जस्टिस काटजू ने कहा कि वजाहत हबीबुल्लाह (Wajahat Habibullah) ने वास्तव में मुस्लिमों के साथ बहुत ही घृणित कार्य (very disgusting act against muslims) किया है क्योंकि उनकी कार्रवाई से उन लोगों को मसाला मिल गया है जो शाहीन बाग विरोध (Shaheen Bagh protest) को मूल रूप से मुस्लिम मामला बताते हैं।
शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पहले ही की तरह जारी है। यह स्थिति प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों व प्रदर्शनकारियों के बीच कई चरण की वार्ता के बाद भी बनी हुई है। रविवार को प्रदर्शन का 71वां दिन रहा। इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों में से एक वजाहत हबीबुल्ला द्वारा अदालत में एक हलफनामा दायर करने जिसमें कहा गया है कि शाहीन बाग में पुलिस ने रोड जाम किया, पर सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने इसे श्री हबीबुल्लाह की अदूरदर्शिता बताते हुए कहा है कि उन्होंने ऐसा करके मुसलमानों का ही अहित किया है।
“पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, जो शाहीन बाग में सीएए के विरोध प्रदर्शनों के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों में से एक हैं, ने कथित रूप से अदालत में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि यह पुलिस थी न कि प्रदर्शनकारी जिन्होंने शाहीन बाग के पास सड़कों को अवरुद्ध किया था।“
“श्री हबीबुल्लाह न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों में से केवल एक थे। कोर्ट के समक्ष कोई भी रिपोर्ट या हलफनामा सभी तीन वार्ताकारों द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित होना चाहिए था। अतः मैं यह समझने में नाकाम रहा कि श्री हबीबुल्लाह अकेले ऐसा हलफनामा कैसे दायर कर सकते थे (जब तक कि अन्य दो ने उन्हें अधिकृत नहीं किया था, जिसका कोई सबूत नहीं है)?”
फिर उन्होंने सवाल किया,
“क्या श्री हबीबुल्लाह, जो खुद मुस्लिम हैं, मुसलमानों में लोकप्रिय होने के इच्छुक थे? उन्होंने वास्तव में मुस्लिमों के साथ बहुत ही नुकसानदेय कार्य किया है क्योंकि उनकी कार्रवाई से उन लोगों को मसाला मिल गया है जो शाहीन बाग विरोध को मूल रूप से मुस्लिम मामला बताते हैं।“
क्या है शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने को लेकर वजाहत हबीबुल्ला मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने के लिए चल रहे प्रयासों में शामिल वजाहत हबीबुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी स्थल पर सड़क को खोलने के लिए समाधान सुझाए हैं। हलफनामे में कहा गया है कि आस-पास की कुछ सड़कों पर लगे बैरिकेड्स हटाने से स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है।
तकनीकी रूप से शीर्ष कोर्ट ने मुख्य वार्ताकार के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को नियुक्त किया है, जिनकी सहायता साधना रामचंद्रन करेंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकार को हबीबुल्लाह से बात करने के लिए भी कहा है, जो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रदर्शनकारियों से बात कर सकते हैं।
कोर्ट के आदेश के अनुसार, हबीबुल्ला ने प्रदर्शन स्थल शाहीन बाग का दौरा किया और अपना हलफनामा दायर किया।
अपने हलफनामे में हबीबुल्ला ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण है। उन्होंने जिक्र किया कि पुलिस ने शाहीन बाग के आसपास पांच जगहों पर नाकाबंदी की है। उन्होंने कहा कि अगर इस नाकाबंदी को हटा लिया जाए तो यातायात अवागमन सामान्य हो जाएगा।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने अनावश्यक रूप से सड़कों को बंद किया है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।
पुलिस की जांच के बाद स्कूल वैन व एंबुलेंस को सड़कों से जाने की अनुमति दी जा रही है।
हबीबुल्ला ने यह भी कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के संदर्भ में प्रदर्शनकारियों से बातचीत करनी चाहिए।
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