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Rihai Manch raised the security of prisoners in jail after meeting the Governor

लखनऊ जेल में बंद इकबाल के शरीर में चिप लगाने की हो उच्च स्तरीय जांच

लखनऊ 30 जून 2014। रिहाई मंच के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल से लखनऊ जेल के अंदर आतंकवाद के नाम पर कैद नौजवानों के जीवन की सुरक्षा एंव जान से मारने की साजिश की आशंकाओं और प्रदेश सरकार द्वारा निमेष कमीशन पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट न लाने के संदर्भ में मुलाकात की। जिस पर राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया।

प्रतिनिधि मंडल ने लखनऊ जेल में आतंकवाद के नाम पर कैद तारिक कासमी, नौशाद व अन्य द्वारा भेजे गए पत्रकों को भी राज्यपाल को सौंपा जिसमें इस बात को प्रमुखता से उठाया गया है कि हाई सिक्योरिटी सेल में कार्यरत केशव प्रसाद यादव, आईजी जेल जगमोहन यादव और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री तक अपनी पहुंच की धौंस देकर भारत-पाकिस्तान के बंदियों, अगड़े-पिछड़े-दलितों और हिन्दू और मुसलमान कैदियों के बीच तनाव की साजिश रचकर संघर्ष की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। इस पर पूरे सूबे में ही नहीं भारत-पाकिस्तान समेत अन्तराष्ट्रीय जगत में संबन्धों में असर पड़ सकता है।

रिहाई मंच के वरिष्ठ नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने मुलाकात के दौरान राज्यपाल से कहा कि बिना राजनीतिक सरपरस्ती के जेल के अंदर बंद कैदियों के विरुद्ध इतनी बड़ी साजिशों को अंजाम देने का साहस भला केशव प्रसाद यादव जैसा अदना सा जेल अधिकारी कैसे कर सकता है ?

उन्होंने आगे कहा कि पिछले दिनों आतंकवाद के नाम पर तारिक-खालिद की गिरफ्तारी पर गठित आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर अगर उत्तर प्रदेश की

अखिलेश सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट ले आई होती तो फर्जी गिरफ्तारियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के हौसले इतने बुलंद न हुए होते। जबकि इसी तरह का अंदेशा खालिद मुजाहिद ने भी जताया था जिनकी बाद में हत्या कर दी गई थी। आज वैसा ही अंदेशा लखनऊ जेल में बंद तारिक व अन्य ने अपने भेजे गए पत्रकों के माध्यम से जताया है। राज्यपाल ने इन दोनों महत्वपूर्ण सवालों पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से बातकर त्वरित हस्तक्षेप का आश्वासन दिया।

रिहाई मंच नेता शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस तरह से शामली निवासी इकबाल जिन्हें लंबे समय से आतंकवाद के मामलों में फर्जी तरीके फंसाया गया है और जो लंबे समय तक तिहाड़ जेल में बंद रहने के बाद वहां के केस से बरी होने के बाद लखनऊ जेल में निरुद्ध हैं, के मस्तिष्क और पेट में चिप लगाया गया है, उससे सिद्ध हो जाता है कि एजेंसियां किस अमानवीय हद तक उतर आईं हैं। लखनऊ जेल में ही नहीं पूरे देश में इस तरह सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां मुस्लिमों का उत्पीड़न कर रही हैं, जो साबित करता है कि जांच व सुरक्षा एजेंसियां मल्टीमीडिया चिप्स के माध्यम से ऐसे निर्दोषों की जासूसी करती हैं कि कहीं वह उनके खिलाफ अदालत या मीडिया में कोई बात तो नहीं कर रहा है, जिसका अंदेशा होने पर वह उनका कत्ल तक करवा देती हैं। उन्होंने कहा कि पिछली 18 जून को लखनऊ प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के बाद मीडिया में आई खबरों के बाद तारिक कासमी को जेल प्रशासन द्वारा उत्पीड़ित करने की कोशिश की गई और उससे जेल प्रशासन पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने का भी दबाव बनाया गया। जो सिद्ध करता है सरकार व प्रशासन कैदियों की सुरक्षा, उत्पीड़न और उनके अधिकारों के प्रति चिंतित होने के बजाए मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।

रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल में शामिल रामकृष्ण और शिवाजी राय ने कहा कि आज राज्यपाल के समक्ष हमने लखनऊ जेल में बंद भारत व पाकिस्तान के कैदियों के पत्रों को सौंपा, जो यह साबित करता है कि जेल के अंदर किस तरह दोनों देशों के कैदियों पर हमले कराने की साजिश जेल प्रशासन रच रहा है। जबकि दोनों देशों के बंदियों के बीच किसी तरह का कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने इस गंभीर मसले पर उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

रिहाई मंच द्वारा राज्यपाल को ज्ञापन के साथ तारिक कासमी, नौशाद, अब्दुल शकूर व अन्य के पत्रों को भी सौंपा गया है। जहां नौशाद का पत्र इस बात की तस्दीक कर रहा है कि जेल अधिकारी केशव प्रसाद यादव उससे तारिक कासमी पर हमला करवाना चाहते थे। तो वहीं तारिक कासमी का पत्र तस्दीक करता है कि उसे मरवाने की साजिश में केपी यादव के साथ मई महीने में वहां नौकरी करने वाले हेड चीफ राम चंद्र तिवारी और राइटर सतीश चंद्र यादव भी शामिल हैं और वह कहता है कि पिछले महीने की 9-10 तारीख और इस महीने की 9-10 तारीख को उस पर हमला करना तय था।

