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सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन द्वारा 'आपदा में अवसर' खोजना' चाहते हैं...

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर | Satyapal Malik's political journey

मूलरूप से समाजवादी वैचारिक पृष्ठभूमि से आए सत्यपाल मलिक ने पश्चिमी उतर प्रदेश से अपना राजनीतिक सफर शुरु किया था।

1946 में बागपत के हिस्वाडा गांव में गरीब किसान परिवार में जन्मे सत्यपाल मलिक ने मेरठ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की! मेरठ कालेज से छात्र राजनीति में उतरे और अपना पहला चुनाव पश्चिमी उतर प्रदेश के बागपत से चौं चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की ओर से 1974 में लड़ा। 1974 से 1977 तक उतर प्रदेश विधान सभा के विधायक रहे। समय के साथ पार्टी बदलते रहे। 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये व उतर प्रदेश से राज्य सभा सांसद बने।

1987 में बोफोर्स घोटाले के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दे कर 1988 में वी पी सिंह के जनता दल में शामिल हो गये। 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद बने।

1996 में फिर से समाजवादी पार्टी से अलीगढ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडा, लेकिन हार गये।

2004 में भाजपा में शामिल हुए और पश्चिमी उतर प्रदेश को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के तौर पर मानते हुये 2004 में लोकसभा चुनाव चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के विरुद्ध लड़े और हार गये।

2014 के चुनावों से पहले भाजपा ने सत्यपाल मलिक को पार्टी उपाध्यक्ष बना दिया और एक दम नये चेहरे संजीव बालियान को टिकट दे कर चुनाव में उतार दिया। यही सत्यपाल मलिक वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल हैं।

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सत्यपाल मलिक अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में आते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुये उन्होंने कारगिल में एक सभा में विवादित ब्यान दे दिया था।

एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल पर मौजूद खबर के मुताबिक -

“Malik stoked controversy during his address at a function in Kargil in Ladakh region.

"These boys who have picked up guns are killing their own people, they are killing PSOs (personal security officer) and SPOs (special police officers). Why are you killing them? Kill those who have looted the wealth of Kashmir. Have you killed any of them?" Malik had asked.

 22 july 2019 ET .”

राज्यपाल के इस बयान पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे उमर अब्दुला व महबूबा मुफ्ती द्वारा बहुत सख्त एतराज जताया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाद में सत्यपाल मलिक ने स्पष्टीकरण देते हुये स्वीकार किया था कि उनका यह वक्तव्य जम्मू-कश्मीर में व्याप्त अनियंत्रित भ्रष्टाचार से उत्पन गुस्से व खिन्नता के कारण हुआ। उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य के संवैधानिक मुखिया होने के नाते उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिये था !

एक अन्य अवसर पर उन्होंने कश्मीर में रहते हुए ब्यान दे दिया था कि नई दिल्ली यहां पर पीपल्स कांफरेंस के नेता सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

2014 के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में सम्मिलित 'किसान नीति' को सत्यपाल मलिक ने ही तैयार किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यूज एजेंसी राउटर से बात करते हुये सत्यपाल मलिक ने 11 मई 2014 में कहा था,

“If elected, we will crack down on beef exports and we will also review the subsidy the government gives for beef or buffalo meat exports,"

अभी हाल ही में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के पक्ष में बड़ा बयान दिया है। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे आंदोलन पर बात करते हुए उन्होंने कह दिया कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए, उन्हें खाली हाथ न लौटाएं। एमएसपी पर कानून बने। उन्होंने कहा कि किसानों पर बल प्रयोग करना उचित नहीं है, सिख कौम 300 साल तक किसी बात को नहीं भूलती। राज्यपाल ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और किसानों का दर्द जानता हूं। यदि मेरी जरूरत पड़े तो मैं भी किसानों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हूं।

मलिक ने यह भी कहा कि उन्होंने जब किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की सुगबुगाहट सुनी तो फोन करके इसे रुकवाया!

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिख चुका हूं। पत्र में लिखा हुआ कि किसानों को खाली हाथ मत लौटाना। यदि ऐसा हुआ तो नुकसान होगा। एमएसपी को मान्यता दे देनी चाहिए। कृषि कानून किसानों के पक्ष में नहीं है।

सत्य पाल मलिक ने ये भी कहा कि राज्यपाल का काम चुप रहना, हस्ताक्षर करना होता है, लेकिन मैं चुप नहीं रह सकता! इसलिए मेरी कब छुट्टी हो जाये पता नहीं।

राजनीतिक हलकों में सत्यपाल मलिक के इस बयान को कुछ विश्लेषक सरकार की किसान आंदोलन के प्रति उपेक्षा से जोड़ कर देखते हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि सत्यपाल मलिक भविष्य के लिये अपनी नयी राह खोजना चाहते हैं।

अवसर को भांप लेने के सत्यपाल मलिक के तजुर्बे को खारिज नहीं किया जा सकता।

जगदीप सिंधु

sindhu jagdeep
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