दौड़ना सेहत के लिए लाभदायक होता है। इसका फायदा सिर्फ शारीरिक तौर पर ही नहीं मिलता, दिमाग पर भी यह चमत्कारिक प्रभाव छोड़ता है। यह कहना है कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का। कुछ वर्ष पूर्व वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में पाया था कि नियमित दौड़ने या जॉगिंग से मस्तिष्क के उस हिस्से में नई कोशिकाओं का विकास होता है जिसका याद्दाश्त से सम्बंध है।
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic exercise) अथवा जॉगिंग न्यूरोजेनेसिस (Jogging neurogenesis - neurogenesis exercise) कोशिकाओं को विकसित करती हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इसका संबंध बढ़े हुए रक्त प्रवाह से या फिर हॉर्मोन के उच्च स्तर से हो सकता है जो एक्सरसाइज से मुक्त होता है।
एक समूह को घूमते हुए पहिए में दौड़ने की असीमित छूट थी जबकि दूसरे समूह को नहीं। कुछ दिनों बाद चूहों के दोनों समूहों को कंप्यूटर स्क्रीन पर याद्दाश्त परीक्षण की श्रृंखला से गुजारा गया।
वैज्ञानिकों ने पाया कि चूहों का वह समूह, जिसे इस दौरान दौड़ने की छूट थी या जिन्हें नियमित रूप से दौड़ाया गया था, वे स्मृति परीक्षण में उस समूह से दोगुने से भी ज्यादा सफल थे, जिन्हें दौड़ने के लिए छूट नहीं थी यानी जिन्हें नियमित तौर पर दौड़ाने से रोका गया था। दौड़ने वाला समूह एक दिन में औसतन 24 किलोमीटर दौड़ा था। जब दौड़ने वाले चूहों के मस्तिष्क के ऊतकों की जांच की गई तो पता चला कि परीक्षण के दौरान उनके मस्तिष्क में नई न्यूरोजेनेसिस कोशिकाएं (Neurogenesis cells) विकसित हो चुकी थीं।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, जिसने यह अध्ययन अमरीका के मेरीलैंड स्थित 'नेशनल इंस्टीटयूट ऑन एजिंग' के साथ किया, ने पाया कि चूहों के नियमित दौड़ने के