नई दिल्ली, 31 अक्तूबर 2019. एक नए शोध में दावा किया गया है कि समुद्र में बढ़ते जलस्तर के चलते भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई और कोलकाता जैसे तटीय महानगर समंदर में डूबकर खत्म हो जाएंगे। शोध के मुताबिक समुद्र का बढ़ता जलस्तर आने वाले समय में अत्यंत खतरनाक साबित होगा। 2050 तक पूर्व में लगाए गए अनुमानों से तीन गुना ज्यादा लोगों पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर का खतरा मंडरा रहा है।
न्यू जर्सी स्थित एक विज्ञान संगठन क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा किया गया शोध 'नेचर कम्युनिकेशंस' (A study in the journal Nature Communications) नाम की एक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
शोध में कहा गया है कि 2050 तक समुद्र के स्तर में वृद्धि की वजह से औसत वार्षिक तटीय बाढ़ में और ज़्यादा बढ़ोतरी होगी, इससे वो लोग प्रभावित होंगे जिनका इस तटीय भूमि पर आवास है, जिनकी संख्या आज लगभग 300 मिलियन है।
ये निष्कर्ष कोस्टल डीईएम (एक नया डिजिटल उन्नयन मॉडल जो क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा विकसित किया गया है) के अध्ययन पर आधारित हैं।
पहले धरती का हाल लेने के लिए सेटेलाइट डाटा का प्रयोग किया जाता था लेकिन शोधकर्ताओं ने इस बार ऐसा नहीं किया। इस बार वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के इस्तेमाल से सटीक निष्कर्ष प्राप्त करने में सफलता हासिल की है। नासा द्वारा पहले सेटेलाइट डाटा का प्रयोग करके अनुमान लगाया गया था कि पर्यावरणीय बदलावों की वजह से आठ करोड़ लोगों पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर का खतरा है। मॉडल में उपग्रह डेटा का उपयोग किया गया था
शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले के शोध और इस बार के नतीजों में व्यापक अंतर सामने आए हैं। रि
सर्च के प्रमुख लेखक और क्लाइमेट सेंट्रल के वरिष्ठ वैज्ञानिक स्कॉट कुलप ने कहा कि ये आकलन शहरों, अर्थव्यवस्थाओं, समुद्र तटों और हमारे जीवनकाल के भीतर पूरे वैश्विक क्षेत्रों को बदलने के लिए जलवायु परिवर्तन की क्षमता को दिखाते हैं।विशेषज्ञों के अनुसार यही आलम रहा तो इस शताब्दी के मध्य तक वियतनाम और भारत के कई हिस्से जलमग्न हो जाएंगे। जोखिम वाले क्षेत्रों में मुंबई जैसे अधिक आबादी वाले शहरों के बड़े हिस्से शामिल होंगे, जो 1.8 करोड़ से अधिक लोगों का घर है और अगले 30 वर्षों में लगभग पूरी तरह से पानी में डूब जाएंगे।
इम्प्रूव्ड एलिवेशन डाटा (improved elevation data) से हासिल किये गए आंकड़ों के आधार पर पाया गया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में मध्यम या औसत दर्जे की कमी होने के बावजूद छह एशियाई देशों के क्षेत्रों में रहने वाले 237 मिलियन लोग वार्षिक तटीय बाढ़ यानि तटीय इलाकों के डूबने की संभावना 2050 तक बहुत ज़्यादा है, जो प्रचलित एलिवेशन डाटा के आकलन से लगभग 183 मिलियन अधिक है।
छह एशियाई देश (चीन, बांग्लादेश, भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड) जहाँ पर लगभग 237 मिलियन लोगों का वास है वहां पर तटीय बचाव का कोई प्रबंध नहीं है, इन स्थानों में रहने वाले लोग 2050 तक तटीय बाढ़ यानि स्तर बढ़ने से वहां के तटीय इलाके डूब जायेंगे। ये घटनाएं पुराने उन्नयन डेटा के आधार से प्रतिवर्ष चौगुने स्तर से अधिक होंगी।
क्लाइमेट सेंट्रल एक गैर-लाभकारी विज्ञान और समाचार संगठन है जो सार्वजनिक और नीति निर्माताओं को जलवायु और ऊर्जा के बारे में निर्णय लेने में मदद करने के लिए आधिकारिक जानकारी प्रदान करता है।
अमलेन्दु उपाध्याय