Hastakshep.com-स्वास्थ्य-role of stress in colon cancer-तनाव और बड़ी आंत के कैंसर का संबंध-तनाव के कारण आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन-लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया से कैंसर का इलाज-दीर्घकालिक तनाव और कोलोरेक्टल कैंसर-तनाव से आंत के लाभकारी बैक्टीरिया की कमी-आंत के माइक्रोबायोटा के प्रभाव से बड़ी आंत के कैंसर में वृद्धि,

बड़ी आंत के कैंसर में तनाव के कारण वृद्धि: शोध में तनाव और आंत के माइक्रोबायोटा का असर

बड़ी आंत के कैंसर में तनाव की भूमिका: शोध के नए निष्कर्ष

हालिया शोध में पता चला है कि लंबे समय तक तनाव बड़ी आंत के कैंसर को तेज़ी से बढ़ा सकता है। इस अध्ययन ने आंत के माइक्रोबायोटा में बदलाव और उसकी कैंसर के विकास में भूमिका को उजागर किया है। शोधकर्ताओं ने शोध के जरिए तनाव और लाभकारी बैक्टीरिया के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला है, जो भविष्य में बड़ी आंत के कैंसर का इलाज के लिए एक नई दिशा दे सकते हैं।

दीर्घकालिक तनाव और कोलोरेक्टल कैंसर का संबंध

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर 2024। वैसे तो तनाव कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, लेकिन एक शोध में यह बात सामने आई है कि कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) यानी बड़ी आंत के कैंसर में तनाव ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।

तनाव और आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन

चीनी शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि लंबे समय तक रहने वाला तनाव आंत के माइक्रोबायोटा के संतुलन को बाधित करता है, जो फिर बड़ी आंत के कैंसर को तेजी से बढ़ाता है।

वैज्ञानिकों ने शोध में पता लगाया है कि कुछ खराब बैक्टीरिया से तनाव संबंधी कुछ बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया की पहचान की, जिससे इसका इलाज किया जा सकता है।

शोध में पाया गया कि तनाव के कारण आंत के लाभकारी बैक्टीरिया की कमी

चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी की वेस्ट चाइना हॉस्पिटल की टीम ने आंत के माइक्रोबायोटा को खत्म करने के

लिए वैनकॉमाइसिन, एम्पीसिलीन, नियोमाइसिन और मेट्रोनिडाजोल के कॉकटेल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया। इसके बाद मल के माइक्रोबायोटा का प्रत्यारोपण किया गया ताकि पता लगाया जा सके कि बड़ी आंत के कैंसर की प्रगति को तेज करने में तनाव की भूमिका के लिए आंत का माइक्रोबायोटा आवश्यक है या नहीं।

परिणामों से पता चला कि लंबे समय तक चले तनाव के कारण न सिर्फ ट्यूमर का आकार तेजी से बढ़ा, बल्कि इसने आंत के लाभकारी बैक्टीरिया - विशेष रूप से लैक्टोबैसिलस जीनस - को भी कम कर दिया।

विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. किंग ली ने कहा, "तनाव से संबंधित बड़ी आंत के कैंसर की प्रगति को लाभकारी आंत के बैक्टीरिया में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि यह कैंसर के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कमजोर करता है।''

ली ने कहा,"मल विश्लेषण के माध्यम से हमने पाया कि लैक्टोबैसिलस प्लांटारम विशेष रूप से पित्त एसिड मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही 'सीडी8 प्लस टी' कोशिकाओं की कार्यक्षमता में सुधार करता है। यह दर्शाता है कि लैक्टोबेसिलस कैसे ट्यूमर के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ा सकता है।

लैक्टोबैसिलस आधारित उपचार से कैंसर की प्रगति में कमी

शोध से पता चला कि लैक्टोबैसिलस आधारित चिकित्सा पद्धति से मरीजों, विशेषकर दीर्घकालिक तनाव से प्रभावित मरीजों के उपचार में काफी संभावनाएं हैं।

ली ने आगे कहा, ''आंत में लैक्टोबैसिलस जैसे लाभकारी बैक्टीरिया को बहाल करने से बड़ी आंत के कैंसर के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा मजबूत हो सकती है।''

यह अध्ययन ऑस्ट्रिया के विएना में यूनाइटेड यूरोपियन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी वीक 2024 में प्रस्तुत किया गया।

Web title : The role of stress in colon cancer

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