मंच द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन का मूल पाठ निम्नवत् है

ज्ञापन

प्रति,                                                                 दिनांक- 30 जून 2014

महामहिम राज्यपाल

उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

विषय- जिला जेल लखनऊ की हाई सिक्योरिटी बैरक के बंदियों की सुरक्षा के संदर्भ में।

महामहिम,

अनेक बार जिला जेल लखनऊ की हाई सिक्योरिटी बैरक के बंदियों द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री, जेल मंत्री तथा जेल अधिकारियों के साथ ही रिहाई मंच के लोगों के समक्ष अपनी सुरक्षा को लेकर अपनी शंका को जताया जा चुका है। किंतु किसी भी अधिकारी, मंत्री या मुख्यमंत्री महोदय द्वारा कोई कार्रवाई न होने के कारण उनके अंदर असुरक्षा की भावना व्याप्त हो गई है। अपनी असुरक्षा की भावना से बंदियों ने रिहाई मंच को पत्र लिखकर अवगत कराया, जिससे पता चला कि हाई सिक्योरिटी बैरक के डिप्टी जेलर केशव प्रसाद यादव सहित अन्य जेल कर्मियों और सुरक्षा में लगे बंदियों के षडयंत्र से इन बंदियों को मार डालने की साजिश रची जा रही है। जिसके संदर्भ में 18 जून 2014 को पत्रकार वार्ता करके शासन और प्रशासन से आवश्यक कार्रवाई करने का निवेदन किया गया। लेकिन कोई कार्रवाई अमल में न आने के कारण बंदियों के अंदर बेचैनी और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। दिनांक 26 जून 2014 को हाई सिक्योरिटी बैरक के सी ब्लाॅक के बंदी तारिक कासमी ने उर्दू में पत्र लिख कर यहां तक आशंका व्यक्त की है कि उसके साथी बंदी खालिद मुजाहिद की तरह उसकी हत्या करने की साजिश रची गई है, (जिसका कि पत्र ज्ञापन के साथ संलग्न है)। जिसकी तस्दीक मोहम्मद नौशाद तथा अब्दुलशकूर नामक बंदियों ने भी हिंदी में एक पत्र भेज कर किया है (जिसका कि पत्र ज्ञापन के साथ संलग्न है)। केशव प्रसाद यादव तथा उसके सहयोगी जेल में बंदियों को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर और देश के नाम पर बांट कर उनका आपस में संघर्ष करा कर लोगों की हत्या कराने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके संदर्भ में जेल से 15 बंदियों जिनमें पाकिस्तान के बंदी भी शामिल हैं ने पत्र लिख कर आशंका व्यक्त की थी (यह पत्र भी संलग्न है)। अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि यदि ऐसी कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो दोनों देशों के रिश्तों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यदि इस पर त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो किसी भी समय गम्भीर घटना घट सकती है। यहां यह भी गौरतलब है कि तारिक कासमी और खाालिद मुजाहिद की 2007 में प्रदेश की कचहरियों में हुए विस्फोटों के आरोप में की गई गिरफ्तारी के विषय में गठित जस्टिस निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने भी गिरफ्तारियों को संदिग्ध माना है और यह रिपोर्ट सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बावजूद भी उस पर अब तक कोई अमल नहीं किया गया जिसने उन अधिकारियों को चिन्हित करने और उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाई करने की सिफारिश की है। यहां विदित रहे कि खालिद मुजाहिद की हत्या पिछले साल 18 मई 2013 को उनके पेशी से लौटतेे समय करा दी गई थी। जाहिर है अगर उक्त कमीशन की रिपोर्ट पर अमल किया गया होता तो खालिद की हत्या नहीं हुई होती और ना ही तारिक कासमी को ही मारने का षडयंत्र रचा जा रहा होता। इसलिए हम मांग करते हैं कि जेल में बंद कैदियों की सुरक्षा समेत प्रदेश सरकार से निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करने की हमारी न्यायोचित मांग को गम्भीरता से लिया जाए तथा आप इस पर सरकार से पहल कराना सुनिश्चत करें।

केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद से जेल से छूटने वाले बंदियों और जेल में बंद बंदियों तथा उनके पक्ष में खड़े होने वाले लोगों को देश का खुफिया तंत्र, पुलिस तथा पुलिस के अन्य शाखा के लोग प्रताडि़त करने और डराने का काम कर रहे हैं। जिस पर भी अंकुश लगाया जाना अनिवार्य है। यदि ऐसा न किया गया तो पुलिस तथा खुफिया तंत्र की निरकुंशता बढ़ जाएगी जो कानून के राज के लिए चुनौती होगा। अतः आपसे निवेदन है कि उक्त संदर्भोे को संज्ञान में लेते हुए त्वरित व आवश्यक कार्रवाई करने का कष्ट करें।

द्वारा-

1- मोहम्मद शुएब

2- राघवेन्द्र प्रताप सिंह

3- रामकृष्ण

4- शिवाजी राय

5- शाहनवाज आलम

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