दुनिया की किसी गरीब से गरीब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना समय में संक्रमण को दावत देकर शराब की नदी बहाने की कोई दूसरी नज़ीर हो तो जानकारी दें। नोटबन्दी के बाद तालाबन्दी में जनता की औकात खुलकर सामने आ गई।
जनता को रोज़ी रोटी देने की फिक्र नहीं, शराबखोरी की यह खुली दावत सनातन हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति के महान योद्धा कर रहे हैं।
ऐसी दावत जो सबकुछ बन्द होने के बावजूद रेड जोन में भी तीन- तीन किमी की लंबी कतारें खड़ी कर दें लॉक डाउन की धज्जियां उड़ाकर, ताज्जुब है।
आज दिनेशपुर में एक सज्जन ने कहा कि हमारी जांच जरूरी हैं।
मैंने पलटकर पूछा, आपकी कोरोना जांच हुई है?
किसी देशभक्त, नेता या पुलिसवाले से ये सवाल नहीं कर सकते। लिंचिंग बेरोकटोक होती है इसलिए।
10 लाख लोगों की भी जांच नहीं हुई।
138 करोड़ जनता में से कितने कोरोना से मर रहे हैं या कितने संक्रमित हैं या देश में कितने हॉट स्पॉट है, इसके आकलन में 138 करोड़ की गिनती नहीं है।
अमेरिका में जांच हुई तो 10 लालच संक्रमित हैं और 70 हजार मृत।
रूस में जांच हो रही है, इसलिए एकदिन में दस हजार संक्रमित।
मुंबई दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में जहां भी जांच हो रही है, वहां चप्पे-चप्पे पर कोरोना है।
महान ट्रम्प ने मजाक में क्या कुछ पीने को कहा था।
हमारे यहां शराब पिलाई जा रही है।
भक्तों की दलील
तो सेनेटाइजर ही पियें।
ज़हर से दवा बनती है तो सीधे ज़हर पी लेंगे?
ज्ञान विज्ञान की यह दिशा दशा है।
कोई बता सकता है कि दीवाली की रात में कितना खर्च होता है देश भर में?
बता सकते हैं कि सेना की दीवाली में कितना खर्च आया?
एक युद्धक विमान की एक शॉर्ट में लाखों का खर्च होता है। फिर दस घण्टे देशभर में वायु सेना के विमानों से पुष्पवर्षा से कितना खर्च आया होगा?
किसी डॉक्टर, किसी नर्स या पुलिस वाले को यह बताने की आजादी है कि उन्हें सम्मान चाहिए था कि जीवनरक्षक उपकरण, जिनके बिना उनके साथी देशभर में संक्रमित हो रहे हैं, मर रहे हैं?
इस पर तुर्रा यह कि हमारे लिखने पर लोगों को तरस आता है कि हम देश को बांट रहे हैं सरकार से सवाल करके!
राजकाज के लिए क्या बेरोजगारी और ?भूख, महामारी की शिकार जनता किससे जवाब मांगे?
इमरान खान से?
ट्रम्प से?
किम से?
कास्त्रो से?
चीन से?
रूस से?
रामजी से?
जब विदेश से 15 लाख लोग आए, उनकी जांच नहीं हुई?
जब कोरोना संक्रमण शुरू भी नहीं हुआ था, ठीक से तब मजदूरों को खिलाने, पिलाने के वायदे के साथ जहां हैं, वहीं ठहरने की हिदायत दी गई। हज़ारों की तादाद में वे सैकड़ों हज़ारों मील की दूरी तय करने को पैदल ही निकल पड़े।
भूख प्यास दुर्घटना में मरते रहे और उनकी कोई गिनती नहीं हुई?
अचानक उन्हें गांव में भेजा जा रहा है महानगरों के हाट स्पॉट से।
आज शाम तहसीलदार लाव लश्कर के साथ बसंतीपुर आये थे। फरमान सुना गए कि बाहर से आने वालों के लिए बन्द प्राथमिक पाठशाला के दो कमरों में उन्हें अलग रखा जाए।
जहां सिर्फ दो शौचालय है और जो गांव के बीचोंबीच है।
यह कवारंटाइन है।
ऐसे थर्ड स्टेज पर रोकेंगे?
थोड़ा दिल और थोड़ा दिमाग का इस्तेमाल करने से कौन रोक रहा है?
हर कोई टीवी का अहंकार बना हुआ है।
हर कोई देशभक्त है।
हर कोई वैज्ञानिक है।
हर कोई चीख रहा है।
हर कोई किसी की सुन नहीं रह है।
यही भारतीय सभ्यता है?
यही मनुष्यता है।
हमारी हर समस्या के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है।
चीन जिम्मेदार है।
मुसलमान जिममेदार है।
नेहरू पाटिल जिम्मेदार है।
सोनिया राहुल जिम्मेदार हैं।
जो एकदम जिम्मेदार नहीं है वह भारत सरकार और सत्तादल है।
वाह।
हम निःशब्द हैं।
अवाक हैं
स्तब्ध है।
हम कहाँ, किन के बीच रह रहे हैं?
लोकतंत्र के लिए मतभेद खतरनाक है।
प्रेस की आजादी खतरनाक है।
लेखक चिंतक खतरनाक है।
सामाजिक कार्यकर्ता खतरनाक है।
भूखी प्यासी बेरोज़गार जनता खतरनाक है।
दंगाइयों से कोई खतरा नहीं है।
लुटेरों से कोई खतरा नहीं है।
जादूगरों बाजीगरों से कोई खतरा नहीं है।
नफरत और घृणा, असमानता और अन्याय से कोई खतरा नहीं है।
खतरा है संविधान से।
खतरा है लोकतंत्र से ।
खतरा है विचार से।
खतरा है इतिहास से।
खतरा है विविधता से।
खतरा है बहुलता से।
खतरा है ज्ञान विज्ञान से।
खतरा है मनुष्यता से।
वाह वाह बधाई।
आज सत्यनाश के चालीसवें के बाद भी प्रेतमुक्ति नहीं है।
कर्मकांड जारी रखें।
बधाई।
पलाश विश्वास