नई दिल्ली, 2 मार्च 2023: विज्ञान संचार पर पुस्तकें और संसाधन सामग्री भारत में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संगठन विज्ञान प्रसार द्वारा प्रकाशित 300 से अधिक लोकप्रिय विज्ञान पुस्तकों और लगभग 4000 लघु वीडियोज ने इस खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इस सूची में अब दो नई अंग्रेजी पुस्तकें – ‘मिनिमम साइंस फॉर एवरीबडी (Minimum Science for Everybody)’ और 'पैकेजिंग साइंस फॉर पब्लिक (packaging science for public)’ जुड़ गई हैं। इन पुस्तकों का प्रकाशन क्रमशः विज्ञान शिक्षा और विज्ञान संचार में रुचि रखने वाले लोगों को केंद्र में रखकर किया गया है।
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेला में बुधवार को नेशनल बुक ट्रस्ट के सहयोग से इन दोनों किताबों का लोकार्पण किया गया है।
इस अवसर पर प्रख्यात वन्यजीव फिल्म निर्माता और पर्यावरण संरक्षणविद् माइक पांडेय, विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर और अन्य गणमान्य लोग एवं पुस्तक-प्रेमी उपस्थित थे।
डॉ नकुल पाराशर ने हिंदी और अंग्रेजी के अलावा भारतीय भाषाओं में ‘साइंस कम्युनिकेशन पॉपुलराइजेशन ऐंड एक्सटेंशन (SCoPE)’ पर विज्ञान प्रसार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि लोकार्पित की गई दोनों पुस्तकें शोधकर्ताओं, छात्रों, लेखकों और विज्ञान संचार में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए मूल्यवान हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक और 'पैकेजिंग साइंस फॉर पब्लिक इंटरेस्ट' पुस्तक की योगदानकर्ताओं में शामिल डॉ रश्मि शर्मा ने शोधकर्ताओं को अपने शोध-कार्यों के बारे में सरल एवं सहज भाषा में लेखन की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसे आम
वरिष्ठ पत्रकार, फिल्म निर्माता, विज्ञान संचारक और मीडिया आर्ट रिसर्च ऐंड स्टडीज (MARS) के ट्रस्टी-निदेशक वाई.एस. गिल ने मोबाइल फोन कैमरों के उपयोग से विज्ञान फिल्मों के निर्माण और इसके माध्यम से विज्ञान संचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर उपस्थित प्रकाशन विभाग के वरिष्ठ संपादक हसन ज़िया ने देश में बढ़ती साक्षरता के साथ वैज्ञानिक विषयों पर अधिक उपयोगी सामग्री विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माइक पांडेय ने पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए संरक्षण प्रयासों पर लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विज्ञान प्रसार के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा, ‘यह समय है कि विज्ञान प्रसार एक उपग्रह टेलीविजन चैनल लॉन्च करे, जो पूरी तरह से सरल, समझने योग्य विज्ञान के साथ शैक्षिक सामग्री के लिए समर्पित हो, जो अपनी मूल्य आधारित 'लोकोपयोगी विज्ञान' सामग्री के साथ दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच सकता है।’
इस दौरान अन्य गणमान्य लोगों के साथ-साथ स्वर्गीय राकेश पोपली की धर्मपत्नी श्रीमती रमा पोपली और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ गगन गुप्ता उपस्थित थे।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षाविद् डॉ ज़ाहिद हुसैन ख़ान; डॉ अम्बरीश सक्सेना, डीन, डीएमई मीडिया स्कूल; और डॉ अजीत पाठक, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनसंपर्क सोसायटी ऑफ इंडिया, ने इन दोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए विज्ञान प्रसार को बधाई दी, जो विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी के करीब लाने में मदद करेंगे।
डॉ राकेश पोपली और डॉ अशोक सिन्हा की पुस्तक ‘मिनिमम साइंस फॉर एवरीबडी’ एक बुनियादी सवाल छोड़ती है कि क्या विज्ञान हमें प्रकृति पर काबू पाने और उस पर जीत हासिल करने के लिए प्रेरित करता है, अथवा यह प्रकृति के साथ अनुकूलन स्थापित करने और प्राकृतिक घटनाओं को समझने के बारे में हमें बताता है। यह पुस्तक नीति निर्माताओं, योजनाकारों और शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य एवं कौशल विकास के कार्यान्वयनकर्ताओं के लिए गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
‘पैकेजिंग साइंस फॉर पब्लिक इंटरेस्ट’ पुस्तक विज्ञान संचारकों, विज्ञान फिल्म निर्माताओं, स्क्रिप्ट लेखकों, ऑडियो एवं दृश्य माध्यमों के लिए लिखने वाले रचनाकारों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। यह पुस्तक डॉ नकुल पाराशर, निमिष कपूर और सुमिता मुखर्जी द्वारा संपादित की गई है। भारत, इस्राइल, नेपाल, स्विट्जरलैंड, यू.के. एवं ताइवान से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्मकारों, और तकनीकी विशेषज्ञों के लेखों को इस पुस्तक में शामिल किया गया है, जो छात्रों और आम जनता के लिए बेहद उपयोगी हैं।
विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया – विज्ञान प्रसार गत तीन दशकों से अधिक समय से विज्ञान संचार एवं लोकप्रियकरण का कार्य कर रहा है, और देश के दूरदराज इलाकों तक इसकी प्रभावी पहुँच रही है।
(इंडिया साइंस वायर)
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