नई दिल्ली, 24 अक्तूबर। यदि 40 वर्ष से कम उम्र के किसी रोगी को श्वास लेने में परेशानी, छाती में दबाव, ठंडे पसीना आना जैसे लक्षण महसूस होते हैं, जो कि आमतौर पर हीट स्ट्रोक, अस्थमा या भावनात्मक चोट के लक्षण होते हैं, तो इसे कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए या गलत नहीं आंकना चाहिए। ऐसे मामले में किसी भी और जटिलताओं से बचने के लिए तत्काल निदान और चिकित्सकीय परामर्श अनिवार्य हो जाता है। अगर रोगी पहले से ही एसएमआई से पीड़ित है तो दिल के दौरे के कारण मृत्यु होने की आशंका दोगुना हो जाती है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष और निदेशक डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण सामान्य दिल के दौरे के समान हो सकते हैं और ये सामान्य लक्षणों की तरह ही हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और भविष्य में अटैक होने का खतरा बढ़ सकता है। निम्नलिखित लक्षणों को कभी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए-छाती, बाहों या जबड़े में हल्की असुविधा जो आराम करने के बाद ठीक हो जाती है। सांस लेने में तकलीफ और बहुत जल्द थक जाना, नींद में परेशानी और अधिक थकावट, पेट दर्द या छाती में जलन, त्वचा में चिपचिपाहट।
मूक हार्ट अटैक से प्रभावित किसी भी व्यक्ति को पहले की तुलना में अधिक थकान महसूस हो सकती है यहां तक कि सामान्य शारीरिक गतिविधि के बाद भी उसे अधिक थकान महसूस हो सकती है। हृदय के स्वास्थ्य के लिए नियमित शारीरिक परीक्षण अनिवार्य है।
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डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि किसी भी रोगी को हमेशा एसएमआई से जुड़ी दो जटिलताओं कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) और सडन कार्डियक डेथ Sudden cardiac death (एससीडी) से अवगत होना चाहिए और सीएडी की गंभीरता के आधार पर संबंधित उपचार समय पर किया जाना चाहिए। उपचार का उद्देश्य दवाइयों, स्टेंट का उपयोग कर रिवैस्कुलराइजेशन और यहां तक कि बाईपास सर्जरी की मदद से इस्कीमिया, हार्ट फेल्योर और कार्डियेक एरीथमिया के कारण होने वाली मृत्यु को रोकना है।
डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि डॉक्टर स्ट्रेस टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं जिससे दो उद्देश्य हल हो सकते हैं। इससे डॉक्टर को व्यायाम की सीमा को मापने में मदद मिलती है जो इस्कीमिया पैदा कर सकता है और डॉक्टर सबसे सुरक्षित गतिविधियों से संबंधित विशिष्ट निर्देश दे सकते हैं। दूसरा, अगर स्ट्रेस टेस्ट के दौरान इस्कीमिया होता है, तो व्यक्ति पहले से ही साइलेंट हार्ट अटैक से प्रभावित हो सकता है और वह खास प्रकार का एंजाइना का अनुभव करेगा और इस तरह यह परीक्षण एसएमआई से पीडि़त मरीजों के लिए महत्वपूर्ण फीडबैक दे सकता है और डॉक्टर को बेहतर उपचार विकल्प अपनाने में मदद कर सकता है।
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(सम्प्रेषण)
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