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पुष्प रंजन

मोदी जी, सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में सिर्फ सरदार पटेल की भूमिका नहीं थी !

उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर ने 19 अप्रैल 1940 को सोमनाथ में उत्खनन कराया था, जो 1948 से 1954 तक सौराष्ट्र राज्य के मुख्यमन्त्री थे. इसके प्रकारांतर भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया। सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मंदिर की आधारशिला रखी. 15 दिसम्बर 1950 को सरदार पटेल गुज़र गए, मंदिर को दुरुस्त करने की ज़िम्मेदारी केएम मुंशी पर आ गई जो नेहरू सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री थे. केएम मुंशी के आमंत्रण पर 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया।

उससे पहले सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण परियोजना में सरदार पटेल सरकारी फंड का इस्तेमाल चाहते थे, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सरकारी फंड खर्च किये जाने पर सहमत नहीं थे. १९५१ में पंडित नेहरू ने सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था.

पीएम मोदी तभी राहुल गाँधी को ललकार रहे थे- "तुम्हारी दादी के बाप ने नहीं बनने दिया था सोमनाथ मंदिर. सरदार पटेल नहीं होते तो मंदिर नहीं बनता."

मोदी की भाषा दिन ब दिन कड़वी होती जा रही है. आज जो कहा, उसका लक्ष्य हिन्दू भावना को उभारने, और पटेल वोट बैंक को भड़काने से अधिक कुछ नहीं था.

मगर, क्या मोदी जी बताएँगे साढ़े तीन साल में उन्होंने देश के जर्जर मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए कितना फंड दिया है?

2015 में केरल सरकार ने सबरीमाला मंदिर के पुनर्निर्माण के वास्ते १७० करोड़ दिया था !

सोमनाथ में "हिन्दू", "गैर हिन्दू" का घृणा फ़ैलाने वाले मित्रों को पता तो होगा, केरल में उस समय किसकी सरकार थी !

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