Hastakshep.com-समाचार-Sewer cleaning workers death-sewer-cleaning-workers-death-सफाई मजदूरों की मौत-sphaaii-mjduuron-kii-maut-स्वच्छ भारत अभियान-svcch-bhaart-abhiyaan-सीवर सफाई मजदूरों की मौत-siivr-sphaaii-mjduuron-kii-maut

दुःखद ! सीवर सफाई मजदूरों की मौत (Sewer cleaning workers death) राष्ट्रीय समस्या (National problem) है। ताजी खबर है बड़ोदरा से सात मजदूरों की मौत की। स्वच्छ भारत अभियान के विज्ञापनों (Swachchh Bharat campaign advertisements) के बहाने सिर्फ मोदी जी के प्रचार पर अकूत धन खर्च किया गया है। सफाई कामगारों और उनकी वर्किंग कंडीशंस की बेहतरी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

पीएम ने कुम्भ में 'चरणामृत' का नाटक किया था। बाद में खुद उन पांच कामगारों की शिकायत रही कि कामगारों के कल्याण की उपेक्षा की गयी है।

बहरहाल स्वच्छ भारत अभियान यदि इस नारे के सहारे बढ़ता कि 'स्वच्छता : अधिकार है सबका' तब शायद प्रचार की मद में कम फण्ड गया होता। परन्तु मोदी ने इसका प्राणवाक्य रखा- 'स्वच्छता : दायित्व है सबका'। वे टीचर या मसीहा बनने की कोशिश में रहे आये।

स्वच्छता अभियान के केंद्र में सफाई मजदूर नहीं रहे, बल्कि पीएम केंद्र में रहे हैं।

Madhuvan Dutt Chaturvedi मधुवन दत्त चतुर्वेदी लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
मधुवन दत्त चतुर्वेदी
लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

आधुनिक तकनीक, उपकरणों की उपलब्धता, तत्काल मेडिकल सहायता, सीवर सफाई के वक्त हर केस में एहतियातन एम्बुलेंस का साथ रहना और नियुक्तियों का नियमितीकरण, ठेकाप्रथा का, आउटसोर्सिंग सिस्टम का उन्मूलन आदि काम हैं जो किये जाने जरुरी हैं।

खैर, आत्ममुग्ध और प्रचार-प्रिय पीएम से ऐसी आशा भी क्या ! देश भर में सीवर सफाई में मजदूरों की मौतों के आंकड़े किसी महामारी से कम नहीं हैं।

मधुवन दत्त चतुर्वेदी

(लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।)

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