारंटी की गयी थी, को दरकिनार करके सिर्फ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का आधा-अधूरा सरकारी अभियान इन दिनों चलाया जा रहा है। इस किस्म का अभियान देश को कहाँ ले जायेगा यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा।”

स्कूली शिक्षा का मूल्यांकन जरूरी

मसौदा रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली की डॉ सुष्मिता मित्रा ने कहा कि

“इस बेसलाइन सर्वेक्षण का मतलब यह है कि शिक्षा की वर्तमान हकीकतों के मद्देनजर हमें किस दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना है। इस सर्वेक्षण में हमीरपुर जिले में 20 % बच्चे अगर स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने को मजबूर हैं, 10 % बच्चे अपने अभिवाहकों के उनके रोजगार की तलाश में अन्य जगह को पलायन कर जाते है , 8-10 प्रतिशत लड़कियां कम उम्र में शादी के कारण पढ़ाई से बंचित हो रही है। यह बेहद चिंताजनक है। दूरदराज के गावों में तो स्थिति और भी बुरी होगी। यह सर्वेक्षण न केवल आने वाले दिनों में पेश आने वाली कठिन चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा है बल्कि यह शिक्षा अधिकार कानून के जमीनी कार्यान्वयन का भी खुलासा कर रहा है।”

अच्छे दिन : दौलत के हवाले शिक्षा और सेहत

बैठक में ऑक्सफेम उत्तर प्रदेश के राज्य प्रतिनिधि नन्द किशोर ने कहा  कि, “गैर–शैक्षिक प्रोत्साहनों (Non – teaching incentive) ने भले ही शिक्षा के क्षेत्र में भले ही अहम भूमिका निभायी हो, लेकिन इसके असर और क्रियान्वयन के बारे में भी यह अध्ययन करना जरुरी है।”  

बैठक में स्कोर उत्तर प्रदेश के संयोजक संजीव सिन्हा ने कहा गरीबी और सामाजिक कारणों से यहाँ इतनी बड़ी तादाद में बच्चे स्कूल से बाहर रहने को मजबूर हैं। इस दिशा में तत्परता के साथ काम किये बिना स्थिति में सुधार लाना संभव नहीं होगा। इसके लिए राईट टू एजुकेशन फोरम और समर्थ फाउंडेशन मिल कर हमीरपुर के कोरारा तथा मोदहा विकास खंडों के 16 – 16 गावों में सघन रूप से काम करेगा।

जानें शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE)- 2009 की मुख्य बातें

बैठक को बिनोद सिन्हा(ऑक्सफेम उत्तर प्रदेश), सृजिता मजुमदार (राईट टू एजुकेशन फोरम नई दिल्ली), मनोज पाण्डेय (डी सी कम्युनिटी ),रामावतार श्रीवास्तव(ग्राम प्रधान ),गौरी शंकर (SMC अध्यक्ष ), रामकली व छोटेलाल (उपाध्यक्ष SMC) आदि ने सम्बोधित किया।

बैठक में शिक्षा से वंचित लड़कियों से संबंधित एक बेसलाइन सर्वेक्षण के मसौदा रिपोर्ट में हमीरपुर जिले के कोरारा एवं मोदहा विकासखंड  में 6 – 18 वर्ष की बच्चियों के स्कूली शिक्षा से वंचित होने से संबंधित हालातों का जायजा लिया गया है और उन्हें माध्यमिक स्तर की शिक्षा की सुनिश्चित करने के उपाय सुझाये गये हैं।

बैठक का संचालन समर्थ फाउंडेशन के प्रमुख देवेन्द्र गाँधी ने किया।

ज़रा हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें

Topics - Education Plight, Malala Fund, Right to Education, Disadvantaged Girls, Malala Yousufzai, Right to Education Forum, Right to Education Act, 2009, Guaranteed Education,

Loading...