संसार में पक्षियों की दुनिया (Bird world) अद्भुत है जो ये बताती है कि प्रकृति को अपनी अन्य संतानों से उतना ही प्यार-दुलार है, जितना कि मनुष्य से। हाँ, मनुष्य ज्येष्ठ अवश्य है, इस वजह से उसकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि सभी के साथ हिल-मिलकर रहे। यदि मनुष्य अन्य जीव-जंतुओं के वैभव व विभूतियों को जान सके तो फिर प्रकृति में असंतुलन की समस्या (Problem of imbalance in nature) ही बाकी नहीं रहेगी।
पेंगुइन पक्षी का जीवन (Penguin Bird Life) भी समुद्र किनारे शुरू होता है। ये समुद्र में ऐसे तैरते हैं माने उड़ रहे हों। यानि कि अंदर डुबकी ये बहुत देर तक रह सकते हैं।
पेंगुइन के पंख एक निश्चित समय के पश्चात् झड़ जाते हैं, कुछ समय के पश्चात् फिर नए पंख निकल आते हैं। जब तक इनके नए पंख नहीं आते, ये पानी में नहीं जाते।
ये अपने पारिवारिक जीवन को मिलजुलकर जीते हैं। मादा अंडा देती है तो नर भोजन का इंतजाम करता है। वह समुद्र से मछलियाँ व झींगे
मादा पेंगुइन मातृत्व का एक भावपूर्ण उदाहरण है। यह अंडों से बच्चा निकलने के दो से चार महीनों के अंतराल में अपने अंडों से हटती नहीं, चाहे जितनी बरफ पड़े या बर्फीली हवाएँ चलें।
(देशबन्धु में प्रकाशित लेख का संपादित अंश साभार